गतांश से आगे... नाड्योपचारतन्त्रम्(The Origin Of Accupressure) का पचीसवां भाग
अध्याय दस का अगला भाग
क्रमशः...
अध्याय दस का अगला भाग
(७) शेष अंग समूह— अब तक छः खंडों में सभी प्रधान
प्रतिबिम्ब-केन्द्र-समूहों का वर्णन किया गया। उक्त समूहों के अतिरिक्त भी छिटफुट
रुप से बहुत से प्रतिबिम्ब केन्द्र शेष हैं,जिनका परिचय पाये वगैर
नाड्योपचार(एक्युप्रेशर) का ज्ञान अधूरा
माना जा सकता है। शेष अंग समूहों के प्रतिबिम्ब केन्द्र शरीर के शाखाओं में
व्यापक रुप से फैले हुए हैं, जिन्हें आगे नौ चित्रों और तालिकाओं के माध्यम से
स्पष्ट किया जा रहा है। ध्यातव्य है कि क्रमांकों(केन्द्रों)को कहीं रोगानुसार, तो
कहीं अंगानुसार बतलाया गया है,जैसा कि पहले अन्य समूहों में भी देखा गया है।
(तालिका सहित चित्रांक 32 क,ख,ग,घ,ङ,च,छ,ज,झ)
आगे
सम्पूर्ण शरीर के कुछ चित्र दिये जारहे हैं,साथ ही उनसे सम्बन्धित तालिका भी –
चित्रांक
32 क (सम्पूर्ण शरीर
सामने से)—
1.पेट
की बीमारियां,कब्ज एवं यौन-शक्ति(इसके इर्दगिर्द अन्य कई विन्दु हैं,जिन पर
क्रमांक अंकित नहीं है। वस्तुतः नाभि के चारों ओर आठ विन्दु है)
2.थकान,बुढ़ापा
निवारक
3.घुटना
4.आँख
एवं फेफड़े
5.कन्धा
6.अनुर्जता(एलर्जी)
7.बुढ़ापा
निवारक
8.निम्नरक्तचाप
9.उदरशूल
10आन्त्रवृद्धि(हॉर्निया)
चित्रांक
32 ख (सम्पूर्ण शरीर
सामने से )—
1.
प्रजननांग(यौनशक्ति)
2.
मस्तिष्क
3.
आँख
4.
आमाशय
5.
हृदय
6.
प्लीहा
7.
आँख
8.
कान
9.
मणिबन्ध
10.
टखना
11.
पिण्डली
12.
पीठ
13.
बांह
14.
कुहनी
15.
बांह
16.
आँख
17.
कलाई
18.
कलाई
19.
आँख
20.
बांह
21.
बांह
22.
कुहनी
23.
पीठ
24.
पिण्डली
25.
टखना
26.
मणिबन्ध
27.
कान
28.
आँख
29.
यकृत
30.
गुर्दे
31.
आमाशय
32.
आँख
33.
जननांग(यौनशक्ति)
34.
आंत्रवृद्धि(हॉर्निया)
35.
नाभिचक्र
चित्रांक
32 ग (सम्पूर्ण शरीर बगल
से)—
1.
कान
एवं हृदयावरण
2.
पित्ताशय
3.
अर्दित
4.
बड़ीआंत
एवं कंधा
5.
बड़ीआंत
एवं कंधा
6.
बड़ीआंत
एवं कुहनी
7.
कलाई
और उससे नीचे के भाग
8.
यकृत
9.
प्लीहा,अनिद्रा,यौनशक्ति,कष्टरज
10.
पित्ताशय
11.
प्लीहा
12.
गुर्दे
13.
प्लीहा
14.
डिम्बाशय
15.
प्रजनांग(यौनशक्ति)
चित्रांक
32 घ (सम्पूर्ण शरीर
पीछे से )—
1.
कटि
कशेरुका
2.
आँख
3.
आँख
4.
प्रजनांग(यौनशक्ति)
5.
दायां
पैर
6.
आँख
7.
कान
8.
सिर,बांह
9.
बायां
पैर
10.
हृदय
11.
हाथ(पूरा)
12.
मूत्राशय,शैय्यामूत्र
13.
आँख(भेंगींआंख)
14.
त्रिक(सैक्रम)
15.
गला
16.
दायां
पैर
17.
बायां
पैर
18.
हृदय
19.
जंघा,स्नायुसंस्थान
20.
गृध्रसी(सियाटिका)
21.
वेरीकॉमवेन्स(नस
की खास बीमारी)
ध्यातव्य
है कि 1) कुछ और भी चित्र दिये गये है,किन्तु उनकी अलग से सूची नहीं है,यानि कि
उसे किसी व्याधि विशेष के लिये स्पष्ट किया गया है।
2)अन्य
चित्रों के क्रमांकों की सूचियां पूर्व प्रसंगों में ही यथास्थान दिया गया है।
ऊपर
दिये गये सम्पूर्ण शरीर के चारों चित्रों को पूर्वनिर्दिष्ट केन्द्र-तालिका के
अनुसार उपयोग करना चाहिए, तथा आगे चित्रांक
32 क,ख,ग,घ के बाद कुछ और भी चित्र प्रस्तुत हैं, जिनका सम्बन्ध व्याधि विशेष से
है,अतः उनका केन्द्र निर्देश आवश्यक नहीं प्रतीत हो रहा है।
Comments
Post a Comment