सप्तौषधि- दशौषधि-सर्वौषधि-शतौषधि-सूची
सृष्टि
में स्थावर-जांगम-उद्भिज-अंडज-स्वेदज(स्थूल-सूक्ष्म,दृश्य-अद्श्य)
जो भी हैं,किसी विशिष्ट उद्देश्य से स्रजक ने इनकी सर्जना की है।उन्हीं सर्जनाओं
में से कुछ विशिष्ट द्रव्यों से पिछले अध्याओं में परिचय कराने का एक क्षुद्र
प्रयास किया गया।विभिन्न द्रव्यों का सिर्फ तान्त्रिक ही नहीं,अपितु ज्योतिषीय और
कर्मकांडीय उपयोग भी हुआ करता है। पूजा सामग्री की दुकानों पर यदि ढूढने जायें तो
प्रायः देखते हैं कि दुकान का कूड़ा-करकट एकत्र कर सर्वौषधि के नाम पर दे दिया
जाता है।इसका मुख्य वजह है कि न तो बिक्रेता को पता है ,और न क्रेता को ही कि
सर्वौधियां क्या होती हैं।उधर कर्मकांडी ब्राह्मण को भी शायद ही पता हो,और हो भी
यदि तो जांचने-परखने का समय कहां है उनके पास।यानी व्यवहारिक जानकारी का अभाव है। प्राचीन समय में हम जंगलों से जुड़े हुए
थे।अब कंकरीट के जंगलों और कोलतार की क्यारियों ने हमें आधुनिक बना दिया है। "सर्वौषधि" शब्द
का अर्थ हम सीधे लगाते हैं- सभी प्रकार की औषधियां,किन्तु बात ऐसी नहीं है।
अस्तु,पाठकों
की सुविधा और जानकारी के लिए यहां इसकी सूची प्रमाणिक श्लोक सहित दी जा रही है-
कुष्ठं मांसी हरिद्रे द्वे
मुरा शैलेय चन्दनम्।वचा चम्पक मुस्ता च सर्व्वौषध्यो दश स्मृताः।।
यानी
कुठ,जटामांसी,हल्दी,दारुहल्दी,मुरामांसी,शिलाजीत,श्वेत चन्दन,वच,चम्पा,और नागरमोथा
इन दस औषधियों को ही सर्वौषधि कहा गया है।एक अन्य सूची में ऊपरोक्त सभी द्रव्य तो
यथावत हैं,किन्तु चम्पक के स्थान पर आंवला लिया गया है।जटामांसी के सम्बन्ध में
ज्ञातव्य है कि कहीं-कहीं इसके नाम पर छड़ीला दे दिया जाता है,जबकि असली जटामांसी
ठीक जटा की तरह,और अति तीक्ष्ण गंधी होता है।अतः उसे ही प्रयोग करना चाहिए।
एक
और सूची है – सप्तौषधि की- मुरामांसी,जटामांसी,वच,कूठ,शिलाजीत,दारुहल्दी और
आंवला।ध्यातव्य है कि हल्दी,चन्दन और नागरमोथा नहीं है इसमें,तथा चम्पा की जगह
आंवला को ग्रहण किया गया है।
0इससे
ऊपर की सूची शतौषधि,और उससे ऊपर की सूची सहस्रौषधी कहलाती हैं।वैदिक,तान्त्रिक,पौराणिक
कार्यों में इनका प्रचुर प्रयोग होता है।यज्ञीय वनस्पतियों के सम्बन्ध में एक
श्लोक है-
शमीपलासन्यग्रोधप्लक्षवैकङ्कतोद्भवाः।अश्वत्थोदुम्बरौ
बिल्वश्चन्दनः सरलस्तथा।शालश्च देवदारुश्च खादिरश्चेति याज्ञिकाः ।।
आगे
शतौषधियों की सूची दी जा रही हैः-
(१) विष्णुक्रानता
(२) मयूरशिखा
(३) सहदेई
(४)पुनर्नवा
(५)
शरपुंखा
(६) वाराहीकन्द
(७)
विदारीकन्द
(८) चित्रक(चितउर)
(९) काकजंघा
(१०)
लक्ष्मणा
(११)
तुम्बिका
(१२)
बदरीपत्र
(१३)
कर्पूरी
(१४)
करेल
(१५)
कर्कोटिका
(१६)
चक्रांक
(१७)
श्वेतार्क
(१८)
व्याघ्रपत्री
(१९)
रुदन्ती
(२०)
अश्वगन्धा
(२१)
श्वेतमुसली
(२२)
श्याममुसली
(२३)
गिरिकर्णिका
(२४)
इन्द्रवारुणी
(२५)
अपामार्ग
(२६)
शंखपुष्पी
(२७)
घृतकुमारी
(२८)
शल्लकी
(२९)
गन्धप्रसारणी
(३०)
निर्गुण्डी
(३१)
देवदाली
(३२)
वट
(३३)
शमी
(३४)
प्लक्ष(पाकड़)
(३५)
पलास
(३६)
अश्वत्थ(पीपल)
(३७)
आम्र
(३८)
उदुम्बर(गूलर)
(३९)
जम्बु(जामुन)
(४०)
घनवहेरा
(४१)
वेतस(वेंत)
(४२)
अम्लवेंत
(४३)
नागकेशर
(४४)
अर्जुन(कहवा)
(४५)
अशोक
(४६)
मौलश्री(वकुल)
(४७)
पाषाणभेद(पत्थरचूर)
(४८)
शाल
(४९)
तमाल
(५०)
ताड़
(५१)
पाटला
(५२)
सेवती
(५३)
महुआ(मधूक)
(५४)
सीरस(सिरिष)
(५५)
बिल्व(बेल)
(५६)
कंटकारी(रेगनी)बड़ी
(५७)
कंटकारी(रेगनी)छोटी
(५८)
खरेंटी
(५९)
अतिबला
(६०)
सोनापाठा
(६१)
नागबला
(६२)
जावित्री
(६३)
जयपाल(जायफल)
(६४)
केतकी(केवड़ा)
(६५)
कदली(केला)
(६६)
बिजौरा(नीम्बू की एक जाति)
(६७)
अरणी
(६८)
अगर
(६९)
तगर
(७०)
अजवाइन
(७१)
पुण्ड्रिका
(७२)
द्रोणपुष्पी(गूमा)
(७३)
कुम्भी
(७४)
श्रीपर्णी(शालपर्णी)
(७५)
पृष्टपर्णी
(७६)
मदन
(७७)
चम्पक(चम्पा)
(७८)
पद्माख(कमलगटा)
(७९)
स्वर्णपुष्पी(कटैला)
(८०)
सिद्धेश्वरी
(८१)
किरमाला
(८२)
धव(धवई)धाय
(८३)
कुन्द
(८४)
मुचकुन्द
(८५)
दाडिम(अनार)
(८६)
ब्राह्मी
(८७)
आंवला
(८८)
भृंगराज(भेंगरिया)
(८९)
अधोपुष्पी
(९०)
मीनाक्षी
(९१)
अडूसा(वासा)
(९२)
तरंगिनी
(९३)
गिलोय(गुरीच)
(९४)
शतावरी
(९५)
बावची(वाकुची)
(९६)
वनतुलसी
(९७)
तुलसी
(९८)
कुशा
(९९)
इक्षुमूल
(१००)
सर्षपमूल
उक्त सौ वनस्पतियों की सूची में
विद्वानों में किंचित मतभेद भी है।कुछ विद्वान एक ही वनस्पति के दो अंगों को
अलग-अलग ग्रहण कर लिए हैं- संख्या पूर्ति हेतु- जैसे वदरी(बेर) के पत्ते और बेर की
जड़। कई पुस्तकों का अवलोकन करने के बाद मैंने स्वविवेक से सूची में किंचित
परिवर्तन किया है।इसमें द्रव्यों की महत्ता का ध्यान रखा गया है।कुछ नामों का
क्षेत्रीय नाम भी सुविधा के लिए डाल दिया गया है।सतत प्रयास के पश्चात् भी कुछ
वनस्पतियों के नाम,रुप पर भ्रम बना हुआ है।विद्वानों से आग्रह है कि कृपया यथोचित
संकेत करने का कष्ट करेंगे।इस सम्बन्ध में मैं भी प्रयासरत हूँ- नयी जानकारी मिलने
पर पुनः यहां संशोधित करुंगा।
-------()()()-------
Comments
Post a Comment