नाड्योपचारतन्त्रम्(The Origin Of Accupressure)

गतांश से आगे...
(अन्तिम किस्त)
                       अष्टादश अध्याय
                            उपसंहार

  चिर अभिलषित नाड्योपचार पद्धति का संकलन सम्पन्न हुआ,और इस प्रकार गुरुदेव के प्रति दिए गये वचन और मानस-संकल्प-पूर्ति का सुखानुभूति-लाभ प्राप्त करने में समर्थ हुआ। गुरुदेव से ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात लम्बे समय तक देश के विभिन्न भागों में भ्रमण करते हुए,स्वयंसेवी संस्थाओं से सम्पर्क कर, सामुदायिक रुप से शिविर लगा कर,तथा बहुत बाद में विष्णुनगरी गयाजी में स्थायी तौर पर प्रशिक्षण एवं उपचार कार्य करते हुए , यत किंचित व्यावहारिक अनुभव जो प्राप्त किया,उन सारे विषयानुभवों को यथा सम्भव समेट कर यहाँ इस संकलन के रुप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया हूँ। विषयवस्तु को अधिकाधिक स्पष्ट करने हेतु यथासम्भव विभिन्न चित्रों का प्रदर्शन भी यथास्थान किया गया है,इनमें अधिकांश गुरुदेव के संग्रह से लिए गये फोटोकॉपी हैं,कुछ स्वविवेक निर्मित चित्र भी हैं। पुस्तक के अन्त में कुछ और उपयोगी चित्रों का संकलन भी प्रस्तुत है,जिनके स्रोत के बारे में मैं दावे के साथ नहीं कह सकता कि कब-कैसे-कहां से प्राप्त हुए। सन् 1980-85 के दौर में ही ये सब मेरे संग्रह में समाहित हुए। अतः उन अज्ञात स्रोतों के प्रति भी आभार व्यक्त करना मैं अपना कर्तव्य समझता हूँ। इनमें प्रायः मेरे अनुभूत हैं। अतः पाठकों को इसे निशंक होकर प्रयोग में लाना चाहिए।
पुस्तक के अध्ययन-मनन-प्रयोग से आमजन का कल्याण होगा,ऐसी मेरी आशा है,और प्रयोगकर्ता बन्धुओं से निवेदन करना चाहता हूँ कि भारतवर्ष की भूली-बिसरी इस पद्धति को स्वरुप सहित  अपनायें,और निज लाभ सहित जनकल्याण की भावना से प्रयोग करें। पैसे कमाने के तो अन्य भी बहुत से स्रोत हैं,कम से कम इस पद्धति को तो बक्शें। स्वयंसेवी संस्थायें और सरकारी पदासीनों से आग्रह करना चाहूंगा कि इसके प्रचार-प्रसार में सहयोगी बने। इसकी सीमायें और सामर्थ को सही रुप से समझते हुए लोककल्याण में जुटें।
          सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।

      सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित दुःखभाग्भवेत् ।।
----------------)))))))))))(((((((((((-------------

Comments