दीपावली
पूजा :: समय संशय
आए दिन प्रायः पर्व-त्योहारों में संशय उत्पन्न हो जा रहा है। संशय के
मुख्य दो कारण हैं— संचारक्रान्ति का प्रभाव और गणितीय मतैक्य का
अभाव। और सबसे ऊपर है—मैं तो यही करुँगा।
यानी हमें जो सुविधा
होगी वही करुँगा, किन्तु पूछूँगा दस लोगों से जरुर।
खैर, अपने-अपने विचार।
लोकतन्त्र में और कुछ हो
न हो वैचारिक स्वतन्त्रता तो होनी ही चाहिए।
बन्धुओं !
मैं भी अपना विचार दे रहा हूँ। आदेश देने की न तो क्षमता है, न
योग्यता और न अभिरुचि।
प्रायः पर्वों का काल-महत्त्व
होता है। जैसे—जन्माष्टमी के लिए अर्द्धरात्रि का काल मान्य है, रामनवमी के लिए
दिन का मध्य काल मान्य है, दशहरा सायंकालीन प्रधान पर्व है, छठ उदयकालीन इत्यादि।
उसी भाँति दीपावली गोधुलीबेला से लेकर भोर तक का पर्व है। स्पष्ट है कि तिथियों के चयन में काल-भेद है। सर्वत्र उदयव्यापिनी तिथि की
महत्ता नहीं है।
दिनांक 24अक्टूबर, 2022,
सोमवार को गयानगर के समयानुसार सूर्यास्त सायं 5.29 बजे हो रहा है। चतुर्दशी तिथि सायं
4.56 तक है, इसके बाद अमावस्या तिथि का प्रारम्भ है और अगले दिन मंगलवार को सायं
4.27 तक ही अमावस्या तिथि का भोग है।
दीपावली पर्व अमावस्या
तिथि को गोधूलिबेला से लेकर सम्पूर्ण रात्रि पर्यन्त मनाने वाला पर्व है।
लक्ष्मीपूजा हो या कि तन्त्र-मन्त्र-साधना का कार्य – इसी काल में होना चाहिए। अतः
किसी भी तरह के संशय का स्थान नहीं है।
किन्तु स्थिरलग्न—वृष, सिंह, वृश्चिक और कुम्भ के पक्षधरों को परेशानी होगी, क्योंकि इन तीनों लग्नों में अमावस्या
तिथि का भोग मिल नहीं रहा है। ऐसे में उन्हें स्थिरलग्न का लोभ त्यागना पड़ेगा। गोधुलीबेला
अपने आप में बहुत ही महत्त्वपूर्ण काल है। इसके बाद दूसरा महत्त्वपूर्ण काल है
निशीथकाल (मध्यरात्रि) और इसके बाद तीसरा है रात्रि के अन्तिम प्रहर वाला काल। अपनी
सुविधानुसार इन तीनों में किसी का चयन किया जा सकता है, चाहे उस समय लग्न कोई भी
व्यतीत हो रहा हो।
अगले दिन यानी 25अक्टूबर,मंगलवार को उदयातिथि के रूप में
अमावस्या तो है, किन्तु सायं 4.27 तक ही है। यानी गोधूलि या सूर्यास्त
के पहले ही समाप्त है अमावस्या। और सबसे बड़ी बात ये है उस दिन
सायं 4.34 से सूर्यग्रहण प्रारम्भ है। यहाँ तक कि ग्रहण लगे हुए ही
सूर्यास्त भी हो जाना है। इस कारण ग्रहण जनित पूर्ण शुद्धि अगले
सूर्यदर्शन के बाद ही होना है। नियम है कि सूर्यग्रहण का सूतक बारह
घंटे पहले से मान्य होता है, ऐसे में मंगलवार को दिन में सिर्फ
अमावस्या तिथि का बल लेकर, दीपावली सम्बन्धी पूजा-अर्चना का
कोई औचित्य ही नहीं है। अस्तु।
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