गतांश से आगे...अध्याय अठारह,भाग सत्रह
शुक्र प्रधान व्यवसाय होते हुए भी अग्नि और दक्षिण मुखी न हों,भले ही इसमें राहु-मंगल का भी योगदान
है।
ज्वेलरी की दुकान में विभिन्न प्रकार के रत्नों के साथ सोने-चांदी के आभूषण
भी रखे जाते हैं,इस सम्बन्ध में पूर्व अध्यायों में वर्णित नियमों का पालन करना
चाहिए(धातु-रत्न-ग्रह-सारणी द्रष्टव्य)।
रत्नाभूषण की दुकान पूर्व-उत्तर मुखी ही उत्तम है।परिसर के अग्नि कोण पर हो
सकता है,किन्तु अग्निमुखी नहीं।
लॉकर समुचित स्थान पर ही रखा जाय(मध्योत्तर- कुबेर की दिशा में)।
माप-तौल के उपकरण अपने से सामने या दाहिने हो,न कि बायें।
दुकान की आन्तरिक सज्जा में राशिरंगयोजनाध्याय में कथित नियमों का सम्यक्
पालन होना चाहिए।
व्यूटीपार्लर- पुरूष एवं स्त्रियों के लिए आजकल काफी चलन में हैं,जहाँ
साजश्रृंगार के साथ-साथ बालों की कटाई-छंटाई भी आवश्यक रुप से होती है- राहु-शनि
का योग हो जाता है।विभिन्न रसायनों का उपयोग भी काफी मात्रा में किया जाता
है।यथासम्भव वास्तु नियमों का पालन अपेक्षित है।
ग्राहकों के बैठने की सीटें चारों ओर से हों तो कोई बात नहीं,किन्तु किसी एक
या अधिक दिशाओं में हो तो दक्षिण मुख से बचें।
गर्म पानी के उपकरण(हीटर,गीजर,इमर्सन आदि)अग्निकोण में हो तो अच्छा है।
पानी का नलका उत्तर-ईशान-पूरब पर्यन्त कहीं भी सुविधानुसार रखाजाय।
प्रसाधन(मेकअप) के सामान सीधे शुक्र की वस्तुयें हैं,जिनमें मंगल का भी
प्रचुर योगदान है।इन्हें अग्नि कोण से लेकर दक्षिण पर्यन्त कहीं भी रखा जाय।
कटे-छंटे बालों के लिए दक्षिण और नैऋत्य के बीच,तथा नैऋत्य और पश्चिम के बीच
के भाग में कूड़ादान रखा जाय,और नित्य उसकी सफाई अनिवार्य रुप से की जाय,अन्यथा
दुकान पर राहु-केतु-शनि का प्रकोप होगा।
दुकान में हल्दी-फिटकिरी-नमक के मिश्रण(या अकेले-अकेले)को पानी में घोल कर
नित्य पोंछा लगाया जाय।
दुकान के प्रवेश-द्वार पर अभिमंत्रित वास्तु वंशी लगान बहुत ही लाभदायक होता
है।(द्रष्टव्य वास्तुदोषनिवारण प्रयोगाध्याय)।
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क्रमशः...
8.ब्यूटीपॉर्लर,ज्वेलरी शॉप- कुछ खास बातें-














क्रमशः...
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