पुण्यार्कवास्तुमंजूषा-47

गतांश से आगे...
अध्याय १३(ख)संरचना सम्बन्धी विशेष बातें(3)


३.सिंहद्वार- परिसर का मुख्य प्रवेशद्वार कुछ विशिष्ट ऊँचाई-चौड़ाई,और कलात्मक संरचना वाला होना चाहिए।मार्ग की स्थिति के हिसाब से मुख्यद्वार का निर्धारण किया जाना चाहिए।इसके लिए मुख्यद्वार विशेष विचार नामक अध्याय में बताये गये नियमों का पालन होना चाहिए।मुख्य द्वार के अतिरिक्त स्थिति के अनुसार सहद्वार भी अवश्य बनाना चाहिए।सम्भव हो तो प्रत्येक दिशाओं में एक-एक सह द्वार रखा जाय,किन्तु सबका आकार मुख्य द्वार से अष्टमांश या द्वादशांश न्यून हो। सहद्वार की दिशा और स्थान के सम्बन्ध में भी उक्त द्वारविचार प्रसंग का अवलोकन करना चाहिए।परिसर बहुत बड़ा हो तो आवश्यकतानुसार और भी रास्ते रखे जा सकते हैं,किन्तु द्वार-विचार-नियम के अनुकूल ही,अन्यथा छोटी सी त्रुटि कभी-कभी बड़ा कुप्रभाव छोड़ जाती है।
क्रमशः...

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