पुण्यार्कवनस्पतितन्त्रम्-18

(12)              कपित्थ (कैंत,कैंथ) का बाँदा- यह गणेशजी का प्रिय फल है- कपित्थ जम्बू फल चारु भक्षणम्....एक अद्भुत गुण है इस फल में- हाथी को साबूत फल खिला दें। अगले दिन उसके मल में सीधे समूचा फल मिल जायेगा,किन्तु फोड़कर देखने पर आप हैरान रह जायेंगे- उसके अन्दर का गूदा गायब रहेगा।खट्टे-मीठे स्वाद वाला कैथ देखने में ठीक वेल जैसा होता है,सिर्फ दोनों के रंग में भेद है।कपित्थ भूरे रंग का होता है।कपित्थ का बाँदा किसी अत्याधुनिक बूलेटप्रूफ जैकेट से जरा भी कम नहीं,वशर्ते कि सही समय सही ढंग से इसे प्राप्त कर विधिवत तैयार किया जाय। कृत्तिका नक्षत्र में कपित्थ-बाँदा को यथाविधि घर लाकर पूर्व निर्दिष्ट विधान से स्थापन-पूजन करके पूजा-स्थान में ही सुरक्षित रख दें।जैसा कि अन्यान्य बाँदा प्रयोगों में कहा गया है- शिव-शक्ति मन्त्रों का यथोचित जप-होमादि विधिवत सम्पन्न करना चाहिए।इसके बाद कम से कम एक सौ आठ आवृत्ति देवी कवच का पाठ करना भी इस प्रयोग में आवश्यक है।ध्यातव्य है कि जप-पाठ आदि सभी कार्यों में देव-प्रतिमा की तरह चौकी वगैरह पर ऊँचा स्थान देकर इसे स्थापित कर, अपने  सामने ही रखना चाहिए।प्रयोग के समय पुनः एक आवृत्ति कवच और एक-एक माला पूर्व प्रयुक्त दोनों मन्त्रों का प्रयोग अवश्य कर लें।इसे ताबीज के रुप में एक साथ दोनों भुजा और गले में धारण करना चाहिए।
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