वासन्तिक नवरात्र , श्री रामनवमी एवं मेषसंक्रान्ति विचार—

वासन्तिक नवरात्र , श्री रामनवमी एवं मेषसंक्रान्ति विचार—
जैसा कि आपको विदित है- वासन्तिक नवरात्र का शुभारम्भ शनिवार, दिनांक ६अप्रैल को हो चुका है । इस बीच की कोई तिथि पूर्णकालिक भोग वाली नहीं है । अगले शनिवार यानी १३ अप्रैल को गया समयानुसार प्रातः ८ बजकर ८ मिनट पर अष्टमी तिथि की समाप्ति होकर नवमी का प्रवेश हो जा रहा है, जो आगे रविवार १४ अप्रैल को प्रातः ५बजकर ५२मिनट पर ही समाप्त हो जा रहा है । ध्यातव्य है कि श्रीरामनवमी का त्योहार मध्याह्न व्यापिनी मनाया जाना चाहिए, क्यों श्रीराम का जन्म चैत्रशुक्ल नवमी को मध्याह्न में हुआ था । ये ठीक विपरीत स्थिति है श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव से । वहां अर्द्धरात्रि है और यहां मध्याह्न । चुंकि रविवार को दोपहर में नवमी तिथि का भोग नहीं है, इस कारण शनिवार को ही मध्याह्न में रामनवमी का उत्सव मनाना चाहिए । यहां तिथि को मिलने वाले सूर्यबल यानी उदयातिथि का विचार न करके उत्सवकालिक भोग का विचार करना ही श्रेयस्कर है । तदनुसार नवदिवसीय पाठों का समापन एवं होमादि कर्म भी शनिवार को ही सम्पन्न कर लेना चाहिए । नवरात्र व्रतियों को ध्यान देना है कि रविवार को सूर्योदयोपरान्त गया समयानुसार प्रातः ५बजकर ५२मिनट के पश्चात ही व्रत की समाप्ति करे यानी पारण करे । प्रायः ऐसी चूक लोग अनजाने में कर बैठते हैं कि तिथि की हानि होने पर या पाठ-होमादि समाप्ति के पश्चात व्रत भी समाप्त मान लेते हैं, जब कि वस्तुतः व्रत की समाप्ति अगले दिन होना चाहिए । 
संयोग से इसी दिन मेषसंक्रान्ति भी है । गया समयानुसार अपराह्न में ४.०७ मिनट पर सूर्य का राशि परिवर्तन हो रहा है । अतः संक्रान्तिजन्य पुण्यकाल दोपहर १२ बजकर ७ मिनट से सूर्यास्त पर्यन्त रहेगा । स्नान,दानादि कर्म इसी शुभबेला में करणीय होंगे । अस्तु ।

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