पुण्यार्कवास्तुमंजूषा-100

गतांश से आगे...अध्याय अठारह -भाग पन्द्रह

6.क्लब,जिम,कसीनो आदिः-क्लब,जिम,कसीनो(जूआखाना) आदि मुख्य रुप से शुक्र,राहु,शनि,और आंशिक रुप से मंगल,एवं अत्यल्प रुप से चन्द्रमा के अधिकार क्षेत्र के व्यवसाय हैं।क्लब के कई स्तर हैं।यथा-बड़े अफसरों,व्यापारियों, विद्यार्थियों,महिलाओं आदि के लिए प्रायः अलग-अलग क्लब हुआ करते हैं।स्तर के मुताबिक ही उनका आन्तरिक कार्य-कलाप होता है।सामान्य मिलने-जुलने, इनडोर गेम्स खेलने से लेकर निम्न स्तरीय क्रियायें भी प्रायः क्लबों में होती हैं। पीने-पिलाने का दौर भी चलता है।
   क्लबों का संचालन प्रायः अनार्थिक(अव्यवसायिक) दृष्टि से  होता है,जहाँ सदस्यता लेकर लोग जुड़ते हैं,और व्यवस्था का व्यय-वहन मिलजुल कर करते हैं।इससे बिलकुल भिन्न प्रकृति और उद्देश्य वाला होता है- जिम,जहाँ आधुनिक स्वास्थ्य-रक्षण के गुर सीखने-सिखाने की व्यवस्था होती है।प्राचीन अखाड़ों का आधुनिक और किंचित विकृत रुप इसे कहा जा सकता है।यह औषधालय नहीं है,योगालय भी नहीं है।यह है-व्यायामशाला।बॉडी-बिल्डिंग के लिए प्राचीन से लेकर आधुनिक व्यायाम के साधन यहाँ उपलब्ध होते हैं।यह भी प्रायः दो तरह का होता है-एक मासिक शुल्क वाला,और दूसरा- क्लबनुमा सदस्यता शुल्क और व्यवस्था-व्यय वहन कर।
  जुआखाना विशुद्ध रुप से व्यावसायिक है।वैसे जुआरियों के भी क्लब हुआ करते हैं।
सामान्य तौर पर देखा जाय तो इन सब बातों में वास्तु-विचार कौन करता है ! किन्तु वास्तुशास्त्री तो प्रत्येक वास्तु का विचार करेगा ही।यहाँ इनसे सम्बन्धित कुछ नियमों की चर्चा की जारही है-
§  सामान्य तया क्लब का प्रवेश-द्वार दक्षिण को छोड़ कर किसी भी दिशा में रखा जा सकता है।
§  प्रबन्धक को नैऋत्य कोण में सुविधानुसार बैठना चाहिए।उसका मुख-दिशा ईशान की ओर हो तो अच्छा है,यानी कोने में तिरछे या गोलाकार काउण्टर पर बैठा जा सकता है।
§  पेयजल(नलका,वेसिन,फिल्टर आदि)ईशान में रखे जायें।किन्तु फ्रिज रखना हो तो अग्नि या फिर विलकुल विपरीत- वायुकोण में रखे।
§  आधुनिक उपकरण- कम्प्यूटर,फोन,फैक्स आदि नैऋत्य के काउम्टर पर भी रखे जा सकते हैं।
§  विलियर्ड,टेबल-टेनिस आदि के वोर्ड को विलकुल मध्य से बचाकर,वहीं आसपास किसी ओर रखा जा सकता है।
§  अन्य मेजों को सुविधानुसार चारों ओर सजा सकते हैं।चारों ओर किनारे से कुर्सियाँ सजायी जा सकती हैं,जिन्हें आवश्यकतानुसार सभागार (meeting hall)के रुप में व्यवहृत किया जा सके।
§  पीकदान,कूड़ादान समुचित स्थान पर रखे जायें(द्रष्टव्य- शुभाशुभ ऊर्जा-प्रवाह-क्षेत्र)।
§  टी.वी.पश्चिम,दक्षिण के दीवारों पर लगाया जा सकता है।
§  व्यायामशाला में भारी सामानों को दक्षिण-नैऋत्य-पश्चिम पर्यन्त रखे जायें।
§  व्यायाम करते समय मुंह पूर्व-उत्तर हो तो अच्छा है।पश्चिम द्वितीय श्रेणी में आता है,और दक्षिणमुख से तो सदा बचना चाहिए।
§  पंखे के ठीक नीचे व्यायाम कदापि न करें।
§  सायकलिंग,जॉगर आदि विभिन्न उपकरण वायुकोण से उत्तर पर्यन्त रखना अनुकूल है।
§  जिम-इनट्रक्टर का नियत स्थान पश्चिम दिशा(पूर्वाभिमुख)होना चाहिए। वहीं से उठकर आवश्यकतानुसार प्रशिक्षुओं के पास जाया करें।
§  जुआखाने पर सीधे शुक्र का और आंशिक, राहु का आधिपत्य है,अतः इसे आग्नेय,दक्षिण या नैऋत्यमुखी भी रखने में कोई हर्ज नहीं है।
§  जुआखाने का कोई भी महत्वपूर्ण काम उत्तर-पूर्व में न हो तो अति उत्तम, अन्यथा भारी संकट(तोड़फोड़,लड़ाई-झगड़े),कानूनी शिकंजा झेलना पड़ सकता है।
§  जुआखाने के टोकन प्रबन्धक के मेज पर रखा जाय,जिसका काउण्टर नैऋत्य क्षेत्र में हो।
§  अग्निकोण में लकड़ी के टुकड़े पर दुधिया कपड़ा विछा कर, चांदी का एक सिक्का रखे और नित्य उसकी यथारीति पूजा करे तो काफी लाभदायक रहेगा।
§  नैऋत्य कोण में लाल कपड़ें में बांधकर, गोमूत्र-सिक्त जौ की बड़ी पोटली रख दे या लटका दें।यह टोटका भी बहुत लाभदायक है।
§  सभी प्रकार के सट्टेवाजी शुक्र और राहु के ही विषय हैं।
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क्रमशः...

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