Posted by kamlesh punyark
punyarkkriti.blogspot.com
-३२- विवाहसंस्कार की प्रथम प्रक्रियाःकुण्डलीमिलान कितना उचित, कितना व्यावहारिक लड़का-लड़की के विवाह हेतु दोनों की जन्मकुण्डली का मिलान करने की परम्परा है, जिसे मेलापकविचार, अष्टकूटमिलान, गणनादेखना या गुणमिलाना कहते हैं। इस क्रम में हम क्या करते हैं, क्या करना चाहिए, परम्परा कब से है, कितना सार्थक है, कितना व्यावहारिक है, कितना आवश्यक है इत्यादि विचारणीय विन्दु हैं। किन्तु इन विन्दुओं पर विचार करने से पूर्व विवाह-परम्परा और प्रकार पर विहंगम दृष्टिपात कर लेना समीचीन होगा। दैवी, ब्राह्मी , मानसी सृष्टि की विडम्बनापूर्ण स्थिति में— ‘ ‘ एकाकी न रमते सो कामयत ’ वा ’ एकोहं बहुस्यामः ’ — ईक्षणा से मैथुनी सृष्टि की आवश्यकता प्रतीत हुई। उस समय प्रकृति का विमर्श (पुरुष) ने अपने ही दक्षिण-वाम भागों से क्रमशः पुरुष-स्त्री युग्म उत्पन्न किया और मैथुनी सृष्टि का श्रीगणेश हुआ। किन्तु ये व्
- Get link
- Other Apps