गतांश से आगे...
(दशवें अध्याय का तीसरा भाग)
श्री
चन्द्रशेखर मिश्रजी प्रदत्तसूची-
(यह
सूची कलकत्ते से प्रकाशित ‘‘मगज्योति’’ के पं. विश्वनाथशास्त्री स्मृति अंक
में भी यथावत प्रकाशित है)—
चौबीस आर
-
१. अदईयार
२. अयोध्यार
३. उरुवार
४. ऐयार
५. ओणियार
६. ओण्डरियार
७. कुरयीयार
८. खन्टवार
९. चेरियार
१०.छत्रवार
११.जम्बुवार
१२.डुमरार(डुमरौर)
१३.देवकुलियार
१४.पण्डरीयार
१५. पवईयार
१६. पूतियार
१७. वारवार
१८. भलुनियार
१९. मखपवार
२०. मदरौडिया
२१. सरईयार
२२. सिकौरियार
२३. शिरौरियार
२४. हरदौलियार
बारह आदित्य--
१. अरिहाँसी
२. कुण्डा
३. गण्डार्क
४. गुणासव
५. डुमरौरा
६. देवडीहा
७. देहुलासी
८. वरुणार्क
९. बिनासव
१०.मलौण्डा
११.महुरासी
१२.सर्पहा
--------------------
बारह किरण-
१. अवधियार
२. कौशिक
३. गण्डार्क
४. कुकरौंधा
५. गौरहा
६. जुट्टी
७. ठकुरमेराब
८. देवहा
९. पंचहाय
१०.पंचकाठी
११.बज्रहा
१२.सोरियार
----------------------------
बारह
मण्डल
१.
कत्थ
२.
कपित्थ
३.
खण्डसूप
४.
खजुरैया
५.
चण्डरोची
६.
डीहा
७.
तेरहपरासी
८.
पटीसा
९.
पालीवौध
१०. बड़ीसार
११. भेड़ीयार
१२. रिपुरोह
-----------------
बारह अर्क
१.
उल्लार्क
२.
कोणार्क
३.
चाणार्क
४.
पुण्डार्क
५.
पुण्यार्क
६.
पुनरार्क
७.
सुण्डार्क
८.
गुण्यार्क
९.
बालार्क
१०.लोलार्क
११.विनयार्क
१२.मारकण्डेयार्क
-------------------------------------
अठारह
उपकिरण (बहत्तर
के अतिरिक्त)
१.
चतुर्भुजी
२.
गोरखपुरी
३.
चैण्डवार
४.
धर्मादित्य
५.
पठकौलियार
६.
पारस
७.
बेलयार
८.
मलपरिया
९.
मुजादित्य
१०.मृगहा
११.यवनपुरिया
१२.श्यामवौर
१३.श्वेतभद्र
१४.श्रीमौरियार
१५.सत्तार्क
१६.सिमरियार
१७.हरहसियार
१८.हुणरियार
उक्त
बहत्तर की सूची को पांच उप तालिकाओं में आदरणीय पाठकजी ने भी विभाजित किया है । इस
विभाजन का आधार मुझे स्पष्ट नहीं हो रहा है । बारह अर्क और चौबीस आर में कोई संशय
नहीं, क्यों कि प्रत्येक के अन्त में अर्क और आर
शब्द प्रयुक्त है; किन्तु शेष तीन - आदित्य, मंडल, किरण खण्डों को कैसे रखा
जाय — क्या इन्हें अरिहांसीआदित्य ... अवधियारकिरण....कत्थमंडल आदि कहा जाय या कि
कुछ और कारण है ?
किंचित
भिन्न तथ्य-विचार—
त्रेतायुग
में महाराज दशरथ कृत पुत्रेष्टि यज्ञ-समारोह में भी शाकद्वीपीय ब्राह्मणों की
उपस्थिति की चर्चा है । उस समय भी बहत्तर गांवों में इनका वास कहा जाता है । मर्यादा
पुरुषोत्तम श्रीराम के पूर्वज महाराज इक्ष्वाकु का राज्य विस्तार जम्बूद्वीप के
विविध क्षेत्रों में था । शासन व्यवस्था को सुचारु रुप से चलाने हेतु उन्होंने
अयोध्या को राजधानी वनाया । शाकद्वीप से मगकुलभूषण
महर्षि वशिष्ठ इनके साथ वहां आए थे । साथ ही काफी संख्या में अन्य मग भी थे, जिन्हें
अयोध्या और उसके आसपास के क्षेत्रों में वसाया गया था ।
कालान्तर
में जम्बूद्वीपीय परिवेश में रसते-वसते इनमें तेजहीनता आते गयी, जिसका परिणाम ये हुआ कि महाराज दशरथ को भी गुरु वशिष्ठ
की आज्ञा से पुनः मगविप्रों को आमन्त्रित करना पड़ा । पुत्रेष्टि यज्ञ का आचार्यत्व
श्रृंगी ऋषि ने किया था, जो महाराज के जमाता भी थे ।
दीर्घकाल
में स्थिति वैसी ही होती चली गयी, परिणातः पुनः द्वापर में साम्ब के सविता यज्ञ
में भी शाकद्वीप से खगेश द्वारा अठारह कुल मगविप्रों को लाया गया और छल पूर्वक
इन्हें जम्बूद्वीप में ही रोक लिया गया। इन अठारह कुलों को चार-चार गांव वासार्थ
दिये गये, जो १८×४=७२हुए। ऐसा प्रतीत होता है कि
कालान्तर में इनसे विलग हुए अठारह उपकिरणों का भी समावेश हो गया । इस प्रकार कुल ७२+७२+१८=१६२ पुरनामधारी मगब्राह्मणों की सूची हो गयी।
यहाँ
इन दोनों (त्रेता और द्वापर) सूचियों को प्रस्तुत कर रहा हूँ। ताकि तुलनात्मक
अध्ययन/अन्वेषण में सुविधा हो। वैसे इन दोनों सूचियों की सैद्धान्तिक सत्यता और
प्रमाणिकता पर मैं किसी प्रकार का व्यक्तिगत दावा नहीं कर सकता।
(सम्माननीय
भँवरजी कृत ‘‘ मिहिरमहिमा ’’ में दी गयी मगसूची, जिसका प्रकाशन ‘‘संज्ञादर्पण-२००७ई.’
में किया गया था।)
त्रेतायुगीनतालिका
१. वगैरहवार
२. कोडरियार
३. खवेवार
४. छतवार
५. रदौली
६. सपहा
७. श्वेतभद्र
८. कोणार्क(कीणार्क)
९. कौशिक
१०. धर्मादित्य
११. देवढियार
१२.भोजपुरियार
१३.गंडार्क
१४.पुण्डार्क
१५.बेतियार
१६.सिरीमौरियार/सिरमौरियार
१७.सियरियार
१८.कुत्रवार
१९.भुजादित्य
२०.महुरसिया
२१.सुखसार
२२.मधुबनी
२३.भोलार्क
२४.दूबचरी
२५.वेद्यैयार
२६.कुरोयी
२७.बुधवार
२८.मुहदौर
२९.खुहदौरियार
३०.वाडसास
३१.पछवार
३२.चोपवार
३३.बितरियार
३४.गदहपूर्णा
३५.पुंडरियार
३६.सनिचरहा(शनिचरा)
३७.प्रियआर
३८.पथैयार
३९.डीहवार
४०.देवरहिया
४१.उसही
४२.अहिलास
४३.बहीस
४४.चतुर्भुजी
४५.खपुरहा
४६.खंडसल
४७.स्टाममौर
४८.बेलौरा
४९.औरियार
५०.मोरियार
५१.वेढ़रियार
५२.समौलिडियार
५३.सिधुमती
५४.बिपरिहा
५५.वारुमति
५६.केशवपुर
५७.अस्कद
५८.पारकपुर
५९.श्रीपुर
६०.मण्ठी(मंढी)
६१.पारस
६२.गृहपुर
६३.फणिकुल
६४.मृगहा
६५.पंडवल
६६.गोरखपुरिया
६७.बटलीपुर
६८.हरोद
६९.चिरयौली
७०.चम्बेल
७१.मंदपुर
७२.खुरैयार
द्वापरयुगीनतालिका
१.
उरवार/पुरवार
२.
खंटवार
३.
छेरियार
४.
मखपवार
५.
कुरैयार
६.
देवकुलियार
७.
भलुनियार
८.
डुम्बरियार
९.
पड़रियार
१०. अदइयार
११. श्यामोरियार
१२. पवईयार
१३. ओड़रियार
१४. योतियार
१५. ऐआर
१६. सरैयार
१७. सिवोरियार
१८. छत्रवार
१९. बारवार
२०. बधवार
२१. जाम्बुयार
२२. सिकौरियार
२३. भलौडियार
२४. रहदौलियार
२५. उल्लार्क
२६. पुण्डार्क(पुण्डरार्क)
२७.मारकण्डेयार्क
२८.बालार्क
२९.लोलार्क
३०.कोणार्क
३१.चारनार्क
३२.वरुणार्क
३३.बेलासी
३४.मलौडियार
३५.सपहा
३६.महुरसिया
३७.देवडीहार्क
३८.डुमरौर
३९.गुनसैय्या
४०.कुण्डार्क
४१.गन्नैया/गडवार/गण्डार्क
४२.अरिहसिया
४३.देवलसिया
४४.जुट्ठीवरी
४५.कुकरैया
४६.देववरुणार्क
४७.देवहा
४८.मोरहा
४९.सौरियार
५०.ठकुरमेराव
५१.पंचकंठी
५२.पंचहाय
५३.गुण्यार्क
५४.मुण्डार्क
५५.देवयार
५६.महीसवार
५७.औधियार
५८.गण्डार्क
५९.कौशिक
६०.पुण्यार्क(पुनरखिया)
६१.चण्डरोह
६२.डीहक
६३.पट्टिस
६४.खंडसुप
६५.कपित्थक
६६.बालिबाघ
६७.कांझ
६८.खजुरहा
६९.जुत्थ
७०.बड़सार
७१.भेड़ापाकर
७२.विपरोह
(नोटः-
ध्यातव्य है कि उक्त विविध तालिकाओं में किंचित नामभेद है, कहीं नामों की
पुनरावृत्ति भी है।)
क्रमशः...
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