गतांश से आगे...
अध्याय १३.वास्तु मण्डल-(ख)अन्तःवाह्य संरचना(कहां क्या?) भाग नौ
अध्याय १३.वास्तु मण्डल-(ख)अन्तःवाह्य संरचना(कहां क्या?) भाग नौ
१३.परिसर की
साज-सज्जा-(उद्यान,वाटिका,फौब्बारा आदि)- परिसर में छोटे-छोटे फूल के पौधे आदि
पूरब-उत्तर दिशा में लगाना चाहिए।मध्यम आकार के पौधे- कटहलीचम्पा,गुलैची,कनेर,हरसिंगार
आदि पश्चिम-दक्षिण दिशा में लगाये जायें।
v शमी का पौधा आजकल हर घर में लगाने का फैशन हो गया है।इसे
लोग दिशा विचार किये वगैर,प्रायः मुख्य द्वार पर लगा देते हैं।अनाड़ी
वास्तुशास्त्री पवित्र श्रेणी के पौधों की सूची में रखते हुए प्रवेश/निकास के समय
दाहिने होने का लाभ भी सुझा देते हैं;किन्तु यह बहुत ही गलत है।यह सही है कि शमी
एक पवित्र पौधा है,किन्तु इसका स्थान विचार तो करना ही होगा।श्रृंगार प्रसाधन-काजल
आँखों की शोभा भले बढ़ाता हो,नाक पर लग जाय तो कालिख ही कहलायेगा। शमी का पौधा शनि
का है,और इनका स्थान वास्तुमंडल में मध्य पश्चिम में हैं,अतः उसी स्थान पर या उसके
आसपास लगाना सही होगा।अन्य स्थान- विशेष कर सूर्य,चन्द्रमा, बुध,गुरु आदि के स्थान
पर लगाना विपरीत फलदायी होगा।
क्रमशः...
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