सम्पूर्ण गयाश्राद्धःतिथि-क्रमिक वेदीनामा—
पूर्व प्रसंग में स्पष्ट किया जा चुका है कि चन्द्रमा की ३६०कलाओं के आधार पर पूरे वर्ष का कृत्य हुआ करता था गयाश्राद्ध,यानी वेदियों की कुल संख्या भी ३६० थी,जो समयानुसार सिमटते हुए १४५ हुयी,और फिर ५४ पर आ टिकी। वर्तमान समय में तो इन चौवन को भी सही-सही ढूढ़ पाना दुरुह हो गया है। कोई इसे मात्र ४५ बतलाते हैं,तो कोई और भी कम। पूरी संख्या के लिए पुराण-मन्थन भी काम नहीं आया। वैसे, इसे ढूढ़ निकालने हेतु प्रयास रत हूँ। कभी मिल गया तो अवश्य प्रस्तुत करुंगा। इस सम्बन्ध में मैंने गयाधाम के जाने माने तीर्थ पुरोहित आचार्य पं.श्री बच्चूलाल बौधिया जी के सुपुत्र आचार्य पं. श्री अमरनाथ वौधिया जी से सम्पर्क किया। उनकी एक स्वप्रकाशित पुस्तक है- गयादर्पण। उन्होंने सहर्ष अपनी पुस्तक भेंट की मुझे,जिसके आधार पर तत्चर्चित १४२ वेदियों की सूची यहां प्रस्तुत कर रहा हूँ। हालाकि इन सबको ढूढ़ पाना जरा कठिन है। तीर्थपुरोहितों और प्रशासन की लापरवाही से प्रायः वेदियां अतिक्रमण का शिकार हो चुकी हैं। करीब बारह साल पूर्व स्वयं गयाश्राद्ध करने लगा,तो बामुश्किल ४५ वेदियों पर ही पिण्डदान कर पाया। शेष वेदियां स्पष्ट नहीं हो पायी। हालाकि बाद में और बहुत सी वेदियों की जानकारी मिली।
पूर्व प्रसंग में स्पष्ट किया जा चुका है कि चन्द्रमा की ३६०कलाओं के आधार पर पूरे वर्ष का कृत्य हुआ करता था गयाश्राद्ध,यानी वेदियों की कुल संख्या भी ३६० थी,जो समयानुसार सिमटते हुए १४५ हुयी,और फिर ५४ पर आ टिकी। वर्तमान समय में तो इन चौवन को भी सही-सही ढूढ़ पाना दुरुह हो गया है। कोई इसे मात्र ४५ बतलाते हैं,तो कोई और भी कम। पूरी संख्या के लिए पुराण-मन्थन भी काम नहीं आया। वैसे, इसे ढूढ़ निकालने हेतु प्रयास रत हूँ। कभी मिल गया तो अवश्य प्रस्तुत करुंगा। इस सम्बन्ध में मैंने गयाधाम के जाने माने तीर्थ पुरोहित आचार्य पं.श्री बच्चूलाल बौधिया जी के सुपुत्र आचार्य पं. श्री अमरनाथ वौधिया जी से सम्पर्क किया। उनकी एक स्वप्रकाशित पुस्तक है- गयादर्पण। उन्होंने सहर्ष अपनी पुस्तक भेंट की मुझे,जिसके आधार पर तत्चर्चित १४२ वेदियों की सूची यहां प्रस्तुत कर रहा हूँ। हालाकि इन सबको ढूढ़ पाना जरा कठिन है। तीर्थपुरोहितों और प्रशासन की लापरवाही से प्रायः वेदियां अतिक्रमण का शिकार हो चुकी हैं। करीब बारह साल पूर्व स्वयं गयाश्राद्ध करने लगा,तो बामुश्किल ४५ वेदियों पर ही पिण्डदान कर पाया। शेष वेदियां स्पष्ट नहीं हो पायी। हालाकि बाद में और बहुत सी वेदियों की जानकारी मिली।
पहले यहां
तिथिक्रम से चौवन वेदियों की सूची दे रहा
हूँ,फिर दूसरी सूची आदरणीय वौधियाजी से प्राप्त वेदियों की भी प्रस्तुत हैं,जिनमें
प्रायः स्थान भी निर्दिष्ट है। ध्यातव्य है कि गयाश्राद्ध की क्रिया अपने मूल
स्थान पर कुलदेवी और ग्रामदेवी पूजन के बाद प्रारम्भ होती है, और फिर गया
प्रस्थान क्रम में जहां भी मार्ग में पुनपुन दर्शन हो,वहां, ठहर कर एक
पिण्ड(पूरी पार्वण विधि)सम्पन्न की जाती है। उसके बाद ही गयाधाम में पदार्पण होता
है। अतः गयाधाम पहुंचने के बाद का क्रम दिया जा रहा है।
चतुर्दशी(भाद्रशुक्ल)—पुनपुन नदीतट पर श्राद्ध,और गयाधाम प्रस्थान---- क्रमांक १.
पूर्णिमा— गया स्थित फल्गु स्नान,तथा तीर्थपुरोहित-पूजन और
आदेश-ग्रहण--- क्रमांक २.
प्रतिपदा(आश्विनकृष्ण)—प्रेतशिला स्थित ब्रह्मकुण्ड तर्पण एवं यव
चूर्ण-पिण्ड-- क्रमांक ३.
प्रेतशिला श्राद्ध -- क्रमांक ४.
रामशिला श्राद्ध -- क्रमांक ५.
रामकुण्ड श्राद्ध -- क्रमांक ६.
काकबलि,श्वानबलि,यमबलि—क्रमांक ७.
द्वितीया—पंचतीर्थ उत्तरमानस श्राद्ध-- क्रमांक ८.
उदीची श्राद्ध क्रमांक
९.
कलखल श्राद्ध क्रमांक
१०.
दक्षिणमानस श्राद्ध क्रमांक ११.
जिह्वालोल श्राद्ध क्रमांक १२.
गदाधरजी को पंचामृत स्नान- क्रमांक १३.(यहां पिण्ड नहीं देना है)
तृतीया—सरस्वती स्नान,पंचरत्नदान (पिण्ड नहीं)- क्रमांक १४.
मातंगवापी श्राद्ध क्रमांक १५.
धर्मारण्यकूप श्राद्ध क्रमांक १६.
बोधगया बोधिवृक्ष दर्शन मात्र(पिंड नहीं)- क्रमांक
१७.
चतुर्थी—ब्रह्मसरोवर श्राद्ध -क्रमांक
१८.
काकबलिश्राद्ध -क्रमांक
१९.
तारकब्रह्मदर्शन,आम्रसिंचन(पिंड नहीं) -क्रमांक
२०.
(नोट-आगे पंचमी, षष्ठी, सप्तमी की पिण्ड-क्रिया
विष्णुपद परिसर में ही है, जहां वेदी क्रमांक २१ से ३३ तक हैं)
पञ्चमी—रुद्रपद,विष्णुपद,ब्रह्मपद- -क्रमांक २१,२२,२३.
षष्ठी— कार्तिकपद,दक्षिणाग्निपद,गार्हपत्याग्निपद,आवाहयाग्निपद-क्रमांक२३
से २७.
सप्तमी—सूर्य,चन्द्र,गणेश,संध्याग्नि,आवसंध्याग्नि,दधीचिपद
श्राद्ध- क्रमांक २८ से ३३.
अष्टमी—कण्व,मातंग,क्रौंच,अगस्त्य,इन्द्र,कश्यपपद श्राद्ध- क्रमांक ३४ से ३९.
अधिकर्णपद(दूध से तर्पण
और अन्नदान, पिंडनहीं) -क्रमांक ४०.
नवमी—रामगया श्राद्ध
-क्रमांक ४१.
बालुका पिंड प्रदान मात्र, एवं सौभाग्य-पिटारी-दान-क्रमांक
४२.
दशमी—गयासिर,गयाकूप,एवं मुण्डपृष्ठ श्राद्ध -- क्रमांक ४३,४४,४५.
एकादशी-आदिगदाधर, एवं धौतपद श्राद्ध- - क्रमांक ४६,४७.
द्वादशी—भीमगया,गोप्रचार, एवं गदालोल श्राद्ध - क्रमांक ४८,४९,५०.
त्रयोदशी—वैतरणी तर्पण और गोदान मात्र (पिंडदान नहीं) – क्रमांक ५१.
चतुर्दशी—विष्णु-पंचामृत-स्नान,दीपदान मात्र(पिंड नहीं) - क्रमांक ५२.
अमावश्या—अक्षयवट श्राद्ध,शैय्यादि दान,सुफल - क्रमांक ५३.
प्रतिपदा—गयत्रीघाट मातृश्राद्ध(आचार्य दक्षिणा सहित विदाई)क्रमांक
५४.
---(0)---
अब
आगे बौधियाजी से प्राप्त सूची प्रस्तुत है,जिसमें वेदि-नाम सहित,स्थान की भी चर्चा
है,जिसके कारण वेदियों को ढूढ़ निकालने में काफी सुविधा होती है—
१.
फल्गुतीर्थ गदाधरघाट से उत्तरमानस तक का फल्गु नदी (मुख्यरुप से)
२. प्रेतशिला प्रसिद्ध रामशिला का कटिभाग(न कि
प्रेतपर्वत-करीब तीन कि.मी.दूर)
३. रामशिला गया-पटना रोड में मुख्य पर्वत
४. रामकुण्ड रामशिला के पास ही,सड़क से पूरब
५. रामेश्वर रामशिला के ऊपर
६. प्रभासतीर्थ रामशिला के पास फल्गु नदी में
७. नगपर्वत रामशिला के दक्षिणी भाग में
८. कागबलि रामशिला से दक्षिण (मार्ग पर ही)
९. प्रेतपर्वत प्रेतशिला के नाम से प्रसिद्ध(रामशिला से करीब
तीन कि.मी.दूर)
१०.
ब्रह्मकुण्ड प्रेतशिला के नीचे
११.
ब्रह्मवेदी प्रेतपर्वत के ऊपर
१२.
उत्तरमानस पितामहेश्वर के पास
१३.
उत्तरार्क उत्तरमानस के पास मन्दिर
१४.
शीतलादेवी उत्तरमानस के पास मन्दिर
१५.
दक्षिणमानस प्रसिद्ध सूर्यकुण्ड में
१६.
उदीची प्रसिद्ध सूर्यकुण्ड में
१७.
कनखल प्रसिद्ध सूर्यकुण्ड में
१८.
दक्षिणार्क प्रसिद्ध सूर्यकुण्ड परिसर का सूर्यमन्दिर
१९.
सरस्वतीतीर्थ बोधगया मार्ग में सूर्यपुरा (नदी पार दक्षिण
में)
२०.
सरस्वतीदेवी उक्त स्थान का संगमस्थल
२१.
धर्मारण्य उक्त स्थान से 2-3कि.मी.दक्षिण
२२.
धर्मेश्वर धर्मारण्य के समीप
२३.
रहटकूप धर्मारण्य के समीप
२४.
यूप धर्मारण्य के समीप धर्म का यज्ञस्तम्भ
२५.
मतंगवापी धर्मारण्य के पास- मलतंगी
२६.
बोधिवृक्ष बुद्ध की नगरी(बोधगया)
२७.
ब्रह्मसर प्रसिद्ध ब्रह्मसरोवर(दक्षिण दरवाजा के दक्षिण)
२८.
यूप उक्त सरोवर में ब्रह्मा का यूप(अब दीखता नहीं)
२९.
काकबलि उक्तसरोवर से उत्तर
३०.
बैरतणी प्रसिद्ध बैतरणी सरोवर(मारकण्डेय मन्दिर के पास)
३१.
मार्कण्डेश्वर मार्कण्डेय मन्दिर
३२.
भीमगया मंगलागौरी सीढ़ी पर
३३.
पुण्डरीकाक्ष मंगलागौरी पर्वत पर
३४.
जनार्दन उक्त पर्वत का ही अंश भस्मकूट पर
३५.
गोप्रचार उक्त मन्दिर से सटे दक्षिण
३६.
आम्रसिंचन उक्त मन्दिर से सटे दक्षिण
३७.
तारकब्रह्म उक्त मन्दिर से सटे दक्षिण
३८.
मंगलागौरी प्रसिद्ध मन्दिर
३९.
विष्णुपद प्रसिद्ध विष्णुमन्दिर(फल्गु किनारे)
४०.
रुद्रपद विष्णुमन्दिर परिसर में ही उन्नीस वेदियों में एक
४१.
विष्णुपद विष्णुमन्दिर परिसर में ही उन्नीस वेदियों में एक
४२.
ब्रह्मपद विष्णुमन्दिर परिसर में ही उन्नीस वेदियों में एक
४३.
कार्तिकपद विष्णुमन्दिर परिसर में ही उन्नीस वेदियों में एक
४४.
दक्षिणाग्निपद विष्णुमन्दिर परिसर में ही उन्नीस वेदियों में
एक
४५.
गार्हपत्याग्निपद- विष्णुमन्दिर
परिसर,सोलहवेदीमंडप,उन्नीस वेदियों में एक
४६.
आह्वनीयाग्निपद- विष्णुमन्दिर परिसर,
सोलहवेदीमंडप,उन्नीस वेदियों में एक
४७.
सूर्यपद विष्णुमन्दिर परिसर, सोलहवेदीमंडप,उन्नीस वेदियों में एक
४८.
चन्द्रपद विष्णुमन्दिर परिसर, सोलहवेदीमंडप,उन्नीस वेदियों में एक
४९.
गणेशपद विष्णुमन्दिर परिसर, सोलहवेदीमंडप,उन्नीस वेदियों में एक
५०.
सन्ध्याग्निपद विष्णुमन्दिर परिसर, सोलहवेदीमंडप,उन्नीस
वेदियों में एक
५१.
आवसन्ध्याग्निपद- विष्णुमन्दिर
परिसर, सोलहवेदीमंडप,उन्नीस वेदियों में एक
५२.
दधीचिपद विष्णुमन्दिर परिसर, सोलहवेदीमंडप,उन्नीस वेदियों में एक
५३.
--- ये छः वेदियां
सूची क्रम में तो हैं,किन्तु इनका नाम और सही
५४.
--- स्थान अस्पष्ट
है। इतना निश्चित है कि ये हैं विष्णुपदमन्दिर
५५.
--- परिसर में ही
कहीं।
५६.
--- परिसर में ही कहीं।
५७.
--- परिसर में ही कहीं।
५८.
--- परिसर में ही कहीं।
५९.
पञ्चगणेशपद- विष्णुपरिसर सोलहवेदी
मंडप से पश्चिम
६०.
रथमार्ग सोलहवेदी से दक्षिणी भूमि
६१.
कनकेश वहीं,मन्दिर परिसर में
६२.
केदार वहीं,मन्दिर परिसर में
६३.
नृसिंह वहीं,मन्दिर परिसर में
६४.
वामन वहीं,मन्दिर परिसर में
६५.
इन्द्रपद वहीं,मन्दिर परिसर में
६६.
नागकूट वहीं,फल्गु के उस पार का पर्वत
६७.
भरताश्रम नागकूट के दक्षिण(पर्वत के जड़ में)
६८.
रामगया नागकूट के नीचे(पश्चिम में)
६९.
सीताकुण्ड रामगया के नीचे(पश्चिम में)
७०.
मतंगपद नागकूट के नीचे ही
७१.
हंसप्रयत्न भरताश्रम के नीचे
७२.
दशाश्वमेध नागकूट से पश्चिम,फल्गु गर्भ में
७३.
जगन्नाथ विष्णुपद मन्दिर से सटे दक्षिण में
७४.
गदाधरजी गदाधर घाट के ऊपर
७५.
गयाशिर श्मशान घाट से पश्चिम का परिसर
७६.
गयाकूप गयाशिर से पश्चिम
७७.
मुंडपृष्टा विष्णुपद के पास करसिल्ली मुहल्ले में,थोड़ी चढ़ाई पर
७८.
आदिगया विष्णुपद के पास करसिल्ली मुहल्ले में,थोड़ी चढ़ाई पर
७९.
आदिगदाधर विष्णुपद के पास करसिल्ली मुहल्ले में,थोड़ी चढ़ाई पर
८०.
धौतपद विष्णुपद के पास करसिल्ली मुहल्ले में,थोड़ी चढ़ाई पर
८१.
अक्षयवट मंगलागौरी के पीछे,माड़नपुर में
८२.
घृतकुल्या अक्षयवट के पास
८३.
मधुकुल्या अक्षयवट के पास
८४.
गदालोल अक्षयवट के पास
८५.
प्रपितामहेश्वर- अक्षयवट से उत्तर
८६.
रुक्मिणीकुण्ड—प्रपितामहेश्वर से
पश्चिम(रुक्मिणीसरोवर)
८७.
कपिलधारा रुक्मिणी सरोवर से पश्चिम पर्वत प्रान्त में
८८.
अग्निधारा रुक्मिणी सरोवर से पश्चिम पर्वत प्रान्त में
८९.
सोमधारा रुक्मिणी सरोवर से पश्चिम पर्वत प्रान्त में
९०.
गन्धर्वपर्वत रुक्मिणी सरोवर से पश्चिम पर्वत प्रान्त में
९१.
कपिलेश्वर रुक्मिणी सरोवर से पश्चिम पर्वत प्रान्त में
९२.
जिह्वालोल गदाधर घाट से दक्षिणी घाट में
९३.
मधुश्रवा तीर्थ- गदाधर घाट और
श्मशान घाट के बीच का स्थान
९४.
भस्मकूट प्रसिद्ध मंगलागौरी जिस पर्वत पर है
९५.
पांडुशिला घुघरीटांडं में(बाईपास चौराहा से आगे)
९६.
पितामहेश्वर टावरचौक से दक्षिण पितामहेश्वर प्रसिद्ध स्थान(नदी तरफ वाला)
९७.
कोटीश माड़नपुर मुहल्ले में
९८.
कोटितीर्थ माड़नपुर(कोटेश्वर के पास)
९९.
मधुसूदन कोटेश्वर से दक्षिण
१००.
गोदावरी गोदावरी मुहल्ले में
१०१.
गृद्ध्रेश्वर गोदावरी मुहल्ले में
१०२.
ऋणमोचन गोदावरी मुहल्ले में
१०३.
पापमोचन गोदावरी मुहल्ले में
१०४.
वशिष्ठकुण्ड गोदावरी मुहल्ले में
१०५.
काशीखण्ड गोदावरी मुहल्ले में
१०६.
महाकाशी गोदावरी मुहल्ले में
१०७.
आकाशगंगा गोदावरी से ऊपर पर्वत पर
१०८.
पातालगंगा गोदावरी से ऊपर पर्वत पर
१०९.
अगस्त्यकुण्ड गोदावरी से ऊपर पर्वत पर
११०.
भैरवस्थान गोदावरी के पास प्रसिद्ध स्थान
१११.
गयेश्वरी विष्णुपद मन्दिर परिसर में
११२.
श्मशानचण्डी-देवचौरा मुहल्ले में
११३.
फल्गवीश ब्राह्मणीघाट में
११४.
गयादित्य(विरंचिनारायण)- नदी तट पर
११५.
गायत्रीदेवी गायत्रीघाट
११६.
संगमेश देवघाट
११७.
संकटादेवी लखनपुरा मुहल्ले में
११८.
उद्यंतगिरि ब्रह्मयोनि पर्वत पर
११९.
ब्रह्मयोनि उक्त पर्वत पर ही(अद्भुत स्थान)
१२०.
सावित्री देवी उक्त पर्वत पर ही
१२१.
सावित्रीकुण्ड- ब्रह्मयोनि पर्वत के
नीचे
१२२.
सावित्रीदेवी-२-सावित्री कुण्ड पर
१२३.
धौतपद-२- ब्रह्मयोनि के नीचे(गोड़धोई)
१२४.
कृष्णद्वारिका- कृष्णद्वारिका
मुहल्ले में
१२५.
विशाला विसार तालाव
१२६.
स्वर्णदीपिका दिग्घी तालाब
१२७.
रामपुष्करणी रामसागर(तालाव)
१२८.
केशवभगवान- मुर्चा मुहल्ला
१२९.
नाभिगया ऊपरडीह मुहल्ला
१३०.
कर्द्दमालय ऊपरडील मुहल्ला
१३१.
कर्द्दमेश्वर ऊपरडीह मुहल्ला
१३२.
सुषुम्णातीर्थ- सुषुम्णा महादेव के पास
१३३.
सुषुम्नेश्वर सुषुम्णा महादेव मन्दिर
१३४.
कामाख्यादेवी- विष्णुपद मार्ग में
१३५.
वैद्यनाथ वैद्यनाथ वैठक में
१३६.
गृध्रकूट पातालगंगा से उत्तर पर्वत
१३७.
धेनुकारण्य सिकरिया मोड़ के पास
१३८.
कामधेनु सिकरिया मोड़(गोबछवा)
१३९.
पुष्करणी गोबछवा का जलाशय
१४०.
जम्बूकारण्य- गया से पश्चिम(जमकारन)
१४१.
यमुनानदी गया से पश्चिम,जमकारन में
१४२.
नारायणतीर्थ- नारायणचुआँ महल्ला
१४३.
से आगे पन्द्रह और वेदियों के बारे
में उन्होंने चर्चा की,किन्तु नाम और स्थान स्पष्ट नहीं हो पाया,क्यों कि उपलब्ध प्राचीन पुस्तक का
अन्तिम पन्ना अनुपलब्ध था)
नोटः- १. विक्रमाब्द १९६७ यानी
ई.सन् १९१०में पं.ताराचन्द्र भट्टाचार्य(राजकीय अस्पताल गया के लिपिक)द्वारा संग्रहित,छेदीलाल
बुकसेलर,रमना गया द्वारा प्रकाशित गयापद्धति एवं वेदीनामा में भी पूर्वोक्त ५४
वेदियों की ही सूची मिली। इस प्रकार आदरणीय बौधियाजी की सूची सर्वोत्तम और
प्रमाणित प्रतीत हो रही है।
२. काले
पत्थर से निर्मित प्रसिद्ध विष्णुपद मन्दिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई ने
विक्रमाब्द १८३७ यानी ई.सन् १७८०में करवाया।दक्षिणमानस के पास सूर्यमन्दिर के
शिलालेख के अनुसार उक्त मन्दिर का निर्माण विक्रमाब्द १६३५ तदनुसार ई.सन् १५७८ में
हुआ। गयेश्वरी देवी मन्दिर को क्षत्रियवंशीय वंगदेशीय देवीदासचौधरी के पुत्र ने
विक्रमाब्द १५१६ तदनुसार ई.सन् १४५९ में बनवाया था। और इसका जीर्णोद्धार वंगीय सम्बत्
१२५० यानी ई.सन् १८४४ में कलकत्ता के श्री नारायण घोषाल ने करवाया। प्रसिद्ध
गदाधरजी के मन्दिर का निर्माण तक्षकवंशीय राजा....की पुत्रवधू कोल्हादेवी ने वैक्रमाब्द
१४०८ यानी ई.सन् १३४१में करवाया। अस्तु।
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