श्रीदुर्गासप्तशतीःएक अध्ययन का पन्द्रहवाँ भाग
गतांश से आगे...
विशेष हवन प्रक्रिया---
क्रमशः...
गतांश से आगे...
विशेष हवन प्रक्रिया---
आगे
इस प्रसंग में दुर्गोपनिषत्कल्पद्रुम एवं अन्यान्य ग्रन्थों के आधार पर, अध्याय
क्रम से मन्त्र संख्या एवं आहुति-सामग्री-सारणी प्रस्तुत है।
—प्रथम अध्याय—
श्लोकसंख्या ५६ - बलादाकृष्यमोहाय... विशेष
आहुति— शर्करा (चीनी बनने से पूर्व का रुप—भूर्रा )।
श्लोकसंख्या ६७ - आस्तीर्य शेषमभजत् ... विशेष
आहुति— कमलगट्टा।
श्लोकसंख्या १००- वञ्चिताभ्यामिति तदा ...विशेष आहुति—
कर्पूर ।
श्लोकसंख्या १०१- विलोक्य ताभ्यां गदितो... विशेष आहुति— कमलगट्टा।
श्लोकसंख्या १०३ – तथेत्युक्त्वा भगवता... विशेष आहुति—
मधु, केला, गुग्गुल, नागर, पान ।
मन्त्र संख्या ८० से ८४ तक इन पाँच (कवच मन्त्रों ) के बदले
नवार्ण मन्त्रोच्चारण पूर्वक आहुति प्रदान करे ।
प्रथम अध्याय के अन्त में तान्त्रिक आहुति—
ऊँ सांगायै सायुधायै सशक्तिकायै
सपरिवारायै सवाहनायै (ऐं) वाग्भवबीजाधिष्ठातृ
महाकालिकायै महाहुतिं समर्पयामि नमः स्वाहा—इस मन्त्र से पान के उलटे पत्ते पर
शाकल्य, कमलगट्टा, सुपारी, लौंग, छोटी इलाइची, गूगल, मधु और पर्याप्त मात्रा में
घी स्रुवे पर रखकर खड़े होकर एक आहुति प्रदान करें।
उक्त सामग्री के साथ
ही वैदिक आहुति हेतु इस मन्त्र का प्रयोग करें— ऊँ प्राणाय स्वाहा,अपानाय
स्वाहा,व्यानाय स्वाहा, अम्बे अम्बिकेऽम्बालिके न मा नयति कश्चन ससस्त्यश्वकः सुभद्रिकां
काम्पीलवासिनीम् स्वाहा । आहुति देकर पुनः स्रुवे में घी लेकर
निम्नांकित मन्त्र से पाँच आहुति और प्रदान करे—
ऊँ घृतं घृतपावानः पिवतव्वसां वसा
पावानः । पिवतांतरिक्षस्यहविरसिस्वाहा ।
दिशः प्रतिशऽआदिशोव्विद्दिशऽउद्दिशोदिग्भ्यः स्वाहा।(यजु.६-१९)
(नोट— कहीं भी वैदिक वा
तान्त्रिक विधियों में किसी एक का ही प्रयोग किया जाए। दोनों के एकत्र प्रयोग का
कोई औचित्य नहीं।)
—द्वितीय अध्याय —
श्लोकसंख्या २८ – अस्त्राण्येकरुपाणि... विशेष आहुति—कर्पूर।
श्लोकसंख्या ६०-
श्येनानुकारिणः प्राणान्... विशेष आहुति— सरसो।
श्लोकसंख्या ६७ – क्षणेन तन्महासैन्य... विशेष आहुति— राई ।
श्लोकसंख्या ६९
– देव्यागणैश्च तै... विशेष आहुति—पुष्प, विल्व पत्र।
द्वितीय अध्याय के अन्त में स्रुवा में पान के
उलटे पत्ते पर शाकल्य, कमलगट्टा, सुपारी, लौंग छोटी इलाइची, गूगल वगैरह
रखकर, खड़े होकर एक आहुति दें। तान्त्रिक मन्त्र— ऊँ ह्रीं सांगायै सायुधायै
सशक्तिकायै सपरिवारायै सवाहनायै श्री महालक्ष्म्यै अष्टाविंशति वर्णात्मिकायै महाहुतिं
समर्पयामि लक्ष्मीबीजाधिष्ठात्र्यै नमः स्वाहा। (वैदिक मन्त्रों के लिए
प्रथम अध्याय वाले मन्त्रों का ही प्रयोग करें)
—तृतीय अध्याय—
श्लोकसंख्या २०
विडालस्यासिना... विशेष आहुति—नीम्बू।
श्लोकसंख्या ३४ ततः क्रुद्धा जगन्माता...विशेष
आहुति—गुड़,दूध।
श्लोकसंख्या ३८ गर्ज गर्ज क्षणं मूढ...विशेष
आहुति— मधु।
श्लोकसंख्या ४२ अर्ध निष्कान्त एवासौ...विशेष
आहुति—कद्दू।
श्लोकसंख्या ४४ तुष्टुवुस्तां सुरादेवीं...विशेष
आहुति—पानसुपारी।
तृतीय अध्याय के अन्त में
स्रुवा
में पान के उलटे पत्ते पर शाकल्य, कमलगट्टा, सुपारी, लौंग छोटी इलाइची, गूगल वगैरह रखकर, खड़े होकर एक आहुति दें। तान्त्रिक
मन्त्र— ऊँ ह्रीं सांगायै सायुधायै सशक्तिकायै सपरिवारायै सवाहनायै श्री
महालक्ष्म्यै अष्टाविंशतिवर्णात्मिकायै महाहुतिं समर्पयामि लक्ष्मीबीजाधिष्ठात्र्यै
नमः स्वाहा। (वैदिक मन्त्रों के लिए प्रथम अध्याय वाले मन्त्रों का ही
प्रयोग करें)
अथवा उक्त दोनों मन्त्रों के लिए इन
सामग्रियों का प्रयोग भी किया जा सकता है— गुग्गुल, दही, उड़द एवं खोआ।
—चतुर्थ
अध्याय—
श्लोकसंख्या २४ से २७ पर्यन्त कवच
मन्त्र कहे गए हैं। अतः इनसे आहुति प्रदान न करे। इनके स्थान पर नवार्ण मन्त्र
वा ऊँनमश्चण्डिकायै स्वाहा बोलकर
आहुति डालें। जो इन रक्षा मन्त्रों का आहुति में प्रयोग करता है उसका देहनाश
होजाता है। इन मन्त्रों का अन्यत्र तान्त्रिक प्रयोग भी है। सवा लाख मन्त्र जप
से सिद्धि हो जाती है, जिसका विविध कार्यों में प्रयोग किया जाता है।
किंचित आचार्यों का
मत है कि चतुर्थ अध्याय के प्रारम्भ से ही सताइसवें श्लोक पर्यन्त मन्त्रों से
आहुति न दें। इनके स्थान पर नवार्ण मन्त्र का प्रयोग करे।
श्लोकसंख्या ३ देव्या यया ततमिदं...विशेष
आहुति—केला।
श्लोकसंख्या ७ हेतु समस्त जगतां...विशेष आहुति—विल्वफल।
श्लोकसंख्या ८ यस्याः समस्तसुरता... विशेष
आहुति—श्वेतचन्दन।
श्लोकसंख्या ११ मेधासि देवि विदिता... विशेष
आहुति—कर्पूर।
श्लोकसंख्या २३ त्रैलोक्यमेतदखिलं...विशेष
आहुति—सीताफल।
श्लोकसंख्या २९ एवं स्तुता सुरैर्देव्यैः...विशेष आहुति—
रक्तचन्दन।
श्लोकसंख्या ३० भक्त्यासमस्तै...विशेष आहुति—देवदारधूप।
श्लोकसंख्या ४२ रक्षणाय च लोकानां... विशेष आहुति—तिल,धूप,
मधु।
चतुर्थ अध्याय के अन्त में घृत मिश्रित हविष्य
अथवा हलुवा से ऊँ
सांगायै वर्णात्मिकायै त्रिशक्त्यै
महालक्ष्म्यै नमः स्वाहा— मन्त्र से एक
आहुति प्रदान करें।
अथवा, स्रुवा में पान के उलटे पत्ते पर शाकल्य, कमलगट्टा, सुपारी, लौंग, छोटीइलाइची, गूगल वगैरह रखकर, खड़े होकर एक आहुति दें। तान्त्रिक मन्त्र— ऊँ ह्रीं सांगायै सायुधायै सशक्तिकायै सपरिवारायै
सवाहनायै श्री महालक्ष्म्यै अष्टाविंशति वर्णात्मिकायै महाहुतिं समर्पयामि लक्ष्मीबीजाधिष्ठात्र्यै
नमः स्वाहा। (वैदिक
मन्त्रों के लिए प्रथम अध्याय वाले मन्त्रों का ही प्रयोग करें)
—पञ्चम अध्याय—
श्लोकसंख्या ९ नमो देव्यै महादेव्यै... विशेष
आहुति—हलुवा।
श्लोकसंख्या १० रौद्रायै नमो नित्यायै... विशेष
आहुति—आमला।
श्लोकसंख्या ११ कल्याण्यै प्रणतां वृद्ध्यै...
विशेष आहुति—भोजपत्र।
श्लोकसंख्या ९६ निधिरेषमहापदम्... विशेष आहुति—कमलगट्टा।
श्लोकसंख्या १२० यो मां जयति संग्रामे... विशेष
आहुति—कज्जल।
श्लोकसंख्या १२१ तदागच्छतु... विशेष आहुति—हिंगुल(पारद
अयस्क)
श्लोकसंख्या १२९ सत्त्वं गच्छ... विशेष आहुति—पान, सुपारी,
इक्षुदण्ड ।
पाँचवें अध्याय के अन्त में सफेद चन्दन और रोली
को विल्वपत्र पर
रखकर, ऊँ सांगायै विष्णुमायादि त्रयविंशति
देव्यै सरस्वत्यै नमः
स्वाहा—मन्त्र से एक आहुति प्रदान करे।
अथवा, स्रुवा में पान के उलटे पत्ते पर
शाकल्य, कमलगट्टा, सुपारी लौंग, छोटीइलाइची, गूगल वगैरह रखकर, खड़े होकर एक आहुति
दें इस मन्त्र से— ऊँ क्लीं जयन्ती सांगायै सायुधायै सशक्तिकायै सपरिवारायै
सवाहनायै ध्रूम्राक्ष्यै विष्णुमायदि चतुर्विंशद्देवताभ्यो महाहुतिं समर्पयामि नमः
स्वाहा। (वैदिक मन्त्रों से आहुति देने हेतु प्रथम अध्याय के होम क्रम में
दिये गए मन्त्रों का ही प्रयोग करें)
—षष्ठम अध्याय—
श्लोकसंख्या ४ -हे धूम्रलोचनाशु त्वं...विशेष
आहुति—गुग्गुल।
श्लोकसंख्या १३- इत्युक्तःसोऽभ्य...विशेष आहुति—विजौरा नीम्बू।
श्लोकसंख्या १८-विच्छिन्नवाहुशिरसा...विशेष
आहुति—केसर।
श्लोकसंख्या १९-क्षणेन तद्वलं सर्व...विशेष
आहुति—राई।
श्लोकसंख्या २०-श्रुत्वातमसुरं देव्या...विशेष आहुति—सुपारी,लोहवान,
कमलगट्टा
श्लोकसंख्या २३-केशेष्वाकृष्य वध्वावा...विशेष आहुति—भोजपत्र
श्लोकसंख्या २४-तस्या हतायां दुष्टायाम्...विशेष
आहुति—कनेरपुष्प, इक्षु।
षष्ठ अध्याय के अन्त में कूष्माण्ड से ऊँ
सांगायै धूम्राक्ष्यै शक्त्यै नमः स्वाहा—इस मन्त्र से एक आहुति दें।
अथवा, स्रुवा में पान के उलटे पत्ते पर
शाकल्य, कमलगट्टा, सुपारी लौंग, छोटीइलाइची, गूगल वगैरह रखकर, खड़े होकर एक आहुति
दें इस मन्त्र से— ऊँ क्लीं जयन्ती सांगायै सायुधायै सशक्तिकायै सपरिवारायै
सवाहनायै महाहुतिं समर्पयामि नमः स्वाहा। (वैदिक मन्त्रों से आहुति देने हेतु
प्रथम अध्याय के होम क्रम में दिये गए मन्त्रों का ही प्रयोग करें)
—सप्तम अध्याय—
श्लोकसंख्या
५- ततःकोपं...विशेष
आहुति—कस्तूरी।
श्लोकसंख्या
१९- उत्थाय च
महासिंहं...विशेष आहुति—कदली।
श्लोकसंख्या
२३-शिरश्चण्डश्च...विशेष
आहुति—विजौरानीम्बू।
श्लोकसंख्या
२६- तवानीतौ ततो...विशेष
आहुति—कमलगट्टा।
श्लोकसंख्या
२७-तस्माचण्डश्च...विशेष
आहुति—चिरौंजी।
सातवें अध्याय के अन्त में ऊँ
सांगायै कर्पूरबीजाधिष्ठात्र्यै काली चामुण्डायै देव्यै नमः स्वाहा—इस मन्त्र
से चिरौंजी, मिसरी, वादाम, लाजन्ती पुष्प से एक आहुति दें।
अथवा, स्रुवा में पान के उलटे पत्ते पर
शाकल्य, कमलगट्टा, सुपारी लौंग, छोटीइलाइची, गूगल वगैरह रखकर, खड़े होकर एक आहुति
दें इस मन्त्र से— ऊँ क्लीं जयन्ती सांगायै सायुधायै सशक्तिकायै सपरिवारायै
सवाहनायै काली चामुण्डादेव्यै कर्पूरबीजाधिष्ठात्र्यै महाहुतिं समर्पयामि नमः
स्वाहा। (वैदिक मन्त्रों से आहुति देने हेतु प्रथम अध्याय के होम क्रम में
दिये गए मन्त्रों का ही प्रयोग करें)
—अष्टम
अध्याय—
श्लोकसंख्या
३९ इति मातृगणं
क्रुद्धं...विशेष आहुति—सरसो।
श्लोकसंख्या
४१ रक्तबिन्दुर्यदाभूमौ...विशेष
आहुति—रक्तचन्दन।
श्लोकसंख्या
५६ भक्ष्यमाणात्वा...विशेष आहुति—रक्तचन्दन।
श्लोकसंख्या
५७ मुखेनकाली जगृहे...विशेष
आहुति—रक्तचन्दन।
श्लोकसंख्या
६० तांश्चखादाय
चामुण्डा...विशेष आहुति—इक्षु।
श्लोकसंख्या
६१ जघान रक्तबीज...विशेष
आहुति—रक्तचन्दन।
श्लोकसंख्या
६२ नीरक्ताश्चमहीपा...विशेष
आहुति—विजौरा नींबू।
आठवें अध्याय के अन्त में स्रुवा में पान के
उलटे पत्ते पर शाकल्य, कमलगट्टा,सुपारी लौंग, छोटीइलाइची, गूगल वगैरह रखकर, खड़े
होकर एक आहुति दें इस मन्त्र से— ऊँ क्लीं जयन्ती सांगायै सायुधायै सशक्तिकायै
सपरिवारायै सवाहनायै रक्ताक्ष्यै अष्टमातृ सहितायै महाहुतिं समर्पयामि नमः स्वाहा।
(किंचित पुस्तकों में रक्ताख्यै
पाठ भेद भी मिलता है)
(वैदिक मन्त्रों के लिए प्रथम अध्याय के
होम क्रम में दिए गए मन्त्रों का ही प्रयोग करना चाहिए। सामग्री भी समान है।)
किंचित आचार्यों के मत से इस अध्याय के
श्लोकसंख्या ३९ से ६१ पर्यन्त केवल रक्तचन्दन से ही हवन
करने का निर्देश मिलता है।
—नवम
अध्याय—
श्लोकसंख्या २ विचित्रमिदमाख्यातम्...विशेष
आहुति— बिजौरानीम्बू।
श्लोकसंख्या १६ ततःपरशुहस्तं...विशेष आहुति—कपीठ(चूक-
एक प्रकार का घास जो खाने में खट्टा लगता है)
श्लोकसंख्या २० पूरयामास ककुभो...विशेष आहुति—केसर
श्लोकसंख्या ३५ भिन्नस्य तस्य शूलेन...विशेष आहुति—बिजौरा नीम्बू।
श्लोकसंख्या
३६ तस्य निष्कामतो
देवी...विशेष आहुति—गुगुल,इन्द्रजौ
श्लोकसंख्या
४१ केचिद्दिने
सुरसुरा...विशेष आहुति—पान, सुपारी,बेल का
गुद्दा।
नवम अध्याय के अन्त में स्रुवा में पान के उलटे
पत्ते पर शाकल्य,
कमलगट्टा, सुपारी लौंग, छोटीइलाइची, गूगल वगैरह रखकर, खड़े होकर एक आहुति दें इस मन्त्र से— ऊँ क्लीं जयन्ती सांगायै सायुधायै सशक्तिकायै
सपरिवारायै सवाहनायै भैरव्यै तारादेव्यै महाहुतिं समर्पयामि नमः स्वाहा।
(वैदिक मन्त्रों से आहुति देने हेतु प्रथम
अध्याय के होम क्रम में दिये गए मन्त्रों का ही प्रयोग करें)
किंचित आचार्यों के मत से विजौरानीम्बू
और जावित्री से आहुति देने का निर्देश है।
—दशम अध्याय—
श्लोकसंख्या
२ निशुम्भं निहितं...विशेष
आहुति—केसर,कस्तूरी।
श्लोकसंख्या
२६ तमायान्तं ततो...विशेष
आहुति— केला ।
श्लोकसंख्या
२७ स गतासुः पपातोर्व्याम्...विशेष
आहुति—भुर्जपत्र ।
श्लोकसंख्या
३२ जज्वलुश्चाग्नयः...विशेष
आहुति—इन्द्रजौ(कुरैयाबीज) और कमलगट्टा वटपत्र पर रख कर।
दशम अध्याय के अन्त में पान के उलटे पत्ते
पर कमलगट्टा, सुपारी, लौंग, छोटीइलाइची, गूगल, मैनफल और विल्वफल, यथेष्ट मात्रा
में घृत मिश्रित कर, स्रुवा में लेकर, खड़े होकर इस मन्त्र से एक आहुति प्रदान करे—
ऊँ सांगायै सपरिवारायै सशक्तिकायै सायुधायै सवाहनायै सिंहासनधिष्ठात्र्यै
त्रिशूलधारिण्यै देव्यै नमः स्वाहा ।
(वैदिक मन्त्र के लिए प्रथम अध्याय के
होम क्रम में निर्दिष्ट मन्त्रों का ही प्रयोग करना है)
किंचित
आचार्यों के मत से सिर्फ कस्तूरी से आहुति प्रदान करे।
—एकादश अध्याय—
श्लोकसंख्या
५ त्वं वैष्णवी...विशेष
आहुति—विजौरानीम्बू।
श्लोकसंख्या
२९
रोगानशेषा...विशेष
आहुति—राई, गोलमिर्च,
गिलोय।
श्लोकसंख्या
३९
सर्वावाधा प्रशमनं...विशेष आहुति—गोलमिर्च।
श्लोकसंख्या
४१
वैवस्वतेन्तरे...विशेष
आहुति—सरसो।
श्लोकसंख्या
४४
भक्षयन्त्याश्च...विशेष
आहुति—अनारदाना या पुष्प।
श्लोकसंख्या
४५
ततो मां देवताः...विशेष
आहुति—मजीष्ठ
श्लोकसंख्या
४६
भूयश्चशतवार्षिक्याम...विशेष आहुति—नारंगी।
श्लोकसंख्या
४७
ततः शतेन नेत्राणां...विशेष आहुति—कमलगट्टा।
श्लोकसंख्या
४९
शाकम्भरीतिविख्याति...विशेष आहुति—सोआ,पालक।
श्लोकसंख्या
५४
भ्रामरीति मां लोकाः...विशेष आहुति—कालीमिर्च
श्लोकसंख्या
५५
तदा तदावतीर्याहं...विशेष
आहुति—सरसो।
एकादश अध्याय के अन्त में स्रुवा में पान के
पत्ते पर सुपारी,लौंग, छोटी इलाइची, कमलगट्टा, गुगुल, पुष्प व पायस यथेष्ट मात्रा में घृत मिश्रित कर, खड़े
होकर एक आहुति प्रदान करे। तान्त्रिक मन्त्र— ऊँ क्लीं जयन्ती सांगायै
सपरिवारायै सशक्तिकायै सवाहनायै सायुधायै लक्ष्मीबीजाधिष्ठात्र्यै गरुड़वाहिन्यै नारायणिदेव्यै
महाहुतिं समर्पयामि नमः स्वाहा ।
किंचित आचार्यों के मत से कपूर या खीर
या शर्करा या घृत से आहुति देने का निर्देश है।
किंचित आचार्य के मत से इस अध्याय के
प्रथम से अठाइसवें श्लोक पर्यन्त के मन्त्रों से खीर या हलुवा की आहुति देनी
चाहिए। एवं चौबीसवें से अठाइसवें मन्त्र तक नवार्णमन्त्र से ही आहुति देने का भी
निर्देश मिलता है।
(वैदिक मन्त्र से आहुति देनी हो तो
प्रथम अध्याय वाला ही प्रयुक्त होगा। सामग्रियां ये ही रहेंगी।)
—द्वादश अध्याय—
श्लोकसंख्या २ एभिस्तवैश्च मां नित्यं...विशेष
आहुति— अगर।
श्लोकसंख्या १० बलिप्रदाने पूजायां...विशेष आहुति— पेड़ा।
श्लोकसंख्या १३ सर्वावाधाविनिर्मुक्तो...विशेष आहुति—छोटी इलाइची।
श्लोकसंख्या १७ उपसर्गाः शमं यान्ति...विशेष आहुति—भोजपत्र।
श्लोकसंख्या २० सर्वं ममैतन्महात्म्यम्...विशेष आहुति— लौंग,बिजौरा, कपूर, पुष्प।
श्लोकसंख्या ३३ पश्यतांसर्वदेवानां...विशेष आहुति—सर्वौषधि।
श्लोकसंख्या ३९ सैवकाले महामारी...विशेष आहुति—अनार के फल का छिलका ।
श्लोकसंख्या ४९ स्तुताः सम्पूजिता पुष्पैः...विशेष आहुति— पुष्प ।
द्वादश अध्याय के अन्त में स्रुवा में पान के
पत्ते पर सुपारी, लौंग, छोटी इलाइची, कमलगट्टा, गुगुल, केला, यथेष्ट मात्रा में घृत मिश्रित कर, खड़े
होकर एक आहुति प्रदान करे। तान्त्रिक मन्त्र— ऊँ क्लीं जयन्ती सांगायै
सपरिवारायै सशक्तिकायै सवाहनायै सायुधायै वरप्रदायै वैष्णवीदेव्यै महाहुतिं समर्पयामि नमः स्वाहा।
(वैदिक मन्त्र से आहुति देनी हो तो प्रथम
अध्याय वाला मन्त्र ही प्रयुक्त होगा । सामग्रियाँ ये ही रहेंगी।)
—त्रयोदश अध्याय—
श्लोकसंख्या
१२
ददतुस्तौ बलिं चैव...विशेष आहुति— गुड़,पुष्प।
श्लोकसंख्या
१७
ततो व्रवे नृपो...विशेष
आहुति— कालीमिर्च।
श्लोकसंख्या
२९
सूर्याज्जन्म समासाद्य...विशेष आहुति—पान, सुपारी।
त्रयोदश अध्याय के अन्त में स्रुवा में पान के
पत्ते पर सुपारी, लौंग, छोटी इलाइची, कमलगट्टा, गुगुल, कोई भी ऋतुफल एवं यथेष्ट
मात्रा में घृत मिश्रित कर, खड़े होकर एक आहुति प्रदान करे। तान्त्रिक मन्त्र— ऊँ
क्लीं जयन्ती सांगायै सपरिवारायै सशक्तिकायै सवाहनायै सायुधायै श्रीविद्यायै(श्रीमहात्रिपुरसुन्दर्यै)महाहुतिं
समर्पयामि नमः स्वाहा।
(वैदिक मन्त्र से आहुति देनी हो तो प्रथम
अध्याय वाला मन्त्र ही प्रयुक्त होगा । सामग्रियाँ ये ही रहेंगी।)
नोट—सप्तशती पाठ के अन्तर्गत जितने भी उवाच
आये हैं, वहाँ किसी न किसी फल से ही आहुति देनी चाहिए—ऐसा किंचित आचार्यों का मत
है। अस्तु।
-----)0(----- क्रमशः...
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