नये सम्बत्सर का राशिफल



सम्वत् २०७३ का नया पञ्चांग ८ अप्रैल २०१६ से लागू हो गया है, जो आगामी २८ मार्च २०१७ तक जारी रहेगा। आंग्ल नववर्ष (कैलेन्डरइयर) प्रारम्भ होने के बाद कई बन्धुओं ने आग्रह किया था राशिफल पोस्टिंग के लिये,किन्तु पुराने सम्पर्की बन्धु जानते हैं कि मैं साम्वत्सरिक राशिफल पोस्ट करता हूँ। हर वर्ष की भांति इस बार भी वार्षिक (साम्वत्सरिक)राशिफल प्रस्तुत किया जारहा है।
नये सम्वत् के सम्बन्ध में कुछ खास बातें जानने योग्य हैं,जिन्हें यहां प्रस्तुत कर रहा हूँ। वर्ष के प्रारम्भ में सौम्य नामक सम्वत्सर रहेगा,किन्तु ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया सोमवार,दिनांक २ मई २०१६ के दिन में ११बजकर १ मिनट से साधारण नामक सम्वत्सर का प्रवेश हो जायेगा,किन्तु वर्ष पर्यन्त संकल्पादि में सौम्य सम्वत्सर का ही विनियोग करना चाहिए,क्यों कि नियम है कि वर्षप्रवेश में जो नामधारी है,वही आगे भी संकल्पित होना चाहिए। ऐसा प्रायः हर वर्ष ही होता है।
इस सम्वत् के प्रवेश के साथ-साथ कलियुग का ५११७ वर्ष व्यतीत हो जायेगा। प्रत्येक सम्वत्सर के एक राजा और मन्त्री हुआ करते हैं,जिनके स्वभावानुसार प्रजाजन सुख-दुःखादि भोग करती है। इस बार के राजा शुक्र हैं,और मन्त्री बुध। राजा और मन्त्री में परस्पर मैत्री सम्बन्ध होने के कारण प्रत्यक्षतः भी उच्चाधिकारियों में मधुर सम्बन्ध बने रहने की आशा की जा सकती है। जगत लग्न के विचार से लग्नेश मंगल हैं,जो स्वगृही होने के कारण विश्व के अन्यान्य राष्टों के साथ भारत के अधिकाधिक मधुर सम्बन्ध का संकेत दे रहे हैं। पड़ोसी राष्टों से भी सम्बन्ध सामान्य प्रायः ही रहेंगे। मंगल के प्रभुत्व के कारण भारत का दबदबा हावी रहेगा,भले ही थोड़े विघ्न यदाकदा प्रतीत हों। विशाल राष्ट्र में छिटफुट घटनाओं की आशंका भी है,फिर भी समग्र रुप से कहा जा सकता है कि शासन और प्रसाशनिक व्यवस्था सुशान्तिपूर्ण रहते हुए देश विकासोन्मुख रहेगा। विज्ञान और तकनीक का विशेष विकास योग प्रतीत हो रहा है। अन्तरिक्ष अनुसन्धान कार्य में कुछ आशातीत सफलता के आसार दीख रहे हैं। सुरक्षा की दृष्टि से भारत अपेक्षाकृत अत्यधिक सुदृढ़ होगा। बाहरी निवेश भी बढ़ेंगे। व्यावसायिक विकास विशेष रुप से होने के आसार हैं। हालाकि वर्षा गत वर्ष की तुलना में अच्छी होनी चाहिए,फिर भी देश के कुछ भागों में सूखे की स्थिति भी अवश्य बनी रहेगी,क्यों कि जल समायोजन सन्तुलित नहीं दीखता। ९ मई २०१६ को अन्तरिक्ष में एक अद्भुत घटना घटेगी- सूर्य के बिम्ब पर बुधग्रह का पारगमन होगा। विष्णुनगरी गया के समयानुसार यह दृश्य अपराह्न चार बजकर तैंतीस मिनट से सूर्यास्त काल तक देखा जा सकेगा। देश के पूर्वी भागों में इससे पहले,और पश्चिमी भागों में बाद में देखा जा सकेगा। हाँ, इस अनोखे सम्मिलन को नंगी आँखों से देखने का प्रयास न किया जाय,जैसा कि सूर्यग्रहण में भी कहा जाता है।
राशि फल
           राशिफल विचार पहले परम्परा थी,किन्तु अब फैशन का रुप ले लिया है। मेष संक्रान्ति(१४ अप्रैल) को लोग विशुआन मनाते थे- नवान्न(रबी-फसल)तैयार हो जाता है उस समय तक। जौ-चना के सत्तू,गूड़,घी,अमौरी के साथ नया पंचाग भी दान करने की परम्परा थी। ब्राह्मण को अपने घर बुला कर, या उनके घर जाकर उक्त वस्तुयें अर्पित की जाती थी,और प्रतिफल में आगामी सम्वत् का राशिफल पूछा जाता था; किन्तु अब तो राशिफल बतलाने के लिए नित्य प्रातः मैडबॉक्स पर तरह-तरह के बाबा बैठे हुए हैं(जाति न पूछें साधु की,पूछ लीजिए ज्ञान- को चरितार्थ करते हुए)। अतः उनका ब्राह्मण होना कोई जरुरी नहीं है। ज्योतिष-महारथी होना भी जरुरी नहीं है। जरुरी है, सिर्फ बेधड़क लच्छेदार बोली की- भाषा की भी नहीं। जिन्हें लग्नेश और लग्नस्थ शब्द का अन्तर भी पता नहीं है,वे भी महिमामंडित हैं चैनेलों पर। जिज्ञासा भाव से कभी टी.वी.खोलने का साहस किया यदि, तो दो-चार को सुन कर सिर-दर्द होने लगता है। शुरु में तो लगा कि यह उच्चारण उनका ‘स्लिप-ऑफ-टंग’ है; किन्तु वस्तुतः ‘लैक-ऑफ-नॉलेज’ कहना अधिक उपयुक्त होगा। खैर,किसी मंडलेश्वर की आलोचना मेरा अभीष्ट नहीं है। मैं तो सिर्फ आंखें खोलने के लिए कहना चाहता हूँ- श्रद्धा बड़ी अच्छी बात है; किन्तु अन्धश्रद्धा (ब्लायन्ड ल्वायल्टी) बड़ी घातक हो सकती है। अस्तु।
          गत चार सम्वतों से फेशवुक एवं ब्लॉग पर राशिफल डालते आ रहा हूँ। इस क्रम में काफी लोगों ने सीधे सम्पर्क भी साधा,और मुझे उत्साहित किया। कुछ लोगों ने सुझाव भी दिए। विशेष जिज्ञासुओं को सीधे टेलीफोनिक संवाद करने का आग्रह रहता है मेरी ओर से, क्यों कि फेशबुक चैटिंग मुझे रुचिकर नहीं,किसी बन्धु के चैट शुरु कर देने पर मैं सिर्फ निर्वाह भर कर लेता हूँ। आशा है, आगे भी आपका स्नेह निरंतर मिलता रहेगा।
          आमतौर पर सीधे अपनी राशि जानकर फल देख लेने की परम्परा है; किन्तु इस सम्बन्ध में मैंने पिछली बार भी कहा था,पुनः स्मरण दिला रहा हूँ— फल-विचार सिर्फ राशि से न करके, लग्न से भी करें। जैसे- मेरी राशि कुम्भ है और लग्न सिंह। सटीक फल विचार के लिए राशिफल-विवरण में दिए गये दोनों फलों का विचार करके निश्चय करना चाहिए। मान लिया कुम्भ राशि का फल उत्तम है,किन्तु सिंह लग्न का फल प्रतिकूल है। ऐसी स्थिति में निश्चयात्मक परिणाम मध्यम होगा ।
          दूसरी बात ध्यान देने योग्य यह है कि आपके नाम का प्रभाव भी सामान्य जीवन में काफी हद तक पड़ता है। हमारे यहां विधिवत नामकरण-संस्कार की परम्परा थी। नाम सार्थक हुआ करते थे, उनका निहितार्थ हुआ करता था; किन्तु अब तो इंगलैंड-अमेरिका के कुत्ते-विल्लयों का नाम हम अपने बेटे-बेटियों का रखकर गौरवान्वित होते हैं। नियमतः नाम के प्रथमाक्षर की राशि के फल का भी विचार कर लेना चाहिए। इस प्रकार त्रिकोणीय दृष्टि से राशिफल-विचार करना सर्वोचित है।
    एक और,सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तथ्य,जिसे लोग प्रायः नजरअंदाज कर देते हैं— व्योम-मण्डल में सत्ताइस नक्षत्र और बारह राशियों के परिक्रमा-पथ पर विचरण करते हुए सूर्यादि नवग्रह(ध्यातव्य है कि अरुण, वरुण, यम को प्राचीन भारतीय ज्योतिष में स्थान नहीं है) भूमण्डलीय समस्त पद-पदार्थों को प्रभावित(नियन्त्रित)कर रहे हैं। विश्व की आबादी सात अरब से भी अधिक की है। इन्हें मात्र बारह भागों में विभाजित करके किसी ठोस फलविचार / निर्णय पर पहुँचना कितना बचकाना(नादानी)हो सकता है? सिर्फ राशि वा लग्न के आधार पर मनुष्य मात्र को बांट देना क्या सही और समुचित नियम हो सकता है? आपका उत्तर भी ‘कादापि नहीं’ ही होगा। आर्थिक,सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, शारीरिक,मानसिक आदि कई मापदण्ड होंगे इन्हें प्रभावित करने हेतु। इसके साथ ही अलग-अलग व्यक्तियों के जन्मकालिक ग्रहों की स्थिति,तथा वर्तमान(गोचर)स्थिति आदि कई बातों पर किसी व्यक्ति का वर्तमान और भविष्य आधृत होता है। राशि तो मात्र जन्मकालिक चन्द्रमा की स्थिति को ईंगित करता है,और लग्न जन्मकालिक कक्षों (भावों)की सांख्यिकी मात्र है। अतः फलविचार कितना सार्थक-कितना निरर्थक हो सकता है,आप स्वयं समझ सकते हैं। पुनः यह कहना आवश्यक नहीं रह जाता कि राशिफल के आधार पर अपने जीवन को आशा-निराशा,प्रसन्नता-अप्रसन्नता के झूले में हिचकोले खाने से बचावें,और अपना तात्कालिक कर्म यथोचित रीति से करने का प्रयास करें। अस्तु।
          सुविधा के लिए ‘अबकहा चक्र-सारणी’ भी राशिफल के साथ प्रस्तुत है। इससे उन लोगों को भी लाभ होगा, जिन्हें अपनी राशि और जन्म-समय आदि की सही जानकारी नहीं है।
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           विक्रम सम्वत् २०७३,शकाब्द १९३८,खृष्टाब्द २०१६-१७
          {८ अप्रैल २०१६ से २८ मार्च २०१७} तक का राशिफल
                               बारह राशियों का क्रमानुसार फल-विचार
१.मेष राशि- (चू,चे,चो,ला,ली,लू,ले,लो,अ)- मेष राशि के लोगों के लिए यह वर्ष (संवत्) सामान्य शुभदायक रहेगा। किन्तु शनि की अढ़ैया(लघुकल्याणी)के कारण किंचित पारिवारिक मतभेद और मानसिक अशान्ति का सामना भी करना पड़ सकता है। आर्थिक परेशानी भी झेलनी पड़ सकती है। अकारण,अवांछित यात्रायें हो सकती हैं। बच्चों का विकास होगा। वर्ष के प्रारम्भ में चोट-चपेट का खतरा भी है। आंखों में कुछ कष्ट हो सकता है। परिवार में कुछ शुभकार्य होने की सम्भावना है,जिसमें विशेष धन व्यय होंगे। माता-पिता को तीर्थयात्रा और अन्य धार्मिक कृत्य के अवसर मिलेंगे। व्यापारी वर्ग को विशेष लाभ होने की सम्भावना है। नौकरी पेशा से जुड़े लोगों को कोई खास लाभ नहीं है,फिर भी पदोन्नति जनित स्थिति लाभ हो सकता है। सम्वत का पहला,चौथा,सातवां और दसवां महीना थोड़ा कष्टकर हो सकता है। इन महीनों में कोई नया कार्य प्रारम्भ न करें। ध्यातव्य है कि ये महीने अंग्रेजी के नहीं वल्कि हिन्दी महीने से गिने जाने चाहिए। पहला यानी चैत्र,चौथा यानी आषाढ़,दसवां यानी पौष।  मेष राशि और लग्न वालों के लिए लाल चन्दन का तिलक लगाना लाभ दायक होगा। अपने आराध्यदेव की उपासना नियमित करते रहें। इससे ग्रहजनित बाधाओं में शान्ति मिलेगी। कुण्डली के अनुसार महादशा एवं अन्तर्दशापतियों की शान्ति के लिए जप-हवन आदि नियमित करना/कराना चाहिए।
२.वृष राशि- (ई,उ,ए,ओ,वा,वी,वू,वे,वो)- वृष राशि वालों के लिए यह संवत् सामान्य शुभदायक रहेगा। भूमि,भवन,वाहन आदि का सुखलाभ हो सकता है। नयी योजनायें फलीभूत हो सकती हैं। शुभकार्यों में धन का व्यय होगा। सप्तम स्थान पर दुष्ट-ग्रह-प्रभाव के कारण जीवनसाथी(पुरुष-स्त्री)का स्वास्थ्य किंचित चिन्ताजनक हो सकता है। सामान्य दाम्पत्य जीवन भी कटुतापूर्ण हो सकता है। व्यापार से जुड़े व्यक्तियों को विशेष लाभ के आसार दीख रहे हैं। नये व्यापार की स्थापना और सफलता के संकेत भी मिल रहे हैं। सहजस्थान की उन्नति के आसार है,यानी वृषराशि-लग्न वालों के भाई-बहनों की उन्नति का संकेत है। सम्वत् का पहला,पांचवां और नौवां महीना(चैत्र,श्रावण,एवं अगहन) कष्टकारक है। इन महीनों में कोई नवीन कार्य योजना न वनावें। शिव की आराधना से लाभ होगा। छतिवन की जड़ या छाल ताबीज में भर कर धारण करें। तत्काल शान्ति मिलेगी। अपने आराध्यदेव की उपासना नियमित करते रहें। इससे ग्रहजनित बाधाओं में शान्ति मिलेगी। कुण्डली के अनुसार महादशा एवं अन्तर्दशापतियों की शान्ति के लिए जप-हवन आदि नियमित करना/कराना चाहिए।
३.मिथुन राशि- (का,की,कु,घ,ङ,छ,के,को,हा)- मिथुन राशि वालों के लिए यह संवत्सर विशेष लाभदायक रहने की आशा है। भाई-बन्धुओं की उन्नति होगी। न्यायालय सम्बन्धी रुके हुए कार्यों में सफलता मिलने की आशा है। विरोधी का स्वतः शमन होगा। व्यापारी वर्ग को विशेष लाभ हो सकता है। छात्रों के लिए भी यह वर्ष शुभ प्रतीत हो रहा है। परिवार में मांगलिक कार्य होने की सम्भावना है। दाम्पत्य जीवन सुखमय होगा। भूमि,भवन,वाहन का समुचित लाभ हो सकता है। योजनायें सफल होंगी। धार्मिक प्रवृति बनी रहेगी,जिसके कारण मन हर्षित-प्रफ्फुलित रहेगा। विविध यात्रायें सफल होगीं। पहले से जारी निर्माण-कार्यों में अकारण बाधा आ सकती है। मन का भटकाव हो सकता है। कृषकों को विशेष लाभ हो सकता है। नौकरी पेशा वाले लोगों के उन्नति की सम्भावना है।  वर्ष का तीसरा,सातवां और ग्यारहवां महीना शुभकारी नहीं है। (महीने की गणना हिन्दी रीति से करें)  कटहल का पका फल मौसम में उपलब्ध हो तो एक-दो बार अवश्य खा लें। कटहल की पत्तियों पर लड्डुगोपाल की मूर्ति को स्थापित कर नित्य पूजन करें। आशातीत लाभ होगा।
४.कर्क राशि - (ही,हू,हे,हो,डा,डी,डू,डे,डो)- कर्क राशि के जातकों के लिए यह संवत् सामान्य शुभ रहेगा। अर्थ-व्यवस्था सुदृढ़ होने के आसार दीख रहे हैं। न्यायालय सम्बन्धी कार्यों में आशातीत सफलता मिलने की आशा है। पारिवारिक एवं दाम्पत्य जीवन सुखमय होना चाहिए,किन्तु बाल-बच्चों की ओर से थोड़ी चिन्ता हो सकती है। उन्हें शारीरिक कष्ट- रोग-बीमारी  विशेष रुप से सता सकती है। पठन-पाठन में भी बाधा पहुंच सकती है। पेट सम्बन्धी बीमारियां सता सकती है। यदि पहले से बीमार हैं,तो परेशानी और भी बढ़ सकती है- खास कर पेट सम्बन्धी परेशानी। नौकरी पेशा वाले लोगों के लिए उन्नति और लाभ के संकेत मिल रहे हैं। कृषकों को भी विशेष लाभ की सम्भावना है। थोड़ा परिश्रम करने पर आशातीत लाभ हो सकता है। पैदावार में वृद्धि होगी। व्यापारी वर्ग के लिए भी यह वर्ष(सम्वत्)उत्तम फलदायी है। धनार्जन के विशेष अवसर मिलेंगे। किन्तु आलस्यवश अवसर के लाभ से वंचित न हों। उत्साह पूर्वक नये कार्य का प्रारम्भ करें,लाभ अवश्य मिलेगा। सम्वत के तीसरे,सातवें और ग्यारहवें माह यानी ज्येष्ठ,आश्विन एवं माघ महीने में कोई नयी योजना पर पहल करना कष्ट और परेशानी दे सकता है,अतः इससे बचने का प्रयास करें। पुराने चले आरहे कार्यों में भी इन महीनों में सावधानी पूर्वक काम करें,अन्यथा अपयश और हानि की आशंका है। पलास के चार बीज लाल कपड़े में वेष्ठित(बांध कर) ताबीज की तरह धारण करें। पलास की लकड़ी और गोघृत से सोमवार की रात्रि में विधिवत हवन करें। इन उपचारों से बड़ी शान्ति मिलेगी,और सामयिक संकटों का निवारण होगा।
५.सिंह राशि - (मा,मी,मू,मे,मो,टा,टी,टू,टे)- सिंह राशि वालों के लिए यह संवत्सर आर्थिक संकट,पारिवारिक विवाद,शारीरिक कष्ट और मानसिक तनाव से भरा हो सकता है। शनि की अढ़ैया के कारण ये अशुभ लक्षण प्रायः वर्ष पर्यन्त प्रतीत होंगे। विरोधियों का बाहुल्य रहेगा। धन-धान्य की वृद्धि तो होगी,किन्तु फिर भी अर्थ-संकट बना रह सकता है। अपव्यय की अधिकाधिक आशंका है। स्थान परिवर्तन के भी योग हैं। विविध यात्रायें सफल हो सकती हैं। भूमि,भवन,वाहन आदि के सुख में वृद्धि हो सकती है। किन्तु वाहन दुर्घटना की भी आशंका है। माता-पिता एवं पत्नी/पति का स्वास्थ्य किंचित चिन्ताजनक रह सकता है। परिवार में मांगलिक कृत्य भी होने की आशा है। वर्ष के चौथे,आठवें और बारहवें महीने यानी आषाढ़, कार्तिक,और फाल्गुन महीने किंचित कष्टकारक हो सकते हैं। इन महीनों में कोई नवीन योजना न बनायें। कोई विशेष महत्त्वपूर्ण कार्य भी करने से परहेज करें। विविध कष्टों के निवारण के लिए शिव एवं हनुमद् आराधना शान्तिदायक होगा। वट वृक्ष का वरोह(ऊपर से नीचे की ओर लटकती जड़ें)जल में घिस कर तिलक लगायें। वरोह का छोटा टुकड़ा ताबीज में भर कर धारण करना भी लाभदायक होगा।
६.कन्या राशि- (टो,पा,पी,पू,ष,ण,ठ,पे,पो)- कन्या राशि वालों के लिए यह संवत्सर प्रायः शुभदायक रहेगा। विशेष कार्यों में सफलता मिल सकती है। सहजभाव पर कुप्रभाव के कारण भाइयों को कष्ट हो सकता है। सन्तान पक्ष के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने में सफलता मिलेगी। दाम्पत्य जीवन सुखमय होगा। फिर भी पत्नी के स्वास्थ्य की ओर से थोड़ी चिन्ता बनी रह सकती है। व्यापारिक कार्यों में सफलता मिलेगी। व्ययाधिक्य के कारण मानसिक तनाव और चिन्ता बनी रहेगी। नौकरी पेशा वाले लोगों को तथा किसानों को विशेष लाभ हो सकते हैं। वर्ष के उत्तरार्द्ध में समय अधिक अनूकूल प्रतीत होगा। विविध कार्यों में सफलता मिलेगी।   आम के कच्चे और पके फलों को ब्राह्मण,भिखारियों और आत्मीय जनों में बांट कर सबसे अन्त में स्वयं भी खा लें। अद्भुत लाभ होगा। सम्भव हो तो आम के वृक्ष में नियमित जल डालें। यह भी आपके लिए लाभदायक होगा।
७.तुला राशि- (रा,री,रु,रे,रो,ता,ती,तू,ते)- तुला राशि वालों के लिए शनि की साढ़ेसाती जो लम्बे समय से जारी है,अभी जारी ही रहेगा। आगामी १७ फरवरी २०१७ से साढ़ेसाती से पूर्णतः मुक्त हो जायेंगे,किन्तु उसके पूर्व तक निरर्थक भाग-दौड़ होते रहेंगे। मानसिक तनाव का दौर सदा बना रहेगा। मन सदा अशान्त रहेगा। किसी भी कार्य में मन नहीं लगेगा। सदा उद्विग्नता की स्थिति बनी रह सकती है। नौकरी और कारोबार भी बोझ और बन्धन जैसा लगेगा। न्यायालय सम्बन्धी कार्यों में विशेष सावधानी वरतने की आवश्यकता है। चुँकि शनिदेव के पिछले पांव का दबाव (प्रभाव) तुला राशि/लग्न वालों के लिए उनके पैरों पर है,यानी साढ़ेसाती का उतरता हुआ प्रभाव है, अतः धैर्य से काम लेना चाहिए। यदि आपके जन्मांक-चक्र में शनि तुला राशि पर ही हैं,यानि उच्च के हैं, तो सीधे शनि की ही आराधना- स्तोत्र पाठ,दान-जप-होमादि कृत्य से उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करें। वैसी स्थिति में हनुमानजी की आराधना न करना ही आपके हक में अच्छा होगा। हां,उन व्यक्तियों के जिनके जन्मांक-चक्र में शनि की स्थिति मेष राशि में हैं,यानी शनि नीच के हैं वैसी स्थिति में शनि की सीधे आराधना के वजाय हनुमानजी की आराधना ही करनी चाहिए। किन्तु ध्यान रहे- मांसाहारी लोगों एवं बारह से पैंतालिस की महिलाओं को हनुमद् आराधना नहीं करनी चाहिए। हालाकि इस गूढ़ बात पर आजकल लोगों का ध्यान ही नहीं जाता। उनके लिए सभी देव-रुप एक समान हैं- किन्तु यह अधूरा सत्य है। मौलश्री(बकुल) के पुष्प उपलब्ध हों तो उन्हें भगवान विष्णु (राम,कृष्णादि किसी विग्रह) पर अर्पित करें। मौलश्री की छाल को चूर्ण बनाकर ताबीज में भरकर धारण करें। विशेष लाभ होगा।
८.वृश्चिक राशि- (तो,ना,नी,नू,ने,नो,या,यी,यू)- वृश्चिक राशि वालों के लिए यह वर्ष पूर्ववत शनि-साढ़ेसाती-प्रभाव-ग्रस्त ही रहेगा। आगामी १७ फरवरी २०१७ को शनि के धनुराशि संक्रमण के पश्चात् वृश्चिक राशि/लग्न वाले जातकों को किंचित राहत मिलेगी,क्यों कि तब शनि की उतरती साढ़ेसाती का समय शुरु होगा। उससे पूर्व तक स्थिति पूर्ववत ही रहेगी। मानसिक तनाव,चोट-चपेट,रोग-बीमारी का प्रतिकूल समय लगभग वर्ष पर्यन्त चलता रहेगा। हृदय में पीड़ा,पेट की बीमारी विशेष रुप से परेशान कर सकती है। पहले से ही जो इन बीमारियों के शिकार हैं,उन्हें विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है। बाल-बच्चों की उन्नति होगी,किन्तु माता-पिता को शारीरिक कष्ट होंगे। शैक्षिक क्षेत्र में असफलता की आशंका है। परन्तु न्यायिक क्षेत्र में सन्धि की स्थिति बन सकती है। पति-पत्नी में अनबन बना रह सकता है। आर्थिक स्थिति अस्तव्यस्त रह सकती है। सम्वत् के तीसरे, सातवें,और ग्यारहवें यानी ज्येष्ठ,आश्विन,और माघ महीने विशेष अशुभ होंगे,अतः इन महीनों में कोई नयी योजना न बनायें। खैर की लकड़ी और घी से मंगलवार को दोपहर में यथोचित हवन करें। पान यदि खाते हों तो कत्था अधिक खायें। इन उपचारों से यथोचित लाभ मिलेंगे
९.धनु राशि - (ये,यो,भा,भी,भू,ध,फ,ढ,भे)- धनु राशि वालों के लिए इस  संवत्सर के प्रारम्भिक महीने शनि की साढ़ेसाती प्रभाव में तो हैं ही,अन्तिम महीना और भी जटिलता लिए होगा,क्योंकि फरवरी१७ में शनि इसी राशि पर आ जायेंगे। इस प्रकार शनि का मध्य पांव धनुराशि पर आ जायेगा,जिसके परिणाम स्वरुप तुलाराशि मुक्त हो जायेगी,और धनु विशेष रुप से ग्रस्त हो जायेगा। परिणामतः स्वजनों से विरोध,अकारण परेशानियों का दौर शुरु हो जायेगा। पहले से चली आ रही परेशानियां और बढ़ सकती हैं। मानसिक तनाव,धनाभाव,या धन का अपव्यय बढ़ जायेगा। किन्तु बाल-बच्चों की उन्नति होगी,और दाम्पत्य जीवन भी सहज होगा। वर्ष के प्रारम्भ में ही चोट-चपेट, वाहन-दुर्घटना,शल्यक्रिया(ऑपरेशन)की परेशानी झेलनी पड़ सकती है। पैतृक सम्पत्ति सम्बन्धी पूर्व से चला आ रहा विवाद यदि हो तो उसमें समझौते की स्थिति भी बनेगी। भाइयों से विवाद हो सकता है। वर्ष के चौथे,आठवें और बारहवें महीने विशेष कष्टकारी होंगे, यानी आषाढ़,कार्तिक,और फाल्गुन महीनों में कोई नयी योजना न बनायें। सोच विचार कर कोई भी निर्णय लें। जल्दीबाजी में या लोभवश लिया गया निर्णय हानिकर और कष्टदायी हो सकता है।  हल्दी का तिलक(स्त्रियों के लिए  पीला सिन्दूर का व्यवहार) लाभदायक होगा। अपने प्रिय देवता की आराधना करते रहें। विशेष कष्ट का निवारण अवश्य होगा। पीपल की लकड़ी और घी से प्रत्येक गुरुवार को यथोचित होम किया करें। इससे काफी राहत मिलेगी।
१०.मकर राशि- (भो,जा,जी,खी,खू,खे,खो,गा,गी)- मकर राशि वालों के लिए यह संवत्सर सामान्य शुभद होगा। आगामी फाल्गुन(फरवरी)महीने से शनि की साढ़ेसाती शुरु हो जाने के बाद परेशानियों का दौर शुरु हो जायेगा,जो अगले साढ़ेसात वर्ष तक कमोवेश जारी ही रहेगा। शनि के दुष्प्रभाव के कारण मानसिक क्लेश,आर्थिक कष्ट,रोग-बीमारी,शत्रुता,आदि का दौर चलने लगेगा। किसी काम के बनते-बनते विगड़ने की स्थिति आयेगी,जिसके कारण मानसिक तनाव झेलना पड़ेगा। कानूनी वाधायें भी आ सकती हैं। भाइयों की उन्नति होगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा। किन्तु पति-पत्नी के आपसी रिश्ते में अकारण दरार आ सकती है। पहले से चले आरहे न्यायिक मामलों में सफलता मिल सकती है। अनेक प्रकार के सुखोपभोग के अवसर भी मिलेंगे। परिवार में मांगलिक कार्य हो सकते हैं। पेट की बीमारियां सता सकती हैं। व्यापार और नौकरी में उन्नति के आसार दीख रहे हैं। वर्ष का पहला,पांचवां और नौवां महीना यानी चैत्र,श्रावण,और अगहन महीने थोड़े कष्टदायी हो सकते हैं,अतः इन महीनों में कोई नवीन योजनाओं से परहेज करें। सोच-विचार कर कोई कदम उठायें।  शीशम(विशेष कर काला शीशम) के फूल शीशे के पात्र में भर कर घर में सुविधानुसार किसी ऐसे स्थान पर  रखे दें जहां नित्य उन पर निगाह पड़ सके। सड़ने से पहले उसे विसर्जित कर दूसरा फूल रख दें। अद्भुत लाभ होगा।
११.कुम्भ राशि- (गू,गे,गो,सा,सी,सू,से,सो,दा)- कुम्भ राशि वालों के लिए यह सम्वत्सर शारीरिक पीड़ादायी,होने के साथ-साथ दाम्पत्य जीवन को भी कटु बना सकता है। पारिवारिक मतभेद बढ़ेगे। भाइयों की उन्नति होगी। विशेष यशोलाभ के आसार हैं,साथ ही प्रभुत्व-विकास होने का अवसर आयेगा। बाल-बच्चों की उन्नति भी होगी।  किन्तु माता-पिता के लिए समय कष्टकारी हो सकता है। व्यापारी वर्ग को सामान्य लाभ मिलेगा। कृषकों को किंचित लाभ के साथ आर्थिक कष्ट का सामना भी करना पड़ सकता है। कृषिक्षेत्र में विशेष निवेश करने से बचना चाहिए। नौकरी में पदोन्नति हो सकती है। वर्ष का दूसरा,छठा और दसवां महीना यानी वैशाख,भादो,और पूष महीना विशेष कष्टप्रद हो सकता है। इन महीनों में कोई नवीन कार्य करने से बचें। सम्भव हो तो घर के पश्चिम दिशा में शमी का पौधा स्थापित करें,और उसकी पत्तियां भगवान भोलेनाथ को नित्य अर्पित करें। शमी का फूल उपलब्ध हो तो उसे भी शिवार्पण करना चाहिए। शमी की लकड़ी और घी से शनिवार को संध्या समय हवन करने से विशेष लाभ होगा। शिव की आराधना लाभदायक होगी।
१२.मीन राशि- (दी,दू,थ,झ,ञ,दे,दो,चा,ची)- मीन राशि वाले लोगों के लिए यह संवत्सर शुभदायक रहने की आशा है। परिवार में शुभ और मांगलिक कार्य सम्पन्न होने की भी आशा है। पुराने बन्द पड़े काम में अचानक विकास होगा,जिस कारण मन प्रफ्फुलित होगा। विरोधी पराजित होंगे। किन्तु नये निर्माणकार्यो में अकारण विघ्न उपस्थित होकर मानसिक तनाव बढ़ा सकता है। अतः निर्माणकार्य सोच-समझ कर करें। सही मुहूर्त का विचार अवश्य कर लें। भूमि,भवन,वाहन आदि का सुख-योग प्रतीत हो रहा है। समाजिक प्रभाव बढ़ने के आसार हैं। व्यापारिक क्षेत्र में लाभ के विशेष अवसर मिलेंगे। कोई नयी योजना भी सफल हो सकती है। धार्मिक कार्यों में रुचि वढ़ेगी। सन्तान पक्ष द्वारा उठाये गये किसी गलत कदम का भी शिकार होना पड़ सकता है,जो मानहानि,और मानसिक तनाव का कारण बनेगा। कृषिक्षेत्र में विशेष लाभ दीख रहा है। वर्ष के तीसरे,सातवें और ग्यारहवें महीने यानी ज्येष्ठ,आश्विन और माघ थोड़े अनिष्टकर हैं,अतः इन महीनों में कोई नवीन योजना न बनायें। नित्य वटवृक्ष में जल डालना,परिक्रमा करना,तथा वरोह वा वट-पत्र को तकिये में डाल कर सोने से अद्भुत लाभ होगा।
नोटः- अपने जन्मांक चक्रानुसार वर्तमान में जारी महादशा एवं अन्तर्दशा पतियों की शान्ति भी अवश्य करानी चाहिए,ताकि राशिफल के दुष्प्रभावों से बचा जा सके और अच्छे प्रभावों का सम्यक् लाभ लिया जा सके।
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