पुण्यार्कवास्तुमंजूषा-18

अध्याय ग्यारह का शेषांश...
वास्तुभूमचयन (३)

(३) खण्ड विचार-
          उक्त प्रकार से नगर के नौ खण्डों का एक और प्रयोग है- अबकहा चक्र के अनुसार नाम राशि की जानकारी कर ले;एवं निम्न सारणी के अनुसार अपने लिए उपयुक्त स्थान का चुनाव करे।नीचे के चक्र में निषिद्ध राशियों की चर्चा की गयी है। यथा- वृश्चिक राशि वालों के लिए पूरब दिशा में वास करना निषिद्ध है।इस सिद्धान्त के अनुसार केन्द्रीय भाग में वृष,मिथुन,सिंह और मकर राशि वालों को भवन निर्माण नहीं करना चाहिए।
          सुविधा के लिए निम्नांकित चक्र में राशि के साथ वर्ग निर्देश भी है।किन्तु ध्यान रहे कि निषिद्ध राशि है,और विहित वर्ग है। उपर्युक्त सारणी के अनुसार ही यहाँ भी अ,क,च,ट,त,प,य,एवं श वर्ग दर्शाये गये हैं। केन्द्रीय भाग के सम्बन्ध में ऋषियों में मतान्तर है।कुछ ऋषि का कहना है कि मध्य में सबको समान अधिकार है।जबकि कुछ का विचार है कि वृष,मिथुन,सिंह और मकर राशि वाले व्यक्तियों को मध्य खण्ड से यथासम्भव बचना चाहिये।इसमें कोई विषेश विरोधाभास जैसी बात नहीं है।बात सिर्फ इतनी ही है कि उक्त चार राशि वाले
 लोगों पर केन्द्रीय स्थान का कुछ विशिष्ट दुष्प्रभाव है।अतः उन्हें इस स्थान से परहेज करना चाहिये।
  उत्तर
     

तुलाराशि
प वर्ग(वायु)
मूषक
मेषराशि
य वर्ग (उत्तर)
मृग
कुम्भराशि
श वर्ग(ईशान)
मेष
धनुराशि
त वर्ग(पश्चिम)
सर्प
वृष,मिथुन,सिंह,मकर
 कोई बली नहीं
     मध्य
वृश्चिकराशि
अ वर्ग (पूरब)
गरूड.
कर्कराशि
ट वर्ग(नैऋत्य
स्वान
कन्याराशि
च वर्ग (दक्षिण)
सिंह
मीनराशि
क वर्ग(अग्नि
मार्जार

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