अध्याय १३ (ग) रंग,राशि,मित्रामित्र चक्र
राशि-स्वामी-मित्र-शत्रु-वर्णादि बोधक चक्रम्
राशि
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स्वामी
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मित्र
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शत्रु
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सम
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निजवर्ण
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स्वामीवर्ण
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मित्रवर्ण
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शत्रुवर्ण
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समवर्ण
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मेष
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मंगल
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सू.च.गु.
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बुध
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शु.श.
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रक्त
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रक्त
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र.श्वे.पी.
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हरित
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श्वे.नी.
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वृष
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शुक्र
|
बु.श.
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च.सू.
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मं.गु.
|
श्वेत
|
श्वेत
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ह.नी.
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श्वे.र.
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र.पी.
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मिथुन
|
बुध
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शु.सू.
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चन्द्र
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गु.श.मं
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हरित
|
हरित
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श्वे.र.
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पी.श्वेत
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पी.नी.र.
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कर्क
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चन्द्र
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सू.बु.
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मं.गु.शु
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श्वेतारुण
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पीतश्वेत
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र.ह.
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---
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र.पी.श्वे.
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सिंह
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सूर्य
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मं.गु.च.
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शु.श.
|
बुध
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पाण्डुर
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रक्त
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र.पी.श्वे.
|
श्वे.नी.
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हरित
|
कन्या
|
बुध
|
शु.सू.
|
चन्द्र
|
गु.श.मं
|
विचित्र
|
हरित
|
श्वे.र.
|
पी.श्वेत
|
पी.नी.र
|
तुला
|
शुक्र
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बु.श.
|
च.सू.
|
मं.गु.
|
कृष्ण
|
श्वेत
|
ह.नी.
|
श्वे.र.
|
र.पी.
|
वृश्चिक
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मंगल
|
सू.च.गु.
|
बुध
|
शु.श.
|
कनक
|
रक्त
|
र.श्वे.पी.
|
हरित
|
श्वे.नी.
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धनु
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गुरु
|
सू.च.मं.
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बु.शु.
|
शनि
|
पिंगल
|
पीत
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र.श्वे.र.
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ह.श्वे.
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नील
|
मकर
|
शनि
|
शु.बु.
|
सू.च.मं
|
गुरु
|
कर्बुर
|
नील
|
श्वे.ह.
|
र.श्वे.र.
|
पीत
|
कुम्भ
|
शनि
|
शु.बु.
|
सू.च.मं
|
गुरु
|
वभ्रुव
|
नील
|
श्वे.ह.
|
र.श्वे.र.
|
पीत
|
मीन
|
गुरु
|
सू.च.मं.
|
बु.शु.
|
शनि
|
स्वच्छ
|
पीत
|
र.श्वे.र.
|
ह.श्वे.
|
नील
|
ऊपर की सारिणी में राशि,उनके
स्वामी-ग्रह,उनके मित्र-शत्रु-सम ग्रह,तथा राशियों का निजरंग,स्वामी का
रंग,मित्र,शत्रु और सम ग्रहों का रंग दर्शाया गया है।भवन के बाहर और भीतर के रंगो
के चुनाव के लिए इस सारणी का प्रयोग करना चाहिए।
भवन-निर्माण
के पश्चात् उसकी अन्तःवाह्य साज-सज्जा की बात आती है।रंग-रोगन किया जाता है।इस
सम्बन्ध में भी वास्तुशास्त्र के विशिष्ट निर्देश हैं, जिनका पालन यथासम्भव करना
चाहिए।मनमाने ढंग से किया गया रंग-रोगन भी कभी-कभी अति हानिकारक हो जाता है।
भवन
का बाहरी हिस्सा सफेद हो तो सर्वोत्तम है,क्यों कि शुभ्रता(सफेदी) सात्त्विकता का
बोधक है।इसके अतिरिक्त गृहस्वामी अपनी नामराशि के अनुकूल रंगों का चुनाव कर सकता
है।नाम राशि के अनुकूल रंग पसंद न हों तो मित्र रंगों का चयन करे,वह भी न जंचे तो
अन्तिम विकल्प है- सम रंगों का चयन। शत्रु-रंग
का चयन कदापि न करें।रंग-चयन का यह नियम सिर्फ भवन के बाहर या भीतर के रंगों
के लिए ही नहीं,बल्कि शैय्या,वस्त्र आदि के भी पालनीय है।जो जितना इन नियमों का
पालन करेगा,उसका जीवन उतना ही सुखमय होगा।
बाहरी
दीवारों का गृह-स्वामी की राशि के अनुकूल होना आवश्यक है। भीतरी कमरों का रंग
उसमें रहने वाले अन्य सदस्यों की राशि के अनुकूल हो सकता है। यथा- चार बेटे
अपने-अपने कमरों के लिए अपनी-अपनी राशि के अनुकूल रंगों का चुनाव कर सकते हैं;किन्तु
रसोई घर का रंग मंगल के अनुकूल ही होना चाहिए। बैठक आदि सार्वजनिक कक्ष के रंग का
चुनाव करने के लिए सिर्फ गृह स्वामी के प्रतिकूल रंगों से बचना जरुरी है।
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