ये कुम्भ योग बना कैसे ? (विगतआलेख में भारत के चार स्थानों पर आकाशीय ग्रह-योगों के आधार पर कुम्भयोग घटित होने की वैदिक-पौराणिक प्रमाणों सहित विस्तृत चर्चा की गई। विदित हो कि अभी जनवरी २०२५ ई. में तीर्थराज प्रयाग में महाकुम्भपर्व का मेला लगा हुआ है। इस पर कुछ बन्धुओं को संशय हो रहा है कि ये कुम्भयोग बना कैसे ? अतः इसपर किंचित् पुनर्विचार करते हैं) तीर्थराज प्रयाग में कुम्भपर्व घटित होने के सम्बन्ध में ये ऋषिवाक्य उपलब्ध हैं— मकरे च दिवानाथे ह्यजगे च वृहस्पतौ । कुम्भयोगो भवेत्तत्र प्रयागे ह्यदि दुर्लभः।। (मकरराशि के सूर्य और (हि+अज+ग = अज) मेष राशिगत बृहस्पति की स्थिति में भी अति दुर्लभ कुम्भयोग प्रयाग में होता है।) माघे मेष गते जीवे मकरे चन्द्रभास्करौ। अमावस्या तदा योगः कुम्भाख्यस्तीर्थ नायके।। (माघमास में मेष राशि पर गुरु और मकर राशि के सूर्य-चन्द्र(अमावस्या)में हों तो तीर्थराज प्रयाग में कुम्भपर्व घटित होता है) मेषराशिं गते जीवे मकरे चन्द्रभास्करौ । अमावस्या तदा योगः कुम्भाख्यतीर्थनाथके।। (देवगुरु बृहस्पति मेष राशि पर एवं चन्द्रमा-सूर्य मकर रा...
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