श्रीदुर्गासप्तशतीःःएक अध्ययन ःःग्यारहवाँ भाग
।।ऊँ
नमश्चैण्डिकायै।।
-७-
ज्ञातव्य एवं ध्यातव्य
(क) बीजात्मक
सप्तशती
सप्तशती
परिचय नामक प्रथम अध्याय के अवलोकन से ही आप जान-समझ चुके होंगे कि वर्तमान कलेवर
में जो श्रीदुर्गासप्तशती उपलब्ध है वह रहस्यमय बीजों का पल्लवित-पुष्पित स्वरुप
है। अक्षमालोपनिषद् के अनुसार सभी अक्षरों का क्या गुण-धर्म है, ये भी आप जान चुके
हैं। सप्तशती के सातसौ मन्त्रों (श्लोकादि) की उत्पत्ति किन-किन बीजों से हुयी, उनका
क्रमिक वर्णन यहाँ इस प्रसंग में किया जा रहा है।
विशिष्ट साधक सीधे इस बीजात्मकसप्तशती की ही साधना करते
हैं। ज्ञातव्य है कि इसकी साधना (जप-पाठ-ध्यान-होमादि) सबकुछ उसी भाँति किया जा सकता
है, जैसा पल्लवित सप्तशती का। नियमों में अन्तर ये है कि पूर्वापर के प्रचलित षड्गों
(कवच, अर्गला, कीलक, प्राधानिकरहस्य, वैकृतिकरहस्य, मूर्तिरहस्यादि) की आवश्यकता
नहीं है इसमें। इस बात का भी ध्यान रखे कि रात्रिसूक्त का पाठ उस पुरानी विधि (श्लोक)
से न करके, बीजात्मक ही करना चाहिए। शापोद्धार, उत्कीलन और मृतसंजीवनी मन्त्र का
प्रयोग कर लेना चाहिए। नवार्ण मन्त्र जप और सप्तशती न्यासादि भी पूर्ववत करना ही
चाहिए—चार, छः, नौ वा सोलह प्रकार के न्यास यथासम्भव संक्षिप्त वा विस्तार से ।
ध्यातव्य है कि प्रत्येक अध्याय के
अन्त में एक अतिरिक्त मन्त्र भी दिया हुआ है, जिसका प्रयोग बीजात्मकसप्तशती के पाठ
क्रम में करने का नियम है। ध्यातव्य है कि ये अतिरिक्त मन्त्र पंचम अध्याय के अन्त
में नहीं है।
इसी भाँति पाठान्त होमादि कर्म भी अनिवार्य हैं। प्रत्येक
अध्यायों के अन्त में होम करने में सदा ध्यान रखना है—
प्रथम अध्याय (प्रथमचरित्र) के अन्त में ऊँ अम्बे
अम्बिके अम्बालिके न मानयति कश्चन । ससस्त्यश्वकः सुभद्रिकांकांपीलवासिनीं नमः । ऊँ
साङ्गायै सपरिवारायै सवाहनायै सर्वायुधायै वाग्भवबीजाधिष्ठात्र्यैमहाकाल्यै
नमः स्वाहा बोलते हुए विशेष आहुति प्रदान करें ।
द्वितीय से चतुर्थ अध्याय पर्यन्त (मध्यमचरित्र) के अन्त
में ऊँ अम्बे अम्बिके अम्बालिके न मानयति कश्चन । ससस्त्यश्वकः सुभद्रिकांकांपीलवासिनीं
नमः। ऊँ साङ्गायै सपरिवारायै सवाहनायै सर्वायुधायै हृल्लेखाबीजाधिष्ठात्र्यैमहालक्ष्म्यै
नमः स्वाहा बोलते हुए विशेष
आहुति प्रदान करें तथा
पञ्चम से त्रदोदश अध्याय पर्यन्त (उत्तम चरित्र) ऊँ अम्बे अम्बिके अम्बालिके न मानयति
कश्चन । ससस्त्यश्वकः सुभद्रिकांकांपीलवासिनीं नमः। ऊँ साङ्गायै सपरिवारायै
सवाहनायै सर्वायुधायै कामबीजाधिष्ठात्र्यै महासरस्वत्यै नमः स्वाहा बोलते हुए विशेष आहुति प्रदान करें ।
(नोट—हवन सामग्री सम्बन्धी जानकारी हेतु इस पुस्तक का अध्यायान्त
होम प्रकरण देखें)
ध्यातव्य
है कि विनियोग और ध्यान पूर्ववत हैं, किन्तु पाठक्रम में मूल बीजों को आद्योपान्त
सम्पुटिक किया गया है - आदि में वाक् बीज और अन्त में नमः का प्रयोग करके। अतः
इसी भाँति पाठ करना चाहिए।
देवीतीर्थस्थलों
में साधना कर रहे हों, तो किसी अतिरिक्त मूर्ति, यन्त्रादि स्थापन की आवश्यकता
नहीं है, किन्तु घर में साधना की स्थिति में चित्र, छोटी मूर्ति वा श्रीदेवीयन्त्र
अनिवार्य है। देवीयन्त्र का चित्र पुस्तक में यथास्थान दिया हुआ है। यन्त्र में
कहाँ क्या स्थापित-पूजित करना है इसे भी इसी पुस्तक में अन्यत्र स्पष्ट किया गया
है।
अब आगे साधकों की सम्मतिनुसार बीजात्मक
रात्रिसूक्त एवं तदुत्तर बीजात्मक सप्तशती को यथावत उद्धृत कर रहा हूँ—
।।अथ रात्रिसूक्तम्।।
ऊँ ऐं ह्रीं नमः।।
ऊँ ऐं स्रां(स्त्रां)
नमः।। ऊँ ऐं स्लूं नमः।।
ऊँ ऐं क्रैं नमः।।
ऊँ ऐं त्रां नमः।। ऊँ ऐं फ्रां नमः।। ऊँ ऐं जीं नमः।। ऊँ ऐं लूं
नमः।। ऊँ ऐं स्लूं नमः।। ऊँ ऐं नों नमः।। ऊँ
ऐं स्त्रीं नमः।। ऊँ ऐं प्रूं नमः।। ऊँ ऐं सूं नमः।।
ऊँ ऐं जां नमः।। ऊँ ऐं बौं नमः।। ऊँ ऐं ओं नमः।।
(अथ
सप्तशती विनियोग,न्यास और ध्यान)
(नोटः- प्रसंगवश यहाँ स्मरण दिला दूँ कि पाठक्रम में विनियोग
यथास्थान दो प्रकार का है—एक
तो तीनों चरित्रों का एकत्र विनियोग है और दूसरा तीनों चरित्रों का अलग-अलग भी।
चरित्र-विनियोग सिर्फ प्रथम, द्वितीय और पञ्चम अध्याय के प्रारम्भ में ही (चरित्र-परिवर्तन
क्रम में)करना है। इसी प्रकार ध्यान तीन तरह का है—पहला ध्यान है सप्तशती
समग्र(तीनों चरित्र) का एकत्र रुप से। फिर तीनों चरित्रों का अपना-अपना ध्यान है।
पुनः प्रत्येक अध्यायों में वर्णित देवी स्वरुपों के आधार पर प्रत्येक अध्यायों का
स्वतन्त्र ध्यान भी है। इस प्रकार हम पाते हैं कि ध्यान का तीन क्रम है । पाठकर्ताओं
को इसमें कहीं भी कटौती नहीं करनी चाहिए।)
सप्तशती विनियोगः—
प्रथममध्यमोत्तमचरित्राणां
ब्रह्माविष्णुरुद्राऋषयः, श्रीमहाकाली-महालक्ष्मीमहासरस्वत्योदेवताः, गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छन्दान्सि
नन्दाशाकंभरीभीमाः शक्तयः, रक्तदन्तिकादुर्गाभ्रामर्यो बीजानि,
अग्निवायुसूर्यास्तत्त्वानि, ऋग्यजुःसामवेदाध्यानानि, सकलकामना-सिद्धये श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वती प्रीत्यर्थे
जपे विनियोगः।
करन्यासः— ऊँ ऐं स्लूं नमः अँगुष्ठाभ्याम्
नमः । ऊँ ऐं फ्रें नमः तर्जनीभ्याम् नमः । ऊँ ऐं क्रीं नमः मध्यमाभ्याम् नमः । ऊँ
ऐं म्लूं नमः अनामिकाभ्याम् नमः । ऊँ ऐं घ्नैं नमः कनिष्ठिकाभ्याम् नमः । ऊँ ऐं
श्रूं नमः करतलकरपृष्ठाभ्याम् नमः ।।
हृदयादिन्यासः— ऊँ ऐं स्लूं नमः
हृदयाय नमः । ऊँ ऐं फ्रें नमः शिरसे स्वाहा । ऊँ ऐं क्रीं नमः शिखायै वषट् । ऊँ ऐं
म्लूं नमः कवचाय हुम् ।
ऊँ ऐं घ्रैं नमः नेत्रत्रयाय वैषट् ।
ऊँ ऐं श्रूं नमः अस्त्राय फट् ।
ध्यानम्— विद्युद्दामसमप्रभां
मृगपतिस्कंधस्थितां भीषणाम्
कन्याभिः
करवालखेटविलसद्धस्ताभिरासेविताम् ।
हस्तैश्चक्रगदासिखेटविशिखाश्चापं
गुणं तर्जनीम्
विभ्राणामनलात्मिकां
शशिधरां दुर्गात्रिनेत्रांभजे ।।
(उक्त सप्तशतीन्यासध्यानादि के
पश्चात् आगे चरित्र विनियोग और ध्यान करेंगे, तदुपरान्त बीजात्मकसप्तशती का पाठ)
।।श्री गणेशायनमः।।
।।अथ प्रथमोऽध्यायः।।
विनियोगः— ऊँ
अस्य प्रथमचरित्रस्य ब्रह्माऋषिः,महाकाली देवता, गायत्री छन्दः,नन्दाशक्तिः,रक्तदन्तिका
बीजम्,अग्निस्तत्त्वम्, ऋग्वेदस्वरुपम्,श्रीमहाकालीप्रीत्यर्थे जपे(पाठे)विनियोगः।
ध्यानम्
खड्गं चक्रगदेषुचापपरिघाञ्छूलं भुशुण्डीं शिरः ,
शंखं संदधतीं करैस्त्रिनयनां सर्वाङ्भूषावृताम् ।
नीलाश्मद्युतिमास्यपाददशकां सेवे महाकालिकाम्,
यामस्तौत्स्वपिते हरौ कलजो हन्तुं मधुं कैटभम् ।।
ऐं ह्रीं क्लीं चाणुण्डायै विच्चे ऊँ बीजत्रयायै विद्महे तत्प्रधानायै धीमहि
तन्नः शक्तिः प्रचोदयात् ।। (इस सप्तशतीगायत्री का भी तीन/पांच/नौ बार उच्चारण करेंगे)
(बीजात्मसप्तशती पाठ प्रारम्भ)
ऊँ ऐं श्रां नमः।१। ऊँ ऐं ह्रीं नमः।२। ऊँ ऐं क्लीं नमः।३। ऊँ ऐं श्रीं नमः।४। ऊँ ऐं प्रीं नमः।५। ऊँ ऐं ह्रां नमः।६। ऊँ ऐं ह्रीं नमः।
७। ऊँ ऐं स्रौं नमः।८। ऊँ ऐं प्रें नमः।९। ऊँ ऐं म्रीं नमः।१०। ऊँ ऐं ह्लीं नमः।११। ऊँ ऐं म्लीं नमः।१२। ऊँ ऐं स्त्रीं नमः।१३। ऊँ ऐं क्रां नमः।१४। ऊँ ऐं ह्स्लीं नमः।१५। ऊँ ऐं क्रीं नमः। १६। ऊँ ऐं चां नमः।१७। ऊँ ऐं भें नमः।१८। ऊँ ऐं क्रीं नमः।१९। ऊँ ऐं वैं नमः।२०। ऊँ ऐं ह्रौं नमः। २१। ऊँ ऐं युं नमः।२२। ऊँ ऐं जुं नमः।२३। ऊँ ऐं हं नमः।२४। ऊँ ऐं शं नमः।२५। ऊँ ऐं रौं नमः।२६। ऊँ ऐं यं नमः। २७। ऊँ ऐं विं नमः।२८। ऊँ ऐं वैं नमः।२९। ऊँ ऐं चें नमः।३०। ऊँ ऐं ह्रीं नमः।३१। ऊँ ऐं क्रूं नमः।३२। ऊँ ऐं सं नमः।३३। ऊँ ऐं कं नमः।३४। ऊँ ऐं श्रीं नमः।३५। ऊँ ऐं त्रों नमः। ३६। ऊँ ऐं स्त्रां नमः।३७। ऊँ ऐं ज्यं नमः।३८। ऊँ ऐं रौं नमः।३९। ऊँ ऐं द्रां नमः।४०। ऊँ ऐं ह्रां नमः। ४१। ऊँ ऐं ह्रां नमः।४२। ऊँ ऐं द्रूं नमः।४३। ऊँ ऐं शां नमः।४४। ऊँ ऐं क्रीं नमः।४५। ऊँ ऐं श्रौं नमः।४६। ऊँ ऐं जुं नमः।४७। ऊँ ऐं हल् रूं नमः।४८। ऊँ ऐं श्रूं नमः।४९। ऊँ ऐं प्रीं नमः।५०। ऊँ ऐं रं नमः।५१। ऊँ ऐं वं नमः। ५२। ऊँ ऐं ब्रों नमः।५३। ऊँ ऐं ब्लं नमः।५४। ऊँ ऐं स्त्रां नमः।५५। ऊँ ऐं ल्वां नमः।५६। ऊँ ऐं लूं नमः।५७। ऊँ ऐं सां नमः।५८। ऊँ ऐं रौं नमः।५९। ऊँ ऐं स्हौं नमः।६०। ऊँ ऐं क्रूं नमः। ६१। ऊँ ऐं शौं नमः।६२। ऊँ ऐं श्रौं नमः।६३। ऊँ ऐं वं नमः।६४। ऊँ ऐं त्रूं नमः।६५। ऊँ ऐं क्रौं नमः।६६। ऊँ ऐं क्लूं नमः।६७। ऊँ ऐं क्लीं नमः।६८। ऊँ ऐं श्रीं नमः।६९। ऊँ ऐं ब्लूं नमः।७०। ऊँ ऐं ठां नमः। ७१। ऊँ ऐं ह्रीं नमः।७२। ऊँ ऐं स्त्रां नमः।७३। ऊँ ऐं स्लूं नमः। ७४। ऊँ ऐं क्रैं नमः।७५। ऊँ ऐं त्रां नमः।७६। ऊँ ऐं फ्रां नमः।७७। ऊँ ऐं जीं नमः।७८। ऊँ ऐं लूं नमः।७९। ऊँ ऐं स्लूं नमः।८०। ऊँ ऐं नों नमः।८१। ऊँ ऐं स्त्रीं नमः।८२। ऊँ ऐं प्रूं नमः।८३। ऊँ ऐं स्रूं नमः। ८४। ऊँ ऐं ज्रां नमः।८५। ऊँ ऐं बौं नमः।८६। ऊँ ऐं ओं नमः।८७। ऊँ ऐं श्रौं नमः। ८८। ऊँ ऐं ऋं नमः।८९। ऊँ ऐं रुं नमः।९०। ऊँ ऐं क्लीं नमः।९१। ऊँ ऐं दुं नमः।९२। ऊँ ऐं ह्रीं नमः। ९३। ऊँ ऐं गूं नमः।९४। ऊँ ऐं लां नमः।९५। ऊँ ऐं ह्रां नमः।९६। ऊँ ऐं गं नमः।९७। ऊँ ऐं ऐं नमः।९८। ऊँ ऐं श्रौं नमः।९९। ऊँ ऐं जूं नमः। १००। ऊँ ऐं डें नमः।१०१। ऊँ ऐं श्रौं नमः।१०२। ऊँ ऐं छां नमः।१०३। ऊँ ऐं क्लीं नमः।१०४।
।। ऊँ
श्रीं क्लीं ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा ।।
--इति प्रथमोऽध्यायः—
।।अथ द्वितीयोऽध्यायः।।
विनियोगः— ऊँ अस्य मध्यमचरित्रस्य
विष्णुर्ऋषिः महालक्ष्मीर्देवताः उष्णिक्छन्दः शाकम्भरी शक्तिः दुर्गाबीजं
वायुस्तत्त्वं यजुर्वेदः स्वरुपं श्री महालक्ष्मीप्रीत्यर्थे
मध्यमचरित्रजपे(पाठे)विनियोगः।।
ध्यानम्—
ऊँ अक्षस्रक्परशुं गदेषुकुलिशं पद्मं धनुष्कुण्डिकां
दण्डं शक्तिमसिं च चर्म जलजं घण्टा सुराभाजनम् ।
शूलं पाशसुदर्शने च दधतीं हस्तैः प्रसन्नाननां
सेवे सैरिभमर्दिनिमिह महालक्ष्मीं सरोजस्थिताम् ।।
१.
ऊँ ऐं श्रौं नमः।
२.
ऊँ ऐं श्रीं नमः।
३.
ऊँ ऐं ह् सूं नमः।
४.
ऊँ ऐं हौं नमः।
५.
ऊँ ऐं ह्रीं नमः।
६.
ऊँ ऐं अं नमः।
७.
ऊँ ऐं क्लीं नमः।
८.
ऊँ ऐं चां नमः।
९.
ऊँ ऐं मुं नमः।
१०. ऊँ ऐं डां नमः।
११. ऊँ ऐं यैं नमः।
१२. ऊँ ऐं विं नमः।
१३. ऊँ ऐं च्चें नमः।
१४. ऊँ ऐं ईंनमः।
१५. ऊँ ऐं सौं नमः।
१६. ऊँ ऐं गं नमः।
१७. ऊँ ऐं त्रौं नमः।
१८. ऊँ ऐं लूं नमः।
१९. ऊँ ऐं वं नमः।
२०. ऊँ ऐं ह्रां नमः।
२१. ऊँ ऐं क्रीं नमः।
२२. ऊँ ऐं सौं नमः।
२३. ऊँ ऐं यं नमः।
२४. ऊँ ऐं ऐं नमः।
२५. ऊँ ऐं मूं नमः।
२६. ऊँ ऐं सं नमः।
२७. ऊँ ऐं हं नमः।
२८. ऊँ ऐं सं नमः।
२९. ऊँ ऐं सों नमः।
३०. ऊँ ऐं शं नमः।
३१. ऊँ ऐं हं नमः।
३२. ऊँ ऐं ह्रौं नमः।
३३. ऊँ ऐं म्लीं नमः।
३४. ऊँ ऐं यूं नमः।
३५. ऊँ ऐं त्रूं नमः।
३६. ऊँ ऐं स्रीं नमः।
३७. ऊँ ऐं आं नमः।
३८. ऊँ ऐं प्रें नमः।
३९. ऊँ ऐं शं नमः।
४०. ऊँ ऐं ह्रां नमः।
४१. ऊँ ऐं स्मूं नमः।
४२. ऊँ ऐं ऊँ नमः।
४३. ऊँ ऐं गूं नमः।
४४. ऊँ ऐं व्यं नमः।
४५. ऊँ ऐं ह्रं नमः।
४६. ऊँ ऐं भैं नमः।
४७. ऊँ ऐं ह्रां नमः।
४८. ऊँ ऐं क्रूं नमः।
४९. ऊँ ऐं मूं नमः।
५०. ऊँ ऐं ल्रीं नमः।
५१. ऊँ ऐं श्रां नमः।
५२. ऊँ ऐं द्रूं नमः।
५३. ऊँ ऐं ह्रूं नमः।
५४. ऊँ ऐं ह् सौं नमः।
५५. ऊँ ऐं क्रां नमः।
५६. ऊँ ऐं स्हौं नमः।
५७. ऊँ ऐं म्लूं नमः।
५८. ऊँ ऐं श्रीं नमः।
५९. ऊँ ऐं गैं नमः।
६०. ऊँ ऐं क्रीं नमः।
६१. ऊँ ऐं त्रीं नमः।
६२. ऊँ ऐं क्सीं नमः।
६३. ऊँ ऐं फ्रों नमः।
६४. ऊँ ऐं फ्रौं नमः।
६५. ऊँ ऐं ह्रीं नमः।
६६. ऊँ ऐं शां नमः।
६७. ऊँ ऐं क्ष्मीं नमः।
६८. ऊँ ऐं रों नमः।
६९. ऊँ ऐं ङूं नमः।
।। ऊँ ऐं क्रीं क्रां सौं सः फट्
स्वाहा ।।
--इति द्वितीयोऽध्यायः—
।।अथ तृतीयोऽध्यायः।।
ध्यानम्
ऊँ
उद्यद्भानुसहस्रकान्तिमरुणक्षौमां शिरोमालिकाम्,
रक्तालिप्तपयोधरां
जपवटीं विद्यामभीतिं वरम् ।
हस्ताब्जैर्दधतीं
त्रिनेत्रविलसद्वक्त्रारविन्दाश्रियम् ,
देवीं
बद्धहिमाशुरत्नमुकुटां वन्देऽरविन्दस्थिताम् ।।
१.
ऊँ ऐं श्रौं नमः ।
२.
ऊँ ऐं क्लीं नमः।
३.
ऊँ ऐं सां नमः।
४.
ऊँ ऐं त्रों नमः ।
५.
ऊँ ऐं प्रूं नमः ।
६.
ऊँ ऐं म्लीं नमः ।
७.
ऊँ ऐं क्रौं नमः
।
८.
ऊँ ऐं व्रीं नमः ।
९.
ऊँ ऐं स्लीं नमः ।
१०.
ऊँ ऐं ह्रीं नमः ।
११.
ऊँ ऐं ह्रौं नमः ।
१२.
ऊँ ऐं श्रां नमः ।
१३.
ऊँ ऐं ग्रों नमः ।
१४.
ऊँ ऐं क्रूं नमः ।
१५.
ऊँ ऐं क्रीं नमः ।
१६.
ऊँ ऐं यां नमः ।
१७.
ऊँ ऐं द्लूं नमः ।
१८.
ऊँ ऐं द्रूं नमः ।
१९.
ऊँ ऐं क्षं नमः ।
२०.
ऊँ ऐं ओं नमः ।
२१.
ऊँ ऐं क्रौं नमः ।
२२.
ऊँ ऐं क्ष्म्क्ल्री नमः
२३.
ऊँ ऐं वां नमः ।
२४.
ऊँ ऐं श्रूं नमः ।
२५.
ऊँ ऐं ब्लूं नमः ।
२६.
ऊँ ऐं ल्रीं नमः ।
२७.
ऊँ ऐं प्रें नमः ।
२८.
ऊँ ऐं हूं नमः ।
२९.
ऊँ ऐं ह्रौं नमः ।
३०.
ऊँ ऐं दें नमः ।
३१.
ऊँ ऐं नूं नमः ।
३२.
ऊँ ऐं आं नमः ।
३३.
ऊँ ऐं फ्रां नमः ।
३४.
ऊँ ऐं प्रीं नमः ।
३५.
ऊँ ऐं दूं नमः ।
३६.
ऊँ ऐं फ्रीं नमः ।
३७.
ऊँ ऐं ह्रीं नमः ।
३८.
ऊँ ऐं गूं नमः ।
३९.
ऊँ ऐं श्रौं नमः ।
४०.
ऊँ ऐं सां नमः ।
४१.
ऊँ ऐं श्रीं नमः ।
४२.
ऊँ ऐं जुं नमः ।
४३.
ऊँ ऐं हं नमः ।
४४.
ऊँ ऐं सं नमः ।
।। ऊँ ह्रीं श्रीं कुं फट् स्वाहा
।।
इति तृतीयोऽध्यायः
।। अथ चतुर्थोऽध्यायः ।।
ध्यानम्
ऊँ कालाभ्राभां कटौक्षैररिकुलभयदां मौलिबद्धेन्दुरेखाम्,
शङ्गंचक्रं कृपाणं त्रिशिकमपि करैरुद्वहन्तीं
त्रिनेत्राम् ।
सिंहस्कन्धाधिरुढां त्रिभुवनमखिलं तेजसा पूरयन्तीम्
ध्यायेद् दुर्गां जयाख्यां त्रिदशपरिवृतां सेवितां
सिद्धिकामैः।।
१. ऊँ ऐं श्रौं नमः
।
२. ऊँ ऐं सौं नमः ।
३. ऊँ ऐं दों नमः ।
४. ऊँ ऐं प्रें नमः
।
५. ऊँ ऐं यां नमः ।
६. ऊँ ऐं रूं नमः ।
७. ऊँ ऐं भं नमः ।
८. ऊँ ऐं सूं नमः ।
९. ऊँ ऐं श्रां नमः
।
१०. ऊँ ऐं औं नमः ।
११. ऊँ ऐं लूं नमः ।
१२. ऊँ ऐं डूं नमः ।
१३.
ऊँ ऐं जूं नमः ।
१४.
ऊँ ऐं धूं नमः ।
१५.
ऊँ ऐं त्रें नमः ।
१६.
ऊँ ऐं ह्रीं नमः ।
१७.
ऊँ ऐं श्रीं नमः ।
१८.
ऊँ ऐं ईं नमः ।
१९.
ऊँ ऐं ह्रां नमः ।
२०.
ऊँ ऐं ह्रूंनमः ।
२१.
ऊँ ऐं क्लूं नमः ।
२२.
ऊँ ऐं क्रां नमः ।
२३.
ऊँ ऐं ल्लूं नमः ।
२४.
ऊँ ऐं फ्रें नमः ।
२५.
ऊँ ऐं क्रीं नमः ।
२६.
ऊँ ऐं म्लूं नमः ।
२७.
ऊँ ऐं घ्रें नमः ।
२८.
ऊँ ऐं श्रौं नमः ।
२९.
ऊँ ऐं ह्रौं नमः ।
३०.
ऊँ ऐं व्रीं नमः ।
३१.
ऊँ ऐं ह्रीं नमः ।
३२.
ऊँ ऐं त्रौं नमः ।
३३.
ऊँ ऐं हसौं नमः ।
३४.
ऊँ ऐं गीं नमः ।
३५.
ऊँ ऐं यूं नमः ।
३६.
ऊँ ऐं ह्लीं नमः ।
३७.
ऊँ ऐं ह्लूं नमः ।
३८.
ऊँ ऐं श्रौं नमः ।
३९.
ऊँ ऐं ओं नमः ।
४०.
ऊँ ऐं अं नमः ।
४१.
ऊँ ऐं म्हौं नमः ।
४२.
ऊँ ऐं प्रीं नमः ।
।।ऊँ अं ह्रीं श्रीं हंसः फट् स्वाहा ।।
इति चतुर्थोऽध्यायः
।। अथ पञ्चमोऽध्यायः।।
विनियोगः
ऊँ अस्य उत्तमचरित्रस्य रुद्र ऋषिः, महासरस्वती देवता, अनुपष्टुपछन्दः, भीमा
शक्तिः,भ्रामरी बीजम्, सूर्यस्तत्त्वं,
सामवेदः स्वरुपं श्रीमहासरस्वतीप्रीत्यर्थं पाठे (जपे) विनियोगः ।
ध्यानम्
ऊँ घण्टाशूलहलानि शंखमुसले चक्रं धनुः सायकं,
हस्ताब्जैर्दधतीं धनान्तविलसच्छीतांशुतुल्यप्रभाम् ।
गौरीदेहसमुद्धवां त्रिजगतामाधारभूतां महा,
पूर्वामन्त्र सरस्वतीमनुभजे शुम्भादिदैत्यार्दिनीम् ।।
१.
ऊँ ऐं श्रौं नमः।
२.
ऊँ ऐं प्रीं नमः।
३.
ऊँ ऐं आं नमः।
४.
ऊँ ऐं ह्रीं नमः।
५.
ऊँ ऐं ल्रीं नमः।
६.
ऊँ ऐं त्रों नमः।
७.
ऊँ ऐं क्रीं नमः।
८.
ऊँ ऐं ह्सौं नमः।
९.
ऊँ ऐं ह्रीं नमः।
१०. ऊँ ऐं श्रीं नमः।
११. ऊँ ऐं हूं नमः।
१२. ऊँ ऐं क्लीं नमः।
१३. ऊँ ऐं रौं नमः।
१४. ऊँ ऐं स्त्रीं नमः।
१५. ऊँ ऐं म्लीं नमः।
१६. ऊँ ऐं प्लूं नमः।
१७. ऊँ ऐं स्हां नमः।
१८. ऊँ ऐं स्त्रीं नमः।
१९. ऊँ ऐं ग्लूं नमः।
२०. ऊँ ऐं व्रीं नमः।
२१. ऊँ ऐं सौं नमः।
२२. ऊँ ऐं लूं नमः।
२३. ऊँ ऐं ल्लूं नमः।
२४. ऊँ ऐं द्रां नमः।
२५. ऊँ ऐं क्सां नमः।
२६. ऊँ ऐं क्ष्म्रीं
नमः।
२७. ऊँ ऐं ग्लौं नमः।
२८. ऊँ ऐं स्कूं नमः।
२९. ऊँ ऐं त्रूं नमः।
३०. ऊँ ऐं स्क्लूं नमः।
३१. ऊँ ऐं क्रौं नमः।
३२. ऊँ ऐं छ्रीं नमः।
३३. ऊँ ऐं म्लूं नमः।
३४. ऊँ ऐं क्लूं नमः।
३५. ऊँ ऐं शां नमः।
३६. ऊँ ऐं ल्हीं नमः।
३७. ऊँ ऐं स्त्रूं नमः।
३८. ऊँ ऐं ल्लीं नमः।
३९. ऊँ ऐं लीं नमः।
४०. ऊँ ऐं सं नमः।
४१. ऊँ ऐं लूं नमः।
४२. ऊँ ऐं ह्सूं नमः।
४३. ऊँ ऐं श्रूं नमः।
४४. ऊँ ऐं जूं नमः।
४५. ऊँ ऐं हस्ल्रीं
नमः।
४६. ऊँ ऐं स्कीं नमः।
४७. ऊँ ऐं क्लां नमः।
४८. ऊँ ऐं श्रूं नमः।
४९. ऊँ ऐं हं नमः।
५०. ऊँ ऐं ह्लीं नमः।
५१. ऊँ ऐं क्स्रीं नमः।
५२. ऊँ ऐं द्रौं नमः।
५३. ऊँ ऐं क्लूं नमः।
५४. ऊँ ऐं गां नमः।
५५. ऊँ ऐं सं नमः।
५६. ऊँ ऐं ल्स्रां नमः।
५७. ऊँ ऐं फ्रीं नमः।
५८. ऊँ ऐं स्लां नमः।
५९. ऊँ ऐं ल्लूं नमः।
६०. ऊँ ऐं फ्रें नमः।
६१. ऊँ ऐं ओं नमः।
६२. ऊँ ऐं स्म्लींनमः।
६३. ऊँ ऐं ह्रां नमः।
६४. ऊँ ऐं ओं नमः।
६५. ऊँ ऐं ह्लूं नमः।
६६. ऊँ ऐं हूं नमः।
६७. ऊँ ऐं नं नमः।
६८. ऊँ ऐं स्रां नमः।
६९. ऊँ ऐं वं नमः।
७०. ऊँ ऐं मं नमः।
७१. ऊँ ऐं म्क्लीं नमः।
७२. ऊँ ऐं शां नमः।
७३. ऊँ ऐं लं नमः।
७४. ऊँ ऐं भैं नमः।
७५. ऊँ ऐं ल्लूं नमः।
७६. ऊँ ऐं हौं नमः।
७७. ऊँ ऐं ईं नमः।
७८. ऊँ ऐं चें नमः।
७९. ऊँ ऐं ल्क्रीं नमः।
८०. ऊँ ऐं ह्ल् रींनमः।
८१. ऊँ ऐं क्ष्म्ल्
रीं नमः।
८२. ऊँ ऐं यूं नमः।
८३. ऊँ ऐं श्रौं नमः।
८४. ऊँ ऐं ह्रौं नमः।
८५. ऊँ ऐं भ्रूं नमः।
८६. ऊँ ऐं क्स्त्रीं
नमः।
८७. ऊँ ऐं आं नमः।
८८. ऊँ ऐं क्रूं नमः।
८९. ऊँ ऐं त्रूं नमः।
९०. ऊँ ऐं डूं नमः।
९१. ऊँ ऐं जां नमः।
९२. ऊँ ऐं ह्ल् रूं
नमः।
९३. ऊँ ऐं फ्रौं नमः।
९४. ऊँ ऐं क्रौं नमः।
९५. ऊँ ऐं किं नमः।
९६. ऊँ ऐं ग्लूं नमः।
९७. ऊँ ऐं छ्क्लीं नमः।
९८. ऊँ ऐं रं नमः।
९९. ऊँ ऐं क्सैं नमः।
१००.ऊँ ऐं स्हुंनमः।
१०१.ऊँ ऐं श्रौंनमः।
१०२.ऊँ ऐं ह्श्रींनमः।
१०३.ऊँ ऐं ओंनमः।
१०४.ऊँ ऐं लूंनमः।
१०५.ऊँ ऐं ल्हूंनमः।
१०६.ऊँ ऐं ल्लूंनमः।
१०७.ऊँ ऐं स्क्रींनमः।
१०८.ऊँ ऐं स्स्रौंनमः।
१०९.ऊँ ऐं स्श्रूं नमः।
११०.ऊँ ऐंक्ष्म्क्लीमः।
१११.ऊँ ऐं व्रीं नमः।
११२.ऊँ ऐं सीं नमः।
११३.ऊँ ऐं भ्रूं नमः।
११४.ऊँ ऐं लां नमः।
११५.ऊँ ऐं श्रौंनमः।
११६.ऊँ ऐं स्हैंनमः।
११७.ऊँ ऐं ह्रीं नमः।
११८.ऊँ ऐं श्रीं नमः।
११९.ऊँ ऐं फ्रें नमः।
१२०.ऊँ ऐं रूं नमः।
१२१.ऊँ ऐं च्छूं नमः।
१२२.ऊँ ऐं ल्हूं नमः।
१२३.ऊँ ऐं कं नमः।
१२४.ऊँ ऐं द्रें नमः।
१२५.ऊँ ऐं श्रीं नमः।
१२६.ऊँ ऐं सां नमः।
१२७.ऊँ ऐं ह्रीं नमः।
१२८.ऊँ ऐं ऐं नमः।
१२९.ऊँ ऐंस्क्लीं नमः।
(इस अध्याय के अन्त में अतिरिक्त मन्त्र नहीं है)
इति पञ्चमोऽध्यायः
।।अथ षष्ठोऽध्यायः।।
ऊँ नागाधीश्वरविष्टरां फणिफणोत्तंसोरुरत्नावली-
भास्वद्देहलतां दिवाकरनिभां नेत्रत्रयोद्भासिताम् ।
मालाकुम्भकपालनीरजकरां चन्द्रार्धचूड़ां परा,
सर्वज्ञेश्वरभैरवाङ्कनिलयां पद्मावतीं चिन्तये ।।
१.
ऊँ ऐं श्रौं नमः।
२.
ऊँ ऐं ओं नमः।
३.
ऊँ ऐं त्रूं नमः।
४.
ऊँ ऐं ह्रौं नमः।
५.
ऊँ ऐं क्रौं नमः।
६.
ऊँ ऐं श्रौं नमः।
७.
ऊँ ऐं त्रीं नमः।
८.
ऊँ ऐं क्लीं नमः।
९.
ऊँ ऐं प्रीं नमः।
१०.
ऊँ ऐं ह्रीं नमः।
११.
ऊँ ऐं ह्रौं नमः।
१२.
ऊँ ऐं श्रौं नमः।
१३.
ऊँ ऐं ऐं नमः।
१४.
ऊँ ऐं ओं नमः।
१५.
ऊँ ऐं श्रीं नमः।
१६.
ऊँ ऐं क्रां नमः।
१७.
ऊँ ऐं हूं नमः।
१८.
ऊँ ऐंछ्रांक्लीं नमः।
१९.
ऊँ ऐंक्ष्म्क्ल् रीं नमः
२०.
ऊँ ऐं ल्लूं नमः ।
२१.
ऊँ ऐं सौं नमः ।
२२.
ऊँ ऐं ह्लौं नमः ।
२३.
ऊँ क्रूं ऐं नमः ।
२४.
ऊँ सौं ऐं नमः ।
।।ऊँ श्रीं यं ह्रीं क्लीं
ह्रीं फट् स्वाहा।।
।।इति
षष्ठोऽध्यायः।।
।।अथ सप्तमोऽध्यायः।।
ध्यानम्
ऊँ ध्यायेयं रत्नपीठे शुककलपठितं श्रृण्वतीं
श्यामलाङ्गीं
न्यस्तैकाङ्घ्रिं
सरोजे शशिशकलधरां वल्लकीं वादयन्तीम् ।
कह्लारबद्धमालां
नियमिलविलसच्चोलिकां रक्तवस्त्रां ,
मातङ्गीं
शङ्खपात्रां मधुरमधुमदां चित्रकोद्भासिभालाम् ।।
१.
ऊँ ऐं श्रौं नमः ।
२.
ऊँ ऐं कूं नमः ।
३.
ऊँ ऐं ह्लीं नमः ।
४.
ऊँ ऐं ह्रं नमः ।
५.
ऊँ ऐं मूं नमः ।
६.
ऊँ ऐं त्रौं नमः ।
७.
ऊँ ऐं ह्रौं नमः ।
८.
ऊँ ऐं ओं नमः ।
९.
ऊँ ऐं ह्सूं नमः ।
१०.
ऊँ ऐं क्लूं नमः ।
११.
ऊँ ऐं कें नमः ।
१२.
ऊँ ऐं नें नमः ।
१३.
ऊँ ऐं लूं नमः ।
१४.
ऊँ ऐं ह्स्लीं नमः ।
१५.
ऊँ ऐं प्लूं नमः ।
१६.
ऊँ ऐं शां नमः ।
१७.
ऊँ ऐं स्लूं नमः ।
१८.
ऊँ ऐं प्लीं नमः ।
१९.
ऊँ ऐं प्रैं नमः ।
२०.
ऊँ ऐं अं नमः ।
२१.
ऊँ ऐं औं नमः ।
२२.
ऊँ ऐं म्ल्रीं नमः ।
२३.
ऊँ ऐं श्रां नमः ।
२४.
ऊँ ऐं सौं नमः ।
२५.
ऊँ ऐं श्रौं नमः ।
२६.
ऊँ ऐं प्रीं नमः ।
२७.
ऊँ ऐं ह्स्वीं नमः
।। ऊँ रं रं रं कं कं कं जं जं जं चामुण्यै फट् स्वाहा ।।
-इति सप्तमोऽध्यायः-
।।अथ अष्टमोऽध्यायः।।
ध्यानम्
ऊँ अरुणां करुणातरङ्गिताक्षीं धृतपाशाङ्कुशबाणचापहस्ताम्
।
अणिमादिभिरावृतां मयूखैरहमित्येव विभावये भवानीम् ।।
१.
ऊँ ऐं श्रौं नमः ।
२.
ऊँ ऐं म्ह्ल्रीं नमः ।
३.
ऊँ ऐं प्रूं नमः ।
४.
ऊँ ऐं ऐं नमः ।
५.
ऊँ ऐं क्रों नमः ।
६.
ऊँ ऐं ईं नमः ।
७.
ऊँ ऐं ऐं नमः ।
८.
ऊँ ऐं ल्रीं नमः ।
९.
ऊँ ऐं फ्रौं नमः ।
१०.
ऊँ ऐं म्लूं नमः ।
११.
ऊँ ऐं नों नमः ।
१२.
ऊँ ऐं हूं नमः ।
१३.
ऊँ ऐं फ्रीं नमः ।
१४.
ऊँ ऐं ग्लौं नमः ।
१५.
ऊँ ऐं स्मौं नमः ।
१६.
ऊँ ऐं सौं नमः ।
१७.
ऊँ ऐं श्रीं नमः ।
१८.
ऊँ ऐं स्हौं नमः ।
१९.
ऊँ ऐं ख्सें नमः ।
२०.
ऊँ ऐं क्ष्म्लीं नमः ।
२१.
ऊँ ऐं ह्रां नमः ।
२२.
ऊँ ऐं वीं नमः ।
२३.
ऊँ ऐं लूं नमः ।
२४.
ऊँ ऐं ल्सीं नमः ।
२५.
ऊँ ऐं ब्लों नमः ।
२६.
ऊँ ऐं त्स्त्रों नमः ।
२७.
ऊँ ऐं ब्रूं नमः ।
२८.
ऊँ ऐं श्ल्कीं नमः ।
२९.
ऊँ ऐं श्रूं नमः ।
३०.
ऊँ ऐं ह्रीं नमः ।
३१.
ऊँ ऐं शीं नमः ।
३२.
ऊँ ऐं क्लीं नमः ।
३३.
ऊँ ऐं क्लौं नमः ।
३४.
ऊँ ऐं प्रूं नमः ।
३५.
ऊँ ऐं ह्रूं नमः ।
३६.
ऊँ ऐं क्लूं नमः ।
३७.
ऊँ ऐं तौं नमः ।
३८.
ऊँ ऐं म्लूं नमः ।
३९.
ऊँ ऐं हं नमः ।
४०.
ऊँ ऐं स्लूं नमः ।
४१.
ऊँ ऐं औं नमः ।
४२.
ऊँ ऐं ल्हीं नमः ।
४३.
ऊँ ऐं श्ल्रीं नमः ।
४४.
ऊँ ऐं यां नमः ।
४५.
ऊँ ऐं थ्लीं नमः ।
४६.
ऊँ ऐं ल्हीं नमः ।
४७.
ऊँ ऐं ग्लौं नमः ।
४८.
ऊँ ऐं ह्रौं नमः
।
४९.
ऊँ ऐं प्रां नमः ।
५०.
ऊँ ऐं क्रीं नमः ।
५१.
ऊँ ऐं क्लीं नमः ।
५२.
ऊँ ऐं न्स्लूं नमः ।
५३.
ऊँ ऐं हीं नमः ।
५४.
ऊँ ऐं ह्लौं नमः ।
५५.
ऊँ ऐं ह्रैं नमः ।
५६.
ऊँ ऐं भ्रं नमः ।
५७.
ऊँ ऐं सौं नमः ।
५८.
ऊँ ऐं श्रीं नमः ।
५९.
ऊँ ऐं सूं नमः ।
६०.
ऊँ ऐं द्रौं नमः ।
६१.
ऊँ ऐं स्स्रां नमः ।
६२.
ऊँ ऐं ह्स्लीं नमः ।
६३.
ऊँ ऐं स्ल्ल्रीं नमः ।
।। ऊँ
शां सं श्रीं श्रं अं अः ह्लीं फट् स्वाहा
।।
।। इति अष्टमोऽअध्यायः ।।
।। अथ नवमोऽध्यायः ।।
ध्यानम्
ऊँ बन्धूककाञ्चननिभं रुचिराक्षमालां ,
पाशाङ्कुशौ च वरदां निजबाहुदण्डैः
।
विभ्राणमिन्दुशकालाभरणं त्रिनेत्र-
मर्धाम्बिकेशमनिशं वपुराश्रयामि ।।
१.
ऊँ ऐं रौं नमः।
२.
ऊँ ऐं क्लीं नमः।
३.
ऊँ ऐं म्लौं नमः।
४.
ऊँ ऐं श्रौं नमः।
५.
ऊँ ऐं ग्लीं नमः।
६.
ऊँ ऐं ह्रौं नमः।
७.
ऊँ ऐं ह्सौं नमः।
८.
ऊँ ऐं ईं नमः।
९.
ऊँ ऐं ब्रं नमः।
१०. ऊँ ऐं श्रां नमः।
११. ऊँ ऐं लूं नमः।
१२. ऊँ ऐं आं नमः।
१३. ऊँ ऐं श्रीं नमः।
१४. ऊँ ऐं क्रौं नमः।
१५. ऊँ ऐं प्रूं नमः।
१६. ऊँ ऐं क्लीं नमः।
१७. ऊँ ऐं भ्रं नमः।
१८. ऊँ ऐं ह्रौं नमः।
१९. ऊँ ऐं क्रीं नमः।
२०. ऊँ ऐं म्लीं नमः।
२१. ऊँ ऐं ग्लौं नमः।
२२. ऊँ ऐं ह्सूं नमः।
२३. ऊँ ऐं ल्पीं नमः।
२४. ऊँ ऐं ह्रौं नमः।
२५. ऊँ ऐं ह्स्रां नमः।
२६. ऊँ ऐं स्हौं नमः।
२७. ऊँ ऐं ल्लूं नमः।
२८. ऊँ ऐं क्स्लीं नमः।
२९. ऊँ ऐं श्रीं नमः।
३०. ऊँ ऐं स्तूं नमः।
३१. ऊँ ऐं च्रें नमः।
३२. ऊँ ऐं वीं नमः।
३३. ऊँ ऐं क्ष्लूं नमः।
३४. ऊँ ऐं श्लूं नमः।
३५. ऊँ ऐं क्रूं नमः।
३६. ऊँ ऐं क्रां नमः।
३७. ऊँ ऐं ह्रौं नमः।
३८. ऊँ ऐं क्रां नमः।
३९. ऊँ ऐं स्क्ष्लीं नमः।
४०. ऊँ ऐं सूं नमः।
४१. ऊँ ऐं फ्रूं नमः।
।। ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं सौं फट् स्वाहा ।।
इति नवमोऽध्यायः
।। अथ दशमोऽध्यायः ।।
ध्यानम्
ऊँ उत्तप्तहेमरुचिरां रविचन्द्रवह्निनेत्रां
धनुश्शरयुताङ्कुशपाशशूलम् ।
रम्यैर्भुजैश्च दधतीं शिवशक्तिरूपां
कामेश्वरीं हृदि भजामि धृतेन्दुलेखाम् ।।
१.
ऊँ ऐं श्रौं नमः।
२.
ऊँ ऐं ह्रीं नमः।
३.
ऊँ ऐं ब्लूं नमः।
४.
ऊँ ऐं ह्रीं नमः।
५.
ऊँ ऐं म्लूं नमः।
६.
ऊँ ऐं श्रौं नमः।
७.
ऊँ ऐं ह्रीं नमः।
८.
ऊँ ऐं ग्लीं नमः।
९.
ऊँ ऐं श्रौं नमः।
१०.
ऊँ ऐं ध्रूं नमः।
११.
ऊँ ऐं हुं नमः।
१२.
ऊँ ऐं द्रौं नमः।
१३.
ऊँ ऐं श्रीं नमः।
१४.
ऊँ ऐं श्रूं नमः।
१५.
ऊँ ऐं ब्रूं नमः।
१६.
ऊँ ऐं फ्रें नमः।
१७.
ऊँ ऐं ह्रां नमः।
१८.
ऊँ ऐं जुं नमः।
१९.
ऊँ ऐं स्रौं नमः।
२०.
ऊँ ऐं स्लूं नमः।
२१.
ऊँ ऐं प्रें नमः।
२२.
ऊँ ऐं ह्स्वां नमः।
२३.
ऊँ ऐं प्रीं नमः।
२४.
ऊँ ऐं फ्रां नमः।
२५.
ऊँ ऐं क्रीं नमः।
२६.
ऊँ ऐं श्रीं नमः।
२७.
ऊँ ऐं क्रां नमः।
२८.
ऊँ ऐं सः नमः।
२९.
ऊँ ऐं क्लीं नमः।
३०.
ऊँ ऐं व्रें नमः।
३१.
ऊँ ऐं ईंनमः।
३२.
ऊँ ऐं ज्स्ह्ल्रा नमः।
(किंचित
प्राचीन प्रतियों में अन्तिम मन्त्र का पाठ — ञ्स्ह्लीं है)
इति दशमोऽध्यायः
।। अथ
एकादशोऽध्यायः ।।
ध्यानम्
बालरविद्युतिमिन्दुकिरीटां तुङ्गकुचां
नयनत्रययुक्ताम् ।
स्मेरमुखीं
वरदाङ्कुशपाशाभीतिकरां प्रभजे भुवनेशीम् ।।
१.
ऊँ ऐं श्रौं नमः ।
२.
ऊँ ऐं क्रूं नमः ।
३.
ऊँ ऐं श्रीं नमः ।
४.
ऊँ ऐं ल्लीं नमः ।
५.
ऊँ ऐं प्रें नमः ।
६.
ऊँ ऐं सौं नमः ।
७.
ऊँ ऐं स्हौं नमः ।
८.
ऊँ ऐं श्रूं नमः ।
९.
ऊँ ऐं क्लीं नमः ।
१०. ऊँ ऐं स्कलीं नमः
।
११. ऊँ ऐं प्रीं नमः
।
१२. ऊँ ऐं ग्लौं नमः
।
१३. ऊँ ऐं ह्ह्रीं नमः
।
१४. ऊँ ऐं स्तौं नमः
।
१५. ऊँ ऐं क्लीं नमः
।
१६. ऊँ ऐं म्लीं नमः
।
१७. ऊँ ऐं स्तूं नमः
।
१८. ऊँ ऐं ज्स्ह्रीं
नमः ।
१९. ऊँ ऐं फ्रूं नमः
।
२०. ऊँ ऐं क्रूं नमः
।
२१. ऊँ ऐं ह्रीं नमः
।
२२. ऊँ ऐं ल्लूं नमः
।
२३. ऊँ ऐं क्ष्म्रीं
नमः ।
२४. ऊँ ऐं श्रूं नमः
।
२५. ऊँ ऐं इं नमः ।
२६. ऊँ ऐं जुं नमः ।
२७. ऊँ ऐं त्रैं नमः
।
२८. ऊँ ऐं द्रूं नमः ।
२९. ऊँ ऐं ह्रौं नमः
।
३०. ऊँ ऐं क्लीं नमः
।
३१. ऊँ ऐं सूं नमः ।
३२. ऊँ ऐं हौं नमः ।
३३. ऊँ ऐं श्व्रं नमः
।
३४. ऊँ ऐं द्रूं नमः
।
३५. ऊँ ऐं फां नमः ।
३६. ऊँ ऐं ह्रीं नमः
।
३७. ऊँ ऐं लं नमः ।
३८. ऊँ ऐं ह्सां नमः
।
३९. ऊँ ऐं सें नमः ।
४०. ऊँ ऐं ह्रीं नमः
।
४१. ऊँ ऐं ह्रौं नमः
।
४२. ऊँ ऐं विं नमः ।
४३. ऊँ ऐं प्लीं नमः
।
४४. ऊँ ऐं क्ष्म्क्ली
नमः ।
४५. ऊँ ऐं त्स्रां नमः
।
४६. ऊँ ऐं प्रं नमः
।
४७. ऊँ ऐं म्लीं नमः
।
४८. ऊँ ऐं स्रूं नमः
।
४९. ऊँ ऐं क्ष्मां नमः
।
५०. ऊँ ऐं स्तूं नमः
।
५१. ऊँ ऐं स्ह्रीं नमः
।
५२. ऊँ ऐं थ्प्रीं नमः
।
५३. ऊँ ऐं क्रौं नमः
।
५४. ऊँ ऐं श्रां नमः
।
५५. ऊँ ऐं म्लीं नमः
।
।।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं सौं नमः फट् स्वाहा ।।
इति एकादशोऽध्यायः
।। अथ द्वादशोऽध्यायः ।।
ध्यानम्
ऊँ विद्युद्दामसमप्रभां मृगपतिस्कन्धस्थितां भीषणाम्
कन्याभिः करवालखेटविलसद्धस्ताभिरासेविताम् ।
हस्तैश्चक्रगदासिखेटविशिखांश्चापं गुणं तर्जनीं
विभ्राणामनलात्मिकां शशिधरां दुर्गा त्रिनेत्रां भजे ।।
१.
ऊँ ऐं ह्रीं नमः ।
२.
ऊँ ऐं ओं नमः ।
३.
ऊँ ऐं श्रीं नमः ।
४.
ऊँ ऐं ईं नमः ।
५.
ऊँ ऐं क्लीं नमः ।
६.
ऊँ ऐं क्रूं नमः ।
७.
ऊँ ऐं श्रूं नमः ।
८.
ऊँ ऐं प्रां नमः ।
९.
ऊँ ऐं क्रूं नमः ।
१०. ऊँ ऐं दिं नमः ।
११. ऊँ ऐं फ्रें नमः
।
१२. ऊँ ऐं हं नमः ।
१३. ऊँ ऐं सः नमः ।
१४. ऊँ ऐं चें नमः ।
१५. ऊँ ऐं सूं नमः ।
१६. ऊँ ऐं प्रीं नमः
।
१७. ऊँ ऐं व्लूं नमः
।
१८. ऊँ ऐं आं नमः ।
१९. ऊँ ऐं औं नमः ।
२०. ऊँ ऐं ह्रीं नमः
।
२१. ऊँ ऐं क्रीं नमः
।
२२. ऊँ ऐं द्रां नमः
।
२३. ऊँ ऐं श्रीं नमः
।
२४. ऊँ ऐं स्लीं नमः
।
२५. ऊँ ऐं क्लीं नमः
।
२६. ऊँ ऐं स्लूं नमः
।
२७. ऊँ ऐं ह्रीं नमः
।
२८. ऊँ ऐं व्लीं नमः
।
२९. ऊँ ऐं त्रों नमः
।
३०. ऊँ ऐं ओं नमः ।
३१. ऊँ ऐं श्रौं नमः
।
३२. ऊँ ऐं ऐं नमः ।
३३. ऊँ ऐं प्रें नमः
।
३४. ऊँ ऐं द्रूं नमः
।
३५. ऊँ ऐं क्लूं नमः
।
३६. ऊँ ऐं औं नमः ।
३७. ऊँ ऐं सूं नमः ।
३८. ऊँ ऐं चें नमः ।
३९. ऊँ ऐं हैं नमः ।
४०. ऊँ ऐं प्लीं नमः
।
४१. ऊँ ऐं क्षां नमः
।
।। ऊँ यं यं यं रं रं रं ठं ठं ठं फट् स्वाहा ।।
इति
द्वादशोऽध्यायः
।। अथ त्रयोदशोऽध्यायः ।।
ध्यानम्
ऊँ बालार्कमण्डलाभासां चतुर्वाहुं
त्रिकोचनाम् ।
पाशाङ्कुशवराभीतीर्भारयन्तीं शिवां भजे ।।
१.
ऊँ ऐं श्रौं नमः ।
२.
ऊँ ऐं व्रीं नमः ।
३.
ऊँ ऐं ओं नमः ।
४.
ऊँ ऐं औं नमः ।
५.
ऊँ ऐं ह्रां नमः ।
६.
ऊँ ऐं श्रीं नमः ।
७.
ऊँ ऐं श्रां नमः ।
८.
ऊँ ऐं ओं नमः ।
९.
ऊँ ऐं प्लीं नमः ।
१०. ऊँ ऐं सौं नमः ।
११. ऊँ ऐं ह्रीं नमः
।
१२. ऊँ ऐं क्रीं नमः
।
१३. ऊँ ऐं ल्लूं नमः
।
१४. ऊँ ऐं क्लीं नमः
।
१५. ऊँ ऐं ह्रीं नमः
।
१६. ऊँ ऐं प्लीं नमः
।
१७. ऊँ ऐं श्रीं नमः
।
१८. ऊँ ऐं ल्लीं नमः
।
१९. ऊँ ऐं श्रूं नमः
।
२०. ऊँ ऐं ह्रीं नमः
।
२१. ऊँ ऐं त्रूं नमः
।
२२. ऊँ ऐं हूं नमः ।
२३. ऊँ ऐं प्रीं नमः
।
२४. ऊँ ऐं ओं नमः ।
२५. ऊँ ऐं सूं नमः ।
२६. ऊँ ऐं श्रीं नमः
।
२७. ऊँ ऐं ह्लौं नमः
।
२८. ऊँ ऐं यौं नमः ।
२९. ऊँ ऐं ओं नमः ।
।। ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुम्डायै विच्चे।।
।। इति त्रयोदशोऽध्यायः।।
क्रमशः....
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