पुनर्जन्म पर आधारित
शाश्वत प्रेम की अद्भुत कथा
शाश्वत प्रेम की अद्भुत कथा
विगत सोलह वर्षों से जल रहा है- यह आशा
दीप...जलना ही इसकी नियति है.....
गये तो सब चले गए...आये तो सब आने
लगे...
मीना आयी,मीरा आयी,फिर शक्ति क्यों
रुकती ?
उसे तो आना ही
था...अधिकार पूर्वक.........
तलाश जारी है....प्रयास
जारी है....ऐ लहरें! ओ बीची! क्या तूने कहीं देखा है मेरी
मीरा को? मेरी शक्ति
को? मेरी मीना
को?ओ सूरज की अरुण आभा! क्या तुझे कुछ पता
है? ओ हवाएँ!!!
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