शाकद्वीपीय ब्राह्मणःलघुशोध--पुण्यार्कमगदीपिका भाग दो

गतांश से आगे...

                     . मगागमन की पृष्ठभूमि
देवीभागवत,स्कन्ध १२,अध्याय में एक रोचक प्रसंग है कृष्णावतार पर्यन्तम् कुम्भीपाके वसिस्यथ...(भवेत् स्थिति- पाठभेद से ) न मे वाक्यं मृषा भूयादिति जानीथ सर्वदा ।।  — एक समय की बात है, चारों ओर घोर अकाल पड़ा हुआ था, किन्तु गायत्री के परम साधक महर्षि गौतम के आश्रम के आसपास इस दुर्भिक्ष का बिलकुल प्रभाव नहीं था। दुर्भिक्ष-पीड़ित लोग उनके आश्रम में एकत्र हुए  और ब्राह्मणों को आगे कर, अपने कष्ट-निवारण हेतु महर्षि से अनुनय किये। द्रवित होकर गौतम ने सबको अपने आश्रम में तब तक रहने की आज्ञा दे दी, जब तक दुर्भिक्ष समाप्त नहीं हो जाता।
काफी दिनों बाद दुर्भिक्ष समाप्त हुआ। किन्तु इस बीच जम्बूद्वीपीय ब्राह्मणों के मन में लोभ जागा और उन्होंने विचार किया कि किसी तरह गौतम को इस रमणीक सदा सुभिक्ष युक्त आश्रम से अधिकार-च्युत किया जाए। ब्राह्मणों ने कुटिल योजना बनायी—माया से एक बूढ़ी गाय रची, जो बिलकुल मरणासन्न स्थिति में थी। उसे उन लोगों ने गौतम की यज्ञशाला में पहुंचा दिया,जिस समय महर्षि गौतम अपनी दैनिक उपासना में लगे थे, और स्वयं आसपास की झाड़ियों में छिप गये।
गाय को यज्ञशाला में देख कर गौतम ने ज्यूं ही हूँ-हूँ – ऐसा हुंकार किया, हटाने के उद्देश्य से तभी माया-रचित गाय गिर कर प्राण त्याग दी । उधर पूर्व नियोजित दुष्ट बुद्धि विप्रगण झाड़ियों से बाहर निकल कर सामने आ गये और गौतम को धिक्कारने लगे कि इन्हें तो गौहत्या लग गयी।  अब आश्रम का परित्याग कर तीर्थों में जाकर प्रायश्चित करना चाहिए।
क्षुब्ध चित्त गौतम आश्रम से बाहर निकल गए। जरा शान्त चित्त होकर उन्होंने ध्यान लगाया, तब दुष्टों की योजना स्पष्ट हुयी । वापस आकर उन्होंने ब्राह्मणों को बहुत धिक्कारा और शाप दे दिया कि तुमलोग तेजहीन होकर लम्बे समय तक नरक वास करो । कालान्तर में पुनः जन्म ग्रहण करो, किन्तु सनातन धर्म से विमुख होकर, म्लेच्छवृति अपनाओ । वैदिक विधि को त्याग कर, तान्त्रिक प्रलोभन में फंसो और वहां भी पाखण्ड और भ्रष्टाचार का सहारा लेकर जीवन यापन करो ।
अब एक और प्रसंग की चर्चा करते हैं,जो इससे भी अधिक रोचक और महत्वपूर्ण है—
महाभारत वर्णित यक्षप्रश्न की तरह स्कन्दपुराणान्तर्गत नारदप्रश्न भी है, जिसे बहुत कम लोग जानते होंगे । गरिमामय प्रश्न अति चुनौती पूर्ण है। प्रश्नों की संख्या मात्र बारह है,जो भट्टादित्य महामठस्थापन प्रसंग में वर्णित है। उसकी बानगी यहां प्रस्तुत कर रहा हूँ। यथा-
मातृकां को विजानाति,कतिधा कीदृशाक्षरम् । पञ्चपञ्चाद्भुतं गेहं को विजानाति वा द्विजः ।। बहुरुपां स्त्रियं कर्तुंमेकरुपाञ्च वेत्ति कः । को वा चित्रकथं वंधं वेत्ति संसार गोचरः ।। को वार्णवमहाग्राहं वेत्ति विद्यापरायणः । को वाष्टविधं ब्राह्मण्यं वेत्ति ब्राह्मण सत्तमः ।। युगानां च चतुर्णां वा को मूल दिवसान् वदेत् । चतुर्दशमनूनां वा मूलवारं च वेत्ति कः ।। कस्मिश्चैव दिने प्राप पूर्वं वा भास्करो रथम् ।। उद्वेजयति भूतानि कृष्णाहिरिव वेत्ति कः ।।  को वास्मिन् घोर संसारे दक्षदक्षतमो भवेत् ।। पन्थानावपि द्वौ कश्चिद्वेत्ति वक्ति च ब्राह्मणः ।। इति मे द्वादश प्रश्नान् ये विदुर्ब्राह्मणोत्तमाः । ते मे पूज्यतमास्तेषामहमाराधकश्चिरम्।।(स्कन्दमहापुराण, कुमारिका खंड २०५-२१२)
भट्टादित्य महामठस्थापन हेतु नारद जी अपनी वीणा पर उक्त प्रश्नावली का गान करते हुए, भूमंडल पर सर्वश्रेष्ठ द्विजों की खोज में भटकने लगे। प्रश्न थे— १.मातृकाविद्या का ज्ञाता कोई है, अक्षर कितने हैं और उनका वैज्ञानिक स्वरुप क्या है ? २.पांच गुने पांच यानी पच्चीस के अद्भुत गृह को कौन जानता है ? ३.बहुरुपा स्त्री को एकरुपा बनाने की कला किसे मालूम है? ४.विचित्र चित्रबंध क्या है ? ५. समुद्र में रहने वाले सर्वाधिक भयंकर महाग्राह का ज्ञान किसे है ? ६. अष्टविध ब्राह्मणों का ज्ञान किसे है ? ७.चारो युगों के प्रथम दिन कौन-कौन हैं ? ८.चौदह मन्वन्तरों की आद्य तिथि क्या है ? ९.सर्वप्रथम सूर्यनारायण किस दिन रथारुढ़ हुए ? १०.काले सर्प की भांति नित्यप्रति संसार को उद्विग्न कौन करता है ? ११.सुदक्ष कौन है ? १२.दोनों मार्गों को कौन जानता और बतलाता है?
नारदजी की मान्यता थी कि इन प्रश्नों का सम्यक् ज्ञाता ही सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण कहा जाना चाहिए। उनकी मान्यता का दूसरा पहलू ये भी हो सकता है कि जिसे इन प्रश्नों का उत्तर न मालूम, वो ब्राह्मण कहाने के योग्य नहीं। और वैसे ही सुयोग्य ब्राह्मण की खोज में भटक रहे थे देवर्षि ।  सुदीर्घ भटकाव के पश्चात् वे कलाप ग्राम पहुंचे,जो द्विजोत्तमों का प्रधान ग्राम कहा जाता था। ज्ञातव्य है कि ये वही ग्रामश्रेष्ठ है,जहां महाप्रलय काल में सृष्टि-बीज संग्रहित किया जाता है। देवर्षि अपना प्रश्न वहां भी रखे,जिसके उत्तर में एक विप्र ने कहा कि हे महाराज ! इन प्रश्नों का उत्तर तो हमारे यहां बच्चा-बच्चा जानता है। कृपया इन सामान्य प्रश्नोत्तरों में हमारा समय नष्ट न करें। कोई और गूढ़ बात हो तो हमसे चर्चा करें। अस्तु।

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क्रमशः...

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