मगबन्धु का उदयाचल ध्वज (पत्रिका समीक्षा) भगवान भास्कर के तेजोमय अंश-सृजित विश्वकर्मणीयकृति शाकद्वीपीय दिव्य ब्राह्मणों की ध्वजवाहिका— मगबन्धु(अखिल) का “ ओडिशा के मग-ब्राह्मण ” विषेशांक स्वरूप ४१वाँ अंक मनमोहक साज-सज्जा-सुसज्जित होकर सम्मुख उपस्थित है अवगुँठित नववधू की तरह और उत्सुक-भाउक-लोलुप-चंचल चित्त ये सुनिश्चित नहीं कर पा रहा है कि सर्वप्रथम इस सुन्दरी के किस अंग का स्पर्श-सुख-लाभ ग्रहण करूँ—पहले मुख चुम्बन करूँ या उदर-स्पर्श या एक ही श्वांस में सर्वांग बाहुभरण ही कर लूँ ! चन्द्रभागा के तट पर अठखेलियाँ करते लोग और उसके नीचे कोणार्क सूर्य मन्दिर का अष्ट्रारचक्र , जिसके दायीं ओर साम्ब दशमी और बायीं ओर सूर्यदेव रथ की छवि वाला आकर्षक मुखपृष्ठ अवलोकित होते ही चिन्तन और स्मृति गह्वर में घसीट ले गया—कितने भाग्यवान हैं हम मगबन्धु, कितने पुण्यवान हैं हम मगबन्धु जिनके पास ऐसे - ऐसे अद्भुत धरोहर हैं, ऐसी दिव्य संस्कृति है। अतीत का स...
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