अटलजी की अमिट यादें—
बात सन् 1998 की है – चिर
प्रतीक्षित मेरी दो पुस्तकें प्रकाशित हुयी थी । हँसी के लहज़े में श्रीमतीजी ने मुझे
उत्प्रेरित किया- ‘ मैं तो अटलजी को वचपन में ही जयमाल पहना चुकी हूं । आप अपनी पुस्तकें भेंट
करने के बहाने ही उनसे मिलते क्यों नहीं एक बार ।’
मैंने मुस्कुराते हुए उसे
परास्त करने का दुस्प्रयास किया— ‘श्रीमती जी ! जरा गौर फरमायें- आप जिस समय
उन्हें विजयमाल पहनायी उस समय वे जनसंघ का दीपक जला रहे थे और आज वे भारतीय जनता
पार्टी का कमल खिलाकर सबसे बड़े लोकतान्त्रिक राष्ट्र के प्रधान मंत्री पद को
सुशोभित कर रहे हैं । तब और अब में आसमान-जमीन का फ़र्क है । हालाकि अटलजी के ‘ दरबार में ड्योढ़ियां ’ बहुत कम हैं , वो खास होकर भी
आम से अलग हो ही नहीं पाये हैं, एक अद्भुत चुम्बकत्व है उस व्यक्तित्व में । फिर भी प्रधानमंत्री का रुतबा ही कुछ और होता है
। ’
हालाकि उनसे मिलने की प्रबल
इच्छा तो मेरी भी थी । लेकिन किन्तु-परन्तु बहुत था । शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, पारिवारिक, समाजिक कुल
मिलाकर चारों ओर से विसंगतियां ही विसंगतियां झेल रहा था पिछले दो-तीन वर्षों से ।
ज्योतिष की भाषा में कहूं तो शनि की महादशा में शनि की ही अन्तर्दशा और उन्हीं का
गोचर प्रकोप भी चल रहा था मेरे ऊपर । फलतः दिल्ली बहुत दूर रही मेरे लिए ।
इसी बीच मेरी पुत्री अर्चना का
विवाह तय हो गया । दामाद मिले बाह्याभ्यन्तर ‘संघी’- स्वनाम धन्य डॉ.प्रमोद पाठक । मैंने उस विवाह के निमन्त्रण-पत्र सहित, अपनी
पुस्तकें उन्हें रजिस्टर्ड पार्सल से भेज दिया - अपनी इच्छा और विवशता को ज़ाहिर
करते हुए ।
मुझे सपने में भी उम्मीद न थी
कि मुझ तुच्छ के पत्र की त्वरित प्रतिक्रिया होगी ।
कोई सप्ताह भर बाद ही डाकिया
प्रधानमंत्री कार्यालय-प्रेषित मेरे नाम का लिफाफा लिए मुहल्ले में तलाश करता हुआ पहुंचा
। मेरा न तो निजी मकान है और न कोई प्रसिद्ध व्यक्ति ही हूं मैं । फलतः डाकिया को
घंटों परेशानी उठानी पड़ी । कोई साधारण चिट्ठी होती तो ‘डेड लेटर रुम’ में लौट कर धूल चाटती, किन्तु
इस पत्र ने तो मुझे मुहल्ले ही नहीं शहर में भी चर्चित कर दिया । सैंकड़ो लोग मुझसे मिलने आये - इस जिज्ञासा से
कि उनके मुहल्ले में कौन ऐसा गुमनाम आदमी रह रहा है, जिसके पास प्रधानमंत्री का
पत्र आता है ।
उस अविस्मरणीय पत्र को आपके लिए शेयर कर रहा हूँ, जो
अनुकरणीय परमादर्णीय अटलजी की अमिट याद बन कर मेरे पास सुरक्षित है ।
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