गतांश से आगे...
अध्याय १३.वास्तु मण्डल-(ख)अन्तःवाह्य संरचना(कहां क्या?)सातवां भाग
९.कमरों के भीतर ऊपरी ब्रैकेट आदि- भंडार घर में चौखट-स्तर(door level)या उससे ऊपर सामान रखने के लिए ब्रैकेट
चारो ओर बनाया जा सकता है,शेष कमरों में सिर्फ पश्चिम-दक्षिण में ही ब्रैकेट बनाना
उचित है।अन्यथा कमरे में वास्तु-दोष हावी होगा।दूसरी बात यह ध्यान में रखने योग्य
है कि इन छज्जों पर आप रख क्या रहे हैं- कहीं ये व्यर्थ का कवाड़ तो इकट्ठा नहीं
हो रहा है, जिसका साफ-सफाई सिर्फ दीपावली में ही हो पाये।प्रायः ऐसे स्थान पर
व्यर्थ के कार्टून,डब्बे,खाली अनुपयोगी बरतन या कुछ टूटे-फूटे सामान रख दिये जाते
हैं, और सुन्दर पर्दा लगाकर उन्हें ढक भी दिया जाता है।अतः जहाँ तक हो सके ऐसा
स्थान न बनायें,और यदि बनाते हैं तो वस्तु और रख-रखाव का ध्यान रखें।
१०.फर्श -कच्ची मिट्टी की जमीन का तो चलन ही लगभग
समाप्त सा है। हर कोई को पक्का फर्श ही सुविधाजनक लगता है,जबकि ड्योढ़ी और आंगन के
कच्चापन का अहं महत्त्व है।वास्तुमंडल में शुक्र को संतुलित करने का
सर्वोत्तम उपाय है- गोवर से लीपना।अब भला संगमरमर.सेरेमिक,और सीमेंट को गोबर से
लीपेंगे कैसे? फर्श की महत्ता यथासम्भव पालनीय है।फर्श के विषय में इस बात का भी
ध्यान रखना जरुरी है कि अत्यधिक चमकदार टाइलें लगा कर फर्श को आईना न बना दें।फर्श
में चेहरा दीखना रोग-शत्रु-काल को निमंत्रित करना है। फर्श के रंग के लिए अगले
अध्याय- रंग-राशि-योजना को देखना चाहिए।
क्रमशः...
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