“मगवाणी” की बहुरंगी छतरी तले

 मगवाणी के द्वितीय वार्षिकोत्सव के अवसर पर राजस्थान की सूर्यनगरी जोधपुर में जोधपुरी साफा धारण करने का अनुपम अनुभव.....




मगवाणी वार्षिकोत्सव समीक्षा श्रृंखला- 5 .
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श्री कमलेश पुण्यार्क 'गुरूजी' (गया,बिहार), विशिष्ट अतिथि
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“मगवाणी” की बहुरंगी छतरी तले
मग-समागम का अभूतपूर्व अनुभव
गत 24-25दिसम्बर 2022 को जोधपुर नगर में आयोजित द्विदिवसीय मग-मिलन-समारोह के अद्भुत आह्लादकारी दृश्य को शब्दों में पिरोना किंचित् दुष्कर प्रतीत हो रहा है। आँखें जो देख पाती हैं,कान जो सुन पाते हैं,मन मयूर जो थिरकन करता है,उसे भला अकिंचन शब्दचित्रों में कैसे बाँधा जा सकता है ! फिर भी कुछ व्यक्त करने का प्रयास कर रहा हूँ।
कोई दस बीघे के सुव्यवस्थित परिसर में हरित दूर्वादल वाले प्रशस्त मैदान और पुष्पवाटिका के बीच सजा-संवरा मनोहर मंच बरबस ही आकर्षित कर रहा था आगंतुकों को। सिंहद्वार पर चन्दन-कुमकुम-पुष्पपंखुड़ियों से सजी थाल लिए मग-वालाएँ मगबन्धुओं के स्वागत के लिए प्रस्तुत थी, साथ ही जोधपुर का स्थानीय मगसमाज भी आतुर था अतिथियों और आगंतुकों के स्वागत हेतु। भोजन-आवास की समुचित व्यवस्था सहित जोधपुरी अन्दाज में अभिनन्दन और आतिथ्य देखकर मग-परम्परा की विस्मृत झाँकियाँ ताजी हो आयी।
सूर्यध्वजारोहण,जयभास्कर-उद्घोष,स्वस्तिवाचन,गणपतिवन्दनादि से समारोह का शुभारम्भ हुआ। सुस्वादु जलपान के पश्चात् लोग आनन्दभवन के सभागार में एकत्र हुए। पंडित दीनदयाल शर्माजी की सधी उद्घोषणा चित्ताकर्षक प्रतीत हुयी। मंचासीन अतिथियों का राजस्थानी साफा और पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया। चार सत्रों में विभाजित द्विदिवसीय कार्यक्रम में मगबन्धुओं का परिचयात्मक प्रथम सत्र अपने आप में महत्वपूर्ण लगा, क्योंकि दो मिनट ही सही, सबको अपनी वाचिक उपस्थिति जताने का सुअवसर तो मिला। अन्यथा आम समारोहों तो में बस नये-नये चेहरों की झलक भर मिल पाती है। कौन कहाँ से आया है— ये जान पाना भी सम्भव नहीं होता।
अवकाश प्राप्त न्यायाधीश सहित सेवारत न्यायाधीश महोदय की आद्योपान्त उपस्थिति अपने आप में अतिशय श्लाघ्य है, जिन्होंने पद-गरिमा और प्रोटोकॉल की बेड़ी से मुक्त होकर सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। सम्माननीय न्यायाधीश भोजकजी का गीत-गायन बहुत ही प्रीतिकर लगा। हँसमुख-मिलनसार ब्रिगेडियर श्रीधनुषभंजन पाठकजी की सपत्निक उपस्थिति समागम में चार चाँद लगा गया। देश भर के विभिन्न शाकद्वीपीय संस्थाओं का मगवाणी के वार्षिकोत्सव समारोह में एकत्र होना अपने आप में एक प्रयोग है, तो प्रभावकारी और अनुकरणीय संदेश भी कि राष्ट्र ही नहीं विश्व के किसी कोने में वसने वाले मगविप्र एक ही परिवार के सदस्य हैं, जो स्थिति-परिस्थितिवश दूर होते चले गए थे, किन्तु मगवाणी ने उन्हें व्यापक वितान में समाहित-संयोजित करने का बीड़ा उठा लिया है और इस पुनीत कार्य में मगवाणी को निरन्तर सफलता भी मिल रही है। इसके लिए समेकित भास्करपरिवार के सभी कर्मठ कार्यकर्ताओं को हार्दिक साधुवाद देता हूँ।
भगवान भुवनभास्कर से मेरी प्रार्थना है कि मगवाणी का वार्षिकोत्सव-समारोह प्रत्येक वर्ष उत्तरोत्तर विकास सहित भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में आयोजित होता रहे, जिसमें अधिकाधिक मगबन्धु सपरिवार एकत्र होकर “मगजागृति” का शंखनाद करें। जयभास्कर।

सम्मान में प्राप्त स्मृतिचिह्न---


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